भारत में आस्था और चमत्कारों से जुड़ी असंख्य कहानियां हैं। यहां ऐसे कई मंदिर हैं, जिनसे रहस्य और चमत्कार जुड़े हुए हैं। आज हम आपको एक ऐसे अनोखे शिव मंदिर के बारे में बता रहे हैं, जहां भगवान शिव के शिवलिंग की रक्षा कोई साधारण प्रहरी नहीं बल्कि एक मेंढक करता है। यह मेंढक वर्षों से वहीं बैठा है और इस मंदिर की सुरक्षा में लगा हुआ है। साथ ही इस मंदिर का शिवलिंग समय-समय पर रंग बदलने के लिए भी प्रसिद्ध है। भक्त इसे भोलेनाथ की महिमा और चमत्कार मानते हैं।
कहां स्थित है यह चमत्कारी मंदिर?यह अनोखा मंदिर उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले में स्थित है। मंदिर का नाम है नरवर का महादेव मंदिर। यहां का शिवलिंग कई रहस्यमयी घटनाओं के लिए प्रसिद्ध है। सबसे बड़ी खासियत है शिवलिंग की सुरक्षा में बैठा हुआ मेंढक, जो वर्षों से उसी स्थान पर मौजूद है। मंदिर में आने वाले श्रद्धालु इसे भगवान शिव का प्रहरी मानते हैं।
मेंढक क्यों है विशेष?मंदिर के पुजारियों और स्थानीय लोगों का कहना है कि यह मेंढक पिछले कई वर्षों से इसी स्थान पर बैठा है। न ही यह कहीं जाता है, न ही किसी से डरता है। सबसे आश्चर्य की बात यह है कि यह मेंढक जीवित है और बारिश, धूप, सर्दी में भी अपनी जगह से नहीं हटता। इसे देखकर श्रद्धालु इसे भोलेनाथ का विशेष दूत मानते हैं। कुछ मान्यताओं के अनुसार, यह मेंढक भगवान शिव का रूप है, जो स्वयं अपने लिंग की रक्षा कर रहे हैं। कई भक्त मानते हैं कि मेंढक का वहां होना मंदिर में सकारात्मक ऊर्जा और चमत्कारों का प्रतीक है।
शिवलिंग का बदलता रंगइस मंदिर में स्थित शिवलिंग का रंग बदलना भी एक बड़ा रहस्य है। भक्तों का कहना है कि कभी यह शिवलिंग गहरे काले रंग का दिखाई देता है, तो कभी सफेद या हल्का नीला हो जाता है। विशेष मौकों पर जैसे महाशिवरात्रि या सावन के महीने में, यह रंग परिवर्तन और भी स्पष्ट दिखाई देता है।वैज्ञानिक इसका कारण पर्यावरण और मिट्टी में मौजूद खनिज बताते हैं, लेकिन भक्त इसे भगवान शिव की महिमा मानते हैं। उनके अनुसार, यह भगवान की उपस्थिति का संकेत है और जब-जब संकट आता है, शिव स्वयं संकेत देते हैं।
आस्था और चमत्कार का संगमनरवर महादेव मंदिर सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि आस्था और चमत्कारों का प्रतीक बन चुका है। यहां दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं। लोग इस मंदिर में आकर अपने दुख-दर्द, बीमारियां और परेशानियां भगवान शिव को समर्पित करते हैं और मानते हैं कि भोलेनाथ स्वयं उनकी रक्षा करते हैं। यह मंदिर पर्यटकों और श्रद्धालुओं दोनों के लिए आकर्षण का केंद्र है। मेंढक की उपस्थिति और शिवलिंग का रंग बदलना लोगों को बार-बार यहां खींच लाता है।
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