नई दिल्ली, 15 अप्रैल . सुप्रीम कोर्ट ने दुष्कर्म के लिए लड़की को जिम्मेदार ठहराने वाले इलाहाबाद हाई कोर्ट के हालिया फैसले पर नाराजगी जताई है. जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि अगर जज को केस में उपलब्ध तथ्यों के आधार पर आरोपित को जमानत देनी है, तो वो जमानत दे सकते हैं. यह तय करना उनका विशेषाधिकार है, पर जज को इस तरह की गैरवाजिब टिप्पणी करते समय सावधानी बरतनी चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में स्वतः संज्ञान लेते हुए यह टिप्पणी की. दरअसल, 10 अप्रैल को दुष्कर्म के एक मामले में आरोपित को जमानत देते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज जस्टिस संजय सिंह की टिप्पणी को लेकर विवाद हो गया था. कोर्ट ने अपने फैसले में जमानत देते हुए कहा था कि पीड़ित एमए की छात्रा है, इसलिए वह अपने फैसलों और उनके सही-गलत को समझने में सक्षम है. कोर्ट का मानना है कि अगर पीड़िता के आरोपों को सही मान भी लिया जाए तो भी इस निष्कर्ष पर पहुंचा जा सकता है कि महिला ने खुद ही मुसीबत को न्योता दिया और इस घटना के लिए वो ख़ुद भी ज़िम्मेदार है. पीड़िता की मेडिकल जांच में भी डॉक्टर ने यौन हमले को लेकर कोई भी बात नहीं रखी है.
/संजय————
/ सुनीत निगम
You may also like
एआर रहमान और एमएम कीरावानी संग वेव्स में पहुंचे अनुपम खेर, पोज देते नजर आए अभिनेता
वेव्स को लेकर उत्साहित नजर आए जैकी भगनानी, बोले- इससे बड़ा मंच नहीं देखा
हांगकांग में मई दिवस की छुट्टियों के पहले दिन पर्यटकों की भारी भीड़ उमड़ी
हरियाणा के साथ जल विवाद पर पंजाब में सर्वदलीय बैठक, केंद्र से समाधान की मांग
जाति जनगणना को कांग्रेस ने बताया अपनी जीत, कार्य समिति की बैठक में प्रस्ताव पारित