Dehradun Crime : देहरादून की सड़कों पर नशे के खिलाफ जंग तेज हो चुकी है। राजधानी की पुलिस ने एक बार फिर मादक पदार्थों की तस्करी करने वालों पर शिकंजा कसते हुए एक महिला तस्कर को धर दबोचा। यह घटना शहर के आईटी पार्क के पास की है, जहां पुलिस ने आकस्मिक जांच के दौरान एक महिला को 1.2 किलोग्राम अवैध गांजा के साथ गिरफ्तार किया। इस कार्रवाई ने न केवल नशा तस्करी के काले कारोबार पर प्रहार किया है, बल्कि आम लोगों में सुरक्षा की भावना को भी मजबूत किया है।
कैसे हुई तस्कर की गिरफ्तारी?
25 अप्रैल, 2025 को देहरादून पुलिस ने वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के निर्देशों पर नशा तस्करी के खिलाफ चलाए जा रहे विशेष अभियान के तहत यह कार्रवाई की। राजपुर थाना क्षेत्र के अंतर्गत आईटी पार्क के पास पुलिस टीम ने संदिग्ध गतिविधियों पर नजर रखते हुए एक महिला को रोका। तलाशी लेने पर उनके पास से 1.2 किलोग्राम अवैध गांजा बरामद हुआ। गिरफ्तार महिला की पहचान सीता देवी, उम्र 40 वर्ष, गोविंदगढ़, देहरादून निवासी के रूप में हुई। पुलिस ने तुरंत उनके खिलाफ एनडीपीएस एक्ट के तहत मामला दर्ज कर लिया।
कौन है सीता देवी?
सीता देवी, जो अपने पति स्वर्गीय अशोक साहनी के निधन के बाद अकेले रह रही थीं, इस गैरकानूनी धंधे में लिप्त पाई गईं। स्थानीय लोगों के अनुसार, वह सामान्य जीवन जीने का दिखावा करती थीं, लेकिन पुलिस की पैनी नजर ने उनके इस काले कारोबार का पर्दाफाश कर दिया। यह गिरफ्तारी नशा तस्करी के जाल को तोड़ने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।
पुलिस की सक्रियता और अभियान
देहरादून पुलिस पिछले कुछ समय से नशे के खिलाफ सख्ती से काम कर रही है। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के नेतृत्व में चलाए जा रहे इस अभियान का उद्देश्य न केवल तस्करों को पकड़ना है, बल्कि युवाओं को नशे की लत से बचाना भी है। इस कार्रवाई में शामिल पुलिस टीम, जिसमें उपनिरीक्षक दीपक द्विवेदी, कांस्टेबल प्रदीप, विशाल और महिला कांस्टेबल संध्या रावत शामिल थे, की तारीफ हो रही है। उनकी सतर्कता और त्वरित कार्रवाई ने एक बड़े नशा तस्करी के नेटवर्क को उजागर करने में मदद की।
नशे के खिलाफ जंग में समाज की भूमिका
नशा तस्करी केवल कानून-व्यवस्था का मुद्दा नहीं है, बल्कि यह समाज के लिए भी एक गंभीर खतरा है। खासकर युवा पीढ़ी, जो आसानी से इस दलदल में फंस सकती है, के लिए यह चिंता का विषय है। देहरादून पुलिस की इस कार्रवाई से नशे के खिलाफ चल रही लड़ाई को और बल मिला है। लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि समाज को भी इस जंग में आगे आना होगा। माता-पिता, शिक्षक और स्थानीय समुदाय को मिलकर नशे के खिलाफ जागरूकता फैलानी होगी, ताकि इस बुराई को जड़ से खत्म किया जा सके।
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