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हिमाचल में मानसून का कहर: भारी बारिश, भूस्खलन और सड़कों पर हाहाकार!

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हिमाचल प्रदेश में मानसून अपने आखिरी दौर में भी रुकने का नाम नहीं ले रहा। बीते 24 घंटों में राज्य के कई हिस्सों में जमकर बारिश हुई, जिसने जनजीवन को पूरी तरह अस्त-व्यस्त कर दिया। शिमला में गुरुवार को दिनभर बादल छाए रहे और बारिश ने लोगों को परेशान किया।

भारी तबाही का मंजर

आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, इस मानसून सीजन में अब तक 424 लोगों की जान जा चुकी है। 481 लोग घायल हुए हैं, जबकि 45 लोग अभी भी लापता हैं। मंडी जिला सबसे ज्यादा प्रभावित रहा, जहां 66 लोगों की मौत हुई। कांगड़ा में 57, चंबा में 50 और शिमला में 47 लोगों ने अपनी जान गंवाई। बारिश और भूस्खलन ने पूरे राज्य में हाहाकार मचा रखा है।

इन जिलों में येलो अलर्ट

मौसम विभाग ने अगले 24 घंटों के लिए बिलासपुर, हमीरपुर, कांगड़ा, मंडी और सिरमौर जिलों में भारी बारिश का येलो अलर्ट जारी किया है। इन जिलों में गरज-चमक और बिजली गिरने की आशंका के साथ भारी बारिश हो सकती है। हमीरपुर में हल्की से मध्यम बारिश की चेतावनी दी गई है। लोगों से सतर्क रहने की अपील की गई है।

19 और 20 सितंबर को भी बारिश का अनुमान

शिमला के मौसम विज्ञान केंद्र के अनुसार, 19 और 20 सितंबर को मैदानी और मध्य पर्वतीय इलाकों में हल्की से मध्यम बारिश होगी। इसके बाद 21 से 23 सितंबर तक मैदानी इलाकों में मौसम साफ रहने की उम्मीद है। हालांकि, 24 सितंबर को फिर से हल्की बारिश हो सकती है। उच्च पर्वतीय इलाकों में 24 सितंबर तक मौसम साफ रहने का अनुमान है।

कब जाएगा मानसून?

मौसम विभाग का कहना है कि सितंबर के आखिरी हफ्ते में मानसून हिमाचल से विदा हो सकता है। लेकिन तब तक बारिश और भूस्खलन ने कई इलाकों में तबाही मचा दी है। बिलासपुर के ऋषिकेश इलाके में गुरुवार को भूस्खलन की वजह से एचआरटीसी की दो बसें मलबे में फंस गईं। गनीमत रही कि चालक और परिचालक सुरक्षित रहे। क्रेन की मदद से बसों को बाहर निकाला गया। बिलासपुर के नैना देवी में 140 मिमी और मुख्यालय में 120 मिमी बारिश दर्ज की गई।

इन जिलों में बाढ़ और तबाही

सोलन के बीबीएन औद्योगिक क्षेत्र झाड़माजरी में कोटला नाले के उफान पर आने से कई उद्योगों में पानी भर गया। मंडी के सैन मोहल्ले में एक छोटे नाले ने भारी तबाही मचाई। जीरो प्वाइंट के पास मलबा और पानी ने कई वाहनों को अपनी चपेट में लिया, जिससे घरों और दुकानों में कीचड़ भर गया। कांगड़ा में पौंग बांध का जल स्तर खतरे के निशान से ऊपर पहुंच गया है, जिससे खतरा बढ़ गया है।

सड़कों पर हाहाकार

लगातार बारिश और भूस्खलन की वजह से यातायात व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है। गुरुवार शाम तक दो नेशनल हाईवे और 604 सड़कें बंद रहीं। कुल्लू और ऊना के नेशनल हाईवे भी प्रभावित हैं। सबसे ज्यादा 202 सड़कें कुल्लू में, 198 मंडी में, 51 शिमला में और 40 कांगड़ा में ठप हैं। बारिश ने बिजली और पेयजल आपूर्ति को भी बुरी तरह प्रभावित किया है।

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