केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने पेट्रोल-डीजल में इथेनॉल मिलाने की सरकारी नीति का पुरजोर समर्थन किया है। उन्होंने साफ कहा कि इथेनॉल मिश्रण का विरोध करने वालों के दावे बेबुनियाद हैं और इसे तकनीकी रूप से पहले ही सही साबित किया जा चुका है। गडकरी ने जोर देकर कहा कि यह नीति न सिर्फ पर्यावरण के लिए फायदेमंद है, बल्कि यह भारत की ऊर्जा आत्मनिर्भरता की दिशा में भी एक बड़ा कदम है।
झूठे हैं इथेनॉल के खिलाफ दावे
गडकरी ने उन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया, जिनमें कहा जा रहा है कि इथेनॉल मिश्रण से कुछ चुनिंदा कंपनियों को फायदा हो रहा है या वाहन चालकों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने इसे “पैसे से प्रायोजित प्रचार” करार देते हुए कहा कि कुछ लोग भारत को आयातित जीवाश्म ईंधन पर निर्भर रखना चाहते हैं। गडकरी ने इस तरह के दावों को साजिश का हिस्सा बताया और कहा कि इथेनॉल नीति देश के हित में है।
इथेनॉल से माइलेज कम होने का दावा बेबुनियाद
दिल्ली में एक न्यूज चैनल के कार्यक्रम में बोलते हुए गडकरी ने इथेनॉल को लेकर फैली गलतफहमियों को दूर करने की कोशिश की। उन्होंने कहा, “यह धारणा कि इथेनॉल मिश्रण से गाड़ियों की माइलेज कम हो जाती है, पूरी तरह गलत है।” गडकरी ने ब्राजील का उदाहरण देते हुए बताया कि वहां 1953 से पेट्रोल में 27 फीसदी इथेनॉल मिलाया जा रहा है। वहां मर्सिडीज से लेकर टोयोटा तक की गाड़ियां बिना किसी दिक्कत के चल रही हैं। ऐसे में भारत में इथेनॉल मिश्रण का विरोध करना बेमानी है।
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