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2021 से अब तक 1705 की मौत: क्लिनिकल ट्रायल्स की सच्चाई चौंका देगी!

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देश में क्लिनिकल ट्रायल्स को लेकर एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। सूचना के अधिकार (RTI) से मिली जानकारी के मुताबिक, साल 2021 से अब तक क्लिनिकल ट्रायल्स के दौरान 1,705 लोगों की मौत हो चुकी है। यह आंकड़ा न केवल हैरान करने वाला है, बल्कि दवा परीक्षणों की सुरक्षा और पारदर्शिता पर सवाल भी खड़े करता है। इन मौतों के पीछे की वजहें और सरकार का रुख क्या है, आइए जानते हैं।

कितने सुरक्षित हैं क्लिनिकल ट्रायल्स?

RTI के जवाब में सामने आया है कि ये मौतें विभिन्न दवा कंपनियों और शोध संस्थानों द्वारा आयोजित क्लिनिकल ट्रायल्स के दौरान हुईं। ये ट्रायल्स नई दवाओं, टीकों और चिकित्सा उपकरणों के परीक्षण के लिए किए जाते हैं। लेकिन इतनी बड़ी संख्या में मौतों ने यह सवाल उठा दिया है कि क्या इन ट्रायल्स में शामिल लोगों की सुरक्षा को लेकर पर्याप्त सावधानी बरती जा रही है? कई मामलों में मृतकों के परिजनों ने आरोप लगाया है कि उन्हें ट्रायल्स के जोखिमों के बारे में पूरी जानकारी नहीं दी गई।

सरकार और नियामक संस्थाओं की भूमिका

स्वास्थ्य मंत्रालय और ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) इन ट्रायल्स की निगरानी करते हैं। RTI डेटा के अनुसार, इन 1,705 मौतों में से कई मामलों में जांच शुरू की गई है, लेकिन अभी तक ज्यादातर मामलों में अंतिम निष्कर्ष सामने नहीं आए हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि क्लिनिकल ट्रायल्स के लिए सख्त नियम तो हैं, लेकिन उनकी पालना में कमी दिखती है। कुछ जानकारों ने यह भी बताया कि कई बार गरीब और कम पढ़े-लिखे लोग इन ट्रायल्स में शामिल होते हैं, जिन्हें जोखिमों की पूरी जानकारी नहीं होती।

क्या है मृतकों का आंकड़ा?

RTI से मिली जानकारी के मुताबिक, 2021 में 637, 2022 में 528, 2023 में 398 और 2024 में अब तक 142 मौतें क्लिनिकल ट्रायल्स के दौरान दर्ज की गईं। इनमें से ज्यादातर मामले कैंसर, हृदय रोग और न्यूरोलॉजिकल बीमारियों से जुड़े ट्रायल्स में सामने आए। हालांकि, कुछ मामलों में मौत की वजह ट्रायल्स की दवा थी या मरीज की पहले से मौजूद बीमारी, यह स्पष्ट नहीं हो सका।

लोगों में बढ़ रही चिंता

इन आंकड़ों ने आम लोगों में डर और अविश्वास पैदा किया है। कई लोग अब क्लिनिकल ट्रायल्स में हिस्सा लेने से पहले दो बार सोच रहे हैं। सामाजिक कार्यकर्ताओं ने मांग की है कि सरकार को इन ट्रायल्स की प्रक्रिया को और पारदर्शी करना चाहिए। साथ ही, मृतकों के परिवारों को उचित मुआवजा और जवाबदेही सुनिश्चित करने की जरूरत है।

आगे क्या कदम उठाए जाएंगे?

स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि वह इन मौतों की गंभीरता से जांच कर रहा है। DCGI ने भी क्लिनिकल ट्रायल्स की निगरानी के लिए एक विशेष समिति गठित करने की बात कही है। लेकिन सवाल यह है कि क्या ये कदम पर्याप्त होंगे? विशेषज्ञों का कहना है कि जब तक नियमों का सख्ती से पालन और पारदर्शिता नहीं होगी, तब तक लोगों का भरोसा जीतना मुश्किल होगा।

यह खुलासा न केवल चिकित्सा जगत के लिए बल्कि आम लोगों के लिए भी एक बड़ा सबक है। क्लिनिकल ट्रायल्स जरूरी हैं, लेकिन इनमें शामिल होने से पहले पूरी जानकारी और सावधानी बरतना बेहद जरूरी है।

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