कोलकाता, 24 अप्रैल .
पश्चिम बंगाल से जम्मू-कश्मीर के लिए हनीमून पर गए दो नवविवाहित जोड़े पहलगाम में हुए आतंकी हमले में बाल-बाल बच गए. एक जोड़े को अचानक लगी भूख ने रास्ता बदलने पर मजबूर कर दिया, जबकि दूसरे जोड़े को एक शिव मंदिर जाने की भावना ने हमले के समय खतरे से दूर रखा. इन दोनों घटनाओं को संयोग कहें, ईश्वरीय कृपा कहें या भाग्य, लेकिन इनका परिणाम एक ही रहा- जीवनदान.
हुगली निवासी देबराज घोष अपनी पत्नी के साथ पहलगाम के प्रसिद्ध बैसारण घाटी जाने की योजना बना चुके थे. टट्टू बुक हो चुके थे, बैग तैयार थे. दोनों अपने पर्वतीय सफर को लेकर बेहद उत्साहित थे. लेकिन तभी देबराज को अचानक भूख लगी और उन्होंने बाजार के पास एक होटल में रुककर खाना खाने का फैसला किया. देबराज ने बताया, हम मुख्य बाजार की ओर बढ़ ही रहे थे कि मैंने पत्नी से कहा, चलो पहले कुछ खा लेते हैं. जैसे ही गोलियों की आवाज़ सुनी, मैंने तुरंत पत्नी को होटल के भीतर खींच लिया और हम वहीं छिप गए. गोलियों की आवाजों से आवाज गूंज उठा और दहशत का माहौल फैल गया. जहां होटल में छिपकर दोनों ने अपनी जान बचाई, वहीं कुछ सौ मीटर की दूरी पर लोगों की जानें चली गईं.
इसी तरह नदिया ज़िले के रहने वाले सुदीप्त दास और उनकी पत्नी भी उसी दिन बैसारण घाटी जाने वाले थे. लेकिन आखिरी वक्त पर उनकी पत्नी ने पास के एक शिव मंदिर जाने की इच्छा जताई. वे मंदिर गए, पूजा की और जब लौटने लगे तो ड्राइवर ने बताया कि पास में फायरिंग हो रही है. सुदीप्त ने बताया, अगर हम मंदिर नहीं गए होते तो शायद आज हम ज़िंदा न होते. यह भगवान शिव की कृपा ही है कि हमारी जान बच गई.
तीन बंगाली पर्यटकों की गई जानइस आतंकी हमले में पश्चिम बंगाल के तीन पर्यटकों की मौत हो चुकी है. हिंदू तीर्थयात्रियों को निशाना बनाए जाने की खबरों ने देशभर में आक्रोश फैला दिया है. सुरक्षा व्यवस्था को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं और सरकार से सख़्त कदम उठाने की मांग की जा रही है.
/ ओम पराशर
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