भारत की विश्व कप विजेता टीम की सदस्य स्नेह राणा ने शुक्रवार को कहा कि 2017 ने देश में महिलाओं के खेल का परिदृश्य बदल दिया जिससे महिला क्रिकेट की लोकप्रियता में भारी उछाल हुआ। इस स्पिनर ने भारत को विश्व कप फाइनल तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई। हालांकि वह दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ खिताबी मुकाबले में अंतिम 11 का हिस्सा नहीं थीं जिसमें भारत ने अपना पहला विश्व खिताब जीता।
स्नेह राणा का बड़ा खुलासाराणा ने शुक्रवार को कहा, 'जब मैंने अपना क्रिकेट करियर शुरू किया था तो लोगों को लगता था कि यह (महिला क्रिकेट) होता ही नहीं है और हमें उतने मौके और सुविधाएं नहीं मिलती थीं। बल्कि महिला क्रिकेट बीसीसीआई के नियंत्रण में नहीं था।' उन्होंने कहा, '2006 में बीसीसीआई ने महिला क्रिकेट को अपने अधीन लिया और इसके बाद महिला क्रिकेट में बदलाव आने लगे, मैचों का प्रसारण टीवी पर होने लगा। उससे पहले मिताली राज, झूलन गोस्वामी, अंजुम चोपड़ा और कई अन्य खिलाड़ियों को ज्यादा लोग नहीं जानते थे।'
राणा ने कहा, 'लेकिन बीसीसीआई के अंतर्गत आने से महिला क्रिकेट को पहचान मिलनी शुरू हो गई और 2017 विश्व कप के बाद इसमें बड़ा बदलाव आया। उसके बाद का काफी विकास हुआ।' इंग्लैंड के खिलाफ लॉर्ड्स में 2017 महिला विश्व कप का फाइनल भारत के लिए वाकई एक ऐतिहासिक क्षण था जिसमें मिताली राज की अगुवाई वाली टीम ने मेजबान टीम को कड़ी टक्कर दी लेकिन बस 9 रन से हार गई।
एतिहासिक जीत से पहले की प्लानिंगराणा ने कहा कि नवी मुंबई में खिताब जीतने का पल शानदार था जिसने पूरी टीम को अचरज में डाल दिया था। उन्होंने कहा, 'हमने इस कप को उठाने के लिए इतने साल तक इंतजार किया है।' राणा ने कहा कि इस साल की शुरुआत में भारत के इंग्लैंड दौरे के दौरान जब टीम को ‘किंग चार्ल्स’ से मिलने के लिए आमंत्रित किया गया था तब सहयोगी स्टाफ को छोड़ दिया गया था जिसके बाद टीम कप जीतने के लिए दृढ़ थी। उन्होंने कहा, 'एक छोटी सी कहानी, जब हम इंग्लैंड गए और किंग चार्ल्स से मिले, लेकिन हमारे कुछ सहयोगी स्टाफ को छोड़ दिया गया था। तो हमने कहा कि ‘ठीक है, वे किंग चार्ल्स से नहीं मिल सके’ लेकिन हम ट्रॉफी उठाएंगे और अपने सहयोगी स्टाफ के साथ अपने प्रधानमंत्री (नरेन्द्र मोदी) से मिलेंगे।’
राणा ने कहा, 'हमने इंग्लैंड में यह तय किया था और हमें वाकई खुशी है कि हमने वो पल हासिल किया और देश को खुशी दी।' करिश्माई सलामी बल्लेबाज शेफाली वर्मा की फाइनल में 87 रन की धमाकेदार पारी ने भारत को आसानी से मुकाबला जीतने में मदद की। उन्होंने कहा, 'अब हमें हर बार कप जीतने की आदत डालनी होगी। मैं हरियाणा से हूं इसलिए जीतने का एक अलग ही जोश होता है और जन्म से ही हमें शीर्ष पर पहुंचने का लक्ष्य रखना और जीत के बारे में सोचना सिखाया जाता है। अगर आपकी जीत की मानसिकता है तो आप भीड़ में अलग ही नजर आएंगे।
स्नेह राणा का बड़ा खुलासाराणा ने शुक्रवार को कहा, 'जब मैंने अपना क्रिकेट करियर शुरू किया था तो लोगों को लगता था कि यह (महिला क्रिकेट) होता ही नहीं है और हमें उतने मौके और सुविधाएं नहीं मिलती थीं। बल्कि महिला क्रिकेट बीसीसीआई के नियंत्रण में नहीं था।' उन्होंने कहा, '2006 में बीसीसीआई ने महिला क्रिकेट को अपने अधीन लिया और इसके बाद महिला क्रिकेट में बदलाव आने लगे, मैचों का प्रसारण टीवी पर होने लगा। उससे पहले मिताली राज, झूलन गोस्वामी, अंजुम चोपड़ा और कई अन्य खिलाड़ियों को ज्यादा लोग नहीं जानते थे।'
राणा ने कहा, 'लेकिन बीसीसीआई के अंतर्गत आने से महिला क्रिकेट को पहचान मिलनी शुरू हो गई और 2017 विश्व कप के बाद इसमें बड़ा बदलाव आया। उसके बाद का काफी विकास हुआ।' इंग्लैंड के खिलाफ लॉर्ड्स में 2017 महिला विश्व कप का फाइनल भारत के लिए वाकई एक ऐतिहासिक क्षण था जिसमें मिताली राज की अगुवाई वाली टीम ने मेजबान टीम को कड़ी टक्कर दी लेकिन बस 9 रन से हार गई।
एतिहासिक जीत से पहले की प्लानिंगराणा ने कहा कि नवी मुंबई में खिताब जीतने का पल शानदार था जिसने पूरी टीम को अचरज में डाल दिया था। उन्होंने कहा, 'हमने इस कप को उठाने के लिए इतने साल तक इंतजार किया है।' राणा ने कहा कि इस साल की शुरुआत में भारत के इंग्लैंड दौरे के दौरान जब टीम को ‘किंग चार्ल्स’ से मिलने के लिए आमंत्रित किया गया था तब सहयोगी स्टाफ को छोड़ दिया गया था जिसके बाद टीम कप जीतने के लिए दृढ़ थी। उन्होंने कहा, 'एक छोटी सी कहानी, जब हम इंग्लैंड गए और किंग चार्ल्स से मिले, लेकिन हमारे कुछ सहयोगी स्टाफ को छोड़ दिया गया था। तो हमने कहा कि ‘ठीक है, वे किंग चार्ल्स से नहीं मिल सके’ लेकिन हम ट्रॉफी उठाएंगे और अपने सहयोगी स्टाफ के साथ अपने प्रधानमंत्री (नरेन्द्र मोदी) से मिलेंगे।’
राणा ने कहा, 'हमने इंग्लैंड में यह तय किया था और हमें वाकई खुशी है कि हमने वो पल हासिल किया और देश को खुशी दी।' करिश्माई सलामी बल्लेबाज शेफाली वर्मा की फाइनल में 87 रन की धमाकेदार पारी ने भारत को आसानी से मुकाबला जीतने में मदद की। उन्होंने कहा, 'अब हमें हर बार कप जीतने की आदत डालनी होगी। मैं हरियाणा से हूं इसलिए जीतने का एक अलग ही जोश होता है और जन्म से ही हमें शीर्ष पर पहुंचने का लक्ष्य रखना और जीत के बारे में सोचना सिखाया जाता है। अगर आपकी जीत की मानसिकता है तो आप भीड़ में अलग ही नजर आएंगे।
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