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धर्मांतरण का स्वरूप बहुत डरावना, एक रहेंगे नेक रहेंगे : कपिल शर्मा

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भगवान श्रीकृष्ण की नगरी मथुरा में 16 अगस्त की मध्य रात्रि 12ः00 बजे मनाया जाएगा जन्माष्टमी का पर्व.

मथुरा, 10 अगस्त (Udaipur Kiran) । भगवान श्रीकृष्ण की नगरी मथुरा में जन्माष्टमी की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। जन्माष्टमी का पर्व 16 अगस्त की मध्य रात्रि 12 बजे मनाया जाएगा। इस बार श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर परिसर से जन्माष्टमी के दिन श्रद्धालु संकल्प लेते हुए नजर आएंगे। जन्मभूमि स्थान से ’एक रहेंगे नेक रहेंगे और धर्मांतरण से मिलकर लड़ेंगे’ का नारा लगाया जाएगा तथा श्रीकृष्ण का 5252वां जन्म महोत्सव इस बार विशेष आकर्षण के रूप में भगवान श्रीकृष्ण “सिंदूर पुष्प बंगले“ में विराजमान होकर अपने भक्तों को दर्शन देंगे। यह बात रविवार शाम श्रीकृष्ण जन्मभूमि सेवा संस्थान के सचिव कपिल शर्मा एवं सदस्य गोपेश्वरनाथ चतुर्वेदी ने पत्रकारों के बीच कही।

श्रीकृष्ण जन्मभूमि सेवा संस्थान के सचिव कपिल शर्मा ने रविवार को कहा कि धर्मांतरण और लव जिहाद की घटनाएं देश के सभी प्रदेश में दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही हैं। अब समय आ गया है कि लोगों को अपने धर्म के प्रति जागरूक होना चाहिए, सनातन धर्म के साधु-संत मठ, मंदिर और देवालय हिंदुओं को जागृत करने के लिए अपने कर्तव्य का निर्वहन करें। उन्होंने कहा कि दुनिया भर के कई देशों में हिंदुओं पर अत्याचार बढ़ते ही जा रहे हैं। बहन-बेटियां सुरक्षित नहीं रह पा रहीं जैसे बांग्लादेश, पाकिस्तान और अन्य देश में हिंदुओं पर घटना घट रही हैं। अपने देश में भी धर्मांतरण और लव जिहाद से कोई भी प्रदेश अछूता नहीं है, इसलिए जागरूक होने की जरूरत है और संकल्प लेंगे। उन्होंने बताया कि प्रत्येक वर्ष की भांति इस बार भी श्रीकृष्ण जन्मस्थान जन्माष्टमी महोत्सव के अवसर पर संकल्प होता है, बिना संकल्प के उत्सव अधूरा माना जाता है, हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का संकल्प है, ’एक रहोगे तो नेक रहोगे लेकिन श्री कृष्ण जन्माष्टमी जन्मभूमि से इस बार संकल्प लिया जाएगा ’एक रहेंगे नेक रहेंगे और धर्मांतरण से मिलकर लड़ेंगे’। उन्होंने कहा कि देश में धर्मांतरण का स्वरूप विकराल होता ही जा रहा है, इसे देखकर डर लगता है। पहले प्रताड़ना, लालच और डराकर धर्मांतरण कराया जाता था, लेकिन आज धन, बल, डराकर और लालच देकर धर्मांतरण जबरन कराया जाता है, हमें भी अपनी जिम्मेदारी तय करनी पड़ेगी। देवालय, साधु-संत, मठ, मंदिर महामंडलेश्वर समाज को दिशा दिखाएं, मार्गदर्शन करें। उन्होंने बताया कि श्रीकृष्ण जन्मभूमि पर भगवान का प्रकटोत्सव मनाया जाएगा, उस समय श्रद्धालुओं के हाथ में जल, पीला पुष्प और अक्षत लेकर बैठे और संकल्प लें।

(Udaipur Kiran) / महेश कुमार

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