भारत और पाकिस्तान के बीच क्रिकेट मैच का नाम सुनते ही फैंस के दिलों में जोश और उत्साह की लहर दौड़ जाती है। लेकिन इस बार एशिया कप 2025 में कुछ अलग ही नजारा देखने को मिला। स्टेडियम की सीटें खाली पड़ी थीं, और चारों तरफ सन्नाटा छाया हुआ था। फैंस का कहना है कि उन्होंने पहले कभी इतना खाली स्टेडियम नहीं देखा। सोशल मीडिया पर वायरल हो रही तस्वीरों में खाली कुर्सियां और उदास माहौल साफ दिख रहा है। आखिर क्या वजह है कि क्रिकेट के इस महामुकाबले में दर्शकों ने मुंह मोड़ लिया?
बॉयकॉट कॉल्स ने दिखाया असरपिछले कुछ हफ्तों से सोशल मीडिया पर #BoycottIndoPakMatch ट्रेंड कर रहा था। कई फैंस और संगठनों ने भारत-पाकिस्तान मैच का बहिष्कार करने की अपील की थी। इसका कारण दोनों देशों के बीच चल रहे तनावपूर्ण रिश्ते और कुछ राजनीतिक मुद्दे बताए जा रहे हैं। इस बार फैंस ने स्टेडियम में आने की बजाय टीवी पर भी मैच देखने से परहेज किया। एक फैन ने X पर लिखा, “इंडिया-पाक मैच में ऐसा सन्नाटा? यह तो क्रिकेट का अपमान है!” कई लोग इस बात से हैरान हैं कि क्रिकेट जैसे जुनून को भी बहिष्कार की आंधी ने ठंडा कर दिया।
आयोजकों की बढ़ी चिंतामैच के आयोजकों के लिए यह स्थिति किसी झटके से कम नहीं है। भारत-पाकिस्तान मैच हमेशा से टिकटों की बिक्री और टीआरपी का सबसे बड़ा जरिया रहा है। लेकिन इस बार टिकटों की बिक्री उम्मीद से काफी कम रही। एक आयोजक ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, “हमने इतने खाली स्टेडियम की उम्मीद नहीं की थी। यह क्रिकेट के लिए निराशाजनक है।” कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि बॉयकॉट कॉल्स ने न सिर्फ दर्शकों को स्टेडियम से दूर रखा, बल्कि स्पॉन्सर्स और ब्रॉडकास्टर्स को भी नुकसान पहुंचाया है।
फैंस का गुस्सा और निराशासोशल मीडिया पर फैंस ने अपनी भड़ास निकाली। एक यूजर ने लिखा, “इंडिया-पाक मैच में खाली स्टेडियम देखकर दिल टूट गया। यह हमारा जुनून था, लेकिन अब यह सिर्फ एक खेल बनकर रह गया।” कुछ फैंस ने खिलाड़ियों पर भी सवाल उठाए और कहा कि उन्हें भी इस बहिष्कार पर कुछ कहना चाहिए। वहीं, कुछ लोगों का मानना है कि क्रिकेट को राजनीति से दूर रखना चाहिए, ताकि खेल का मजा बरकरार रहे।
क्या है आगे की राह?इस घटना ने क्रिकेट जगत में कई सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या भविष्य में भी भारत-पाकिस्तान मैचों को ऐसा ही बहिष्कार झेलना पड़ेगा? क्या फैंस का गुस्सा और निराशा खेल को और नुकसान पहुंचाएगी? विशेषज्ञों का कहना है कि क्रिकेट बोर्ड और आयोजकों को इस स्थिति से निपटने के लिए रणनीति बनानी होगी। फिलहाल, यह साफ है कि क्रिकेट का यह महामुकाबला इस बार अपने रंग में नहीं रंगा।
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