रांची, 02 मई . झारखंड के निजी स्कूलों को हाइकोर्ट से बड़ी राहत मिली है. झारखंड प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन सहित झारखंड के कई प्राइवेट स्कूल संस्थाओं की ओर से दायर याचिका पर हाई कोर्ट ने शुक्रवार को फैसला सुनाया है. प्राइवेट स्कूलों ने राइट टू एजुकेशन एक्ट के तहत राज्य सरकार के वर्ष 2019 के रूल के तीन बिंदुओं को कोर्ट में चुनौती दी थी.
मामले की सुनवाई के दौरान प्रार्थियों की ओर से अधिवक्ता सुमित गाड़ोदिया ने तथा राज्य सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता सचिन कुमार ने पैरवी की थी. हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस एमएस रामचंद्र राव की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने राज्य सरकार द्वारा संबद्धता के लिए आवेदन में प्राइवेट स्कूलों से प्रतिवर्ष कक्षा एक से कक्षा पांच तक के लिए 12500 रुपए की फीस लेने एवं कक्षा एक से कक्षा आठ तक के लिए 25 हजार रुपये की फीस लेने को गलत बताते हुए इसे खारिज कर दिया है.
वहीं कोर्ट ने सरकार के नियम, जिसमें ग्रामीण प्राइवेट स्कूलों के लिए साथ 60 डिसमिल जमीन रखने की अनिवार्यता तथा शहरी प्राइवेट स्कूलों के लिए 40 डिसमिल जमीन रखने की अनिवार्यता को सही बताया है. कोर्ट ने प्राइवेट स्कूलों के लिए जमीन के संबंध में बनी इस नियम को छह माह के लिए शिथिल किया है. साथ ही प्राइवेट स्कूलों को इस नियम का पालन करने के लिए छह माह का समय दिया है.
कोर्ट ने प्राइवेट स्कूलों की संबद्धता के लिए स्थानीय विधायक, सांसद सहित अन्य की कमेटी को बड़ा बताया है और उसे छोटा करते हुए आठ सदस्य वाली कमेटी तक सीमित रखने का आदेश दिया है.
उल्लेखनीय है कि प्राइवेट स्कूल संस्थानों की ओर से हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर राइट टू एजुकेशन एक्ट 2019 के नियम को चुनौती दी गई थी. इसमें झारखंड के प्राइवेट स्कूलों को संबद्धता के लिए आवेदन में प्रतिवर्ष निर्धारित फीस देने, प्राइवेट स्कूलों के लिए जमीन निर्धारित करने और प्राइवेट स्कूलों की संबद्धता के लिए बनी कमेटी को चुनौती दी गई थी.
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/ विकाश कुमार पांडे
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