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Peter Navarro's Statement : भारत को रूसी तेल की ज़रूरत नहीं, चीन से नजदीकी पर उठाए सवाल

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News India Live, Digital Desk: Peter Navarro's Statement : व्हाइट हाउस के पूर्व व्यापार सलाहकार पीटर नवारो ने एक बार फिर भारत की विदेश नीति पर तीखी टिप्पणी की है, विशेषकर रूस से तेल आयात और चीन के साथ भारत की बढ़ती नजदीकी को लेकर. नवारो का दावा है कि भारत को वास्तव में रूसी तेल की कोई जरूरत नहीं है और वह "क्रेमलिन लॉन्ड्रोमैट" के रूप में काम कर रहा है, साथ ही वह चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के करीब आ रहा है. उन्होंने अमेरिकी ऊर्जा सचिव जेनिफर ग्रानहोम की आलोचना की, जिन्होंने हाल ही में भारतीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने के लिए वाशिंगटन की यात्रा की थी.नवारो के अनुसार, भारत द्वारा रूसी तेल के रियायती मूल्य पर खरीदने को वह अमेरिकी प्रतिबंधों का उल्लंघन नहीं मानते हैं, बल्कि इसे "एक भू-राजनीतिक खेल" मानते हैं जिसमें भारत "कम कीमत पर रूसी तेल को खरीदकर पश्चिम को मूर्ख बना रहा है." उन्होंने भारत को चीनी नेतृत्व के करीब बताते हुए कहा कि यह सब रूस और चीन के "भू-रणनीतिक जाल" का हिस्सा है. उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि भारत ऊर्जा में आत्मनिर्भर है और उसे रूसी तेल की कोई आवश्यकता नहीं है, लेकिन इसके बजाय रियायती तेल खरीदकर चीन को बेच रहा है और इस प्रकार एक प्रकार का "पुनर्विक्रय" कर रहा है.हालांकि, अमेरिकी कांग्रेस के सदस्य जॉन जेम्स ने कहा कि अमेरिका ने पहले भी रूस पर दबाव बनाने के लिए चीन और भारत दोनों से रियायती दर पर रूसी ऊर्जा उत्पाद न खरीदने का आग्रह किया था, और यह मुद्दा "महत्वपूर्ण" है. जी-7 समूह भी भारत द्वारा रियायती रूसी तेल खरीदने से उत्पन्न होने वाली किसी भी बड़ी चुनौती का मूल्यांकन करने की आवश्यकता को रेखांकित कर रहा है, खासकर जब पश्चिमी देश रूसी राजस्व को कम करने के लिए मूल्य सीमा पर विचार कर रहे हैं. भारत, विश्व का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक, ऊर्जा सुरक्षा चिंताओं का हवाला देते हुए रूस से आयात जारी रखने पर जोर दे रहा है, जो यूरोप से सस्ती कीमत पर मिल रहा है.
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