जैसलमेर के डेजर्ट नेशनल पार्क ने अब खुद को सिर्फ एक रेगिस्तानी जैव विविधता केंद्र के रूप में नहीं, बल्कि पक्षी प्रेमियों के लिए एक स्वर्ग के रूप में स्थापित कर लिया है। थार की तपती रेत और टीलों के बीच जब अचानक किसी दुर्लभ पक्षी की चहचहाहट गूंजती है, तो लगता है मानो रेत में भी जीवन की संगीतमयी धड़कन बसती है।
ग्रेट इंडियन बस्टर्ड का सुरक्षित आशियानायह राष्ट्रीय उद्यान विशेष रूप से ग्रेट इंडियन बस्टर्ड (गोडावन) के लिए प्रसिद्ध है, जो भारत का एक संकटग्रस्त पक्षी है और बहुत ही कम संख्या में अब पाया जाता है। जैसलमेर का यह पार्क उन गिने-चुने स्थलों में से है जहाँ यह पक्षी अब भी प्राकृतिक रूप से देखा जा सकता है।
गोडावन के साथ-साथ यहाँ हौबारा बस्टर्ड, रेप्टर प्रजातियाँ (जैसे ईगल्स और वल्चर), सैंड ग्राउज़, बी-ईटर, लार्क, डेजर्ट व्हीलर, और सांझी और प्रवासी प्रजातियों की भरमार देखी जा सकती है।
प्रवासी पक्षियों की पसंदीदा मंज़िलसर्दियों में यह पार्क प्रवासी पक्षियों का विश्राम स्थल बन जाता है। रूस, मंगोलिया, और मध्य एशिया जैसे देशों से हजारों किलोमीटर की यात्रा कर पक्षी यहाँ की शुष्क, मगर भोजन से भरपूर भूमि पर आते हैं। इस दौरान बर्डवॉचिंग के शौकीनों के लिए यह पार्क किसी सपने से कम नहीं होता।
पर्यटन और जागरूकता दोनों को मिला बढ़ावाबढ़ते पक्षी अवलोकन पर्यटन ने स्थानीय गाइड्स, होटल व्यवसायियों और वन अधिकारियों को भी प्रोत्साहित किया है। अब पार्क में बर्ड वॉचिंग ट्रेल्स, गाइडेड टूर, और फोटोग्राफी ज़ोन विकसित किए जा रहे हैं। साथ ही, वन विभाग द्वारा पक्षी संरक्षण पर कार्यशालाएँ और स्थानीय लोगों को प्रशिक्षित कर जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है।
वन्यजीव संरक्षण के लिए प्रेरणादायक केंद्रडेजर्ट नेशनल पार्क सिर्फ बर्डवॉचिंग का स्थल नहीं, बल्कि यह दिखाता है कि रेगिस्तान जैसी कठिन परिस्थितियों में भी संवेदनशील पारिस्थितिकी को कैसे संरक्षित किया जा सकता है। यहाँ का पक्षी जीवन जैव विविधता की उस श्रृंखला का हिस्सा है जो पूरे पारिस्थितिक तंत्र को संतुलन प्रदान करता है।
निष्कर्षजैसलमेर का डेजर्ट नेशनल पार्क अब पक्षी प्रेमियों के लिए भारत का एक अनमोल ठिकाना बन चुका है। यह पार्क न केवल दुर्लभ प्रजातियों की शरणस्थली है, बल्कि यह एक उदाहरण है कि संरक्षण, पर्यटन और शिक्षा के समन्वय से कैसे एक रेगिस्तानी भूमि को जीवन से भरपूर किया जा सकता है।
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