रियाद: सऊदी अरब और पाकिस्तान ने एक रणनीतिक पारस्परिक रक्षा समझौते (SMDA) पर हस्ताक्षर किए हैं। इस समझौते के अनुसार, किसी भी एक देश पर हमला दूसरे पर हमला माना जाएगा। हालांकि, इसमें उनके समर्थन में सैन्य बल का प्रयोग करने का कोई दायित्व स्पष्ट नहीं किया गया है। पाकिस्तान के लिए इसे गेमचेंजर समझौता बताया जा रहा है। ऐसा भी कहा जा रहा है कि सऊदी अरब ने अपनी सुरक्षा को मजबूत करने के लिए पाकिस्तान के साथ यह समझौता किया है। दोनों देशों के संयुक्त बयान के अनुसार, इस समझौते के तहत दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग के पहलुओं को विकसित किया जाएगा।
सऊदी को क्यों सता रहा इजरायली हमले का डरएशिया टाइम्स की रिपोर्ट में सैन्य विशेषज्ञों के हवाले से बताया गया है कि सऊदी अरब हाल में ही कतर पर हुए इजरायली हमले को रोकने में अमेरिका की असमर्थता या इनकार से डर गया था। कतर अमेरिका का एक प्रमुख सुरक्षा सहयोगी है और इस देश में एक प्रमुख अमेरिकी एयरबेस भी मौजूद है, जहां हजारों सैनिक और थॉड-पैट्रियट जैसे डिफेंस सिस्टम भी तैनात हैं। ऐसे में सऊदी अरब को कोई ऐसा सहयोगी चाहिए था, जो पैसों के लिए कुछ भी करने को तैयार हो। पाकिस्तान में ऐसे सारे गुण मौजूद हैं, क्योंकि यह देश कंगाली की दहलीज पर खड़ा है और उसके पास सेना और आतंकवादी को बेचने के अलावा कुछ भी नहीं है। आतंकवादियों को कोई खरीदेगा नहीं, इसलिए वह अपने सैनिकों को किराए पर दूसरे देशों को दे रहा है।
सऊदी-पाकिस्तान पुराने सैन्य साझेदारसऊदी अरब कथित तौर पर परमाणु-सशस्त्र पाकिस्तान का पुराना सैन्य साझेदार है। उसने अतीत में कई बार पाकिस्तान की आर्थिक मदद भी की है। दोनों देश अपने घनिष्ठ संबंधों के जरिए इजरायल को रोकने की कोशिश भी कर रहे हैं। सऊदी अरब और पाकिस्तान दोनों ने ही इजरायल को एक देश के रूप में मान्यता नहीं दी है। दोनों देश सिर्फ इस्लाम के नाम पर इजरायल को अपना कट्टर दुश्मन मानते हैं, जबकि दोनों अपने साझा दुश्मन से हजारों मील दूर स्थित हैं। ऐसे में सऊदी अरब ने पाकिस्तान को एक सैन्य सहयोगी के रूप में देखा है, जिसके साझा हित जुड़े हुए हैं।
भारत के खिलाफ क्या कदम उठा सकता है सऊदीआशंका जताई जा रही है कि सऊदी अरब भविष्य में भारत के साथ किसी भी टकराव में पाकिस्तान का समर्थन करेगा। संभवत, सऊदी अरब तब तक भारत को तेल की आपूर्ति रोक देगा, जब तक कि पाकिस्तान के साथ उसकी शत्रुता समाप्त न हो जाए। अधिकतर विशेषज्ञों का मानना है कि भारत-पाकिस्तान युद्ध में सऊदी अरब किसी भी कीमत पर अपने सैनिकों को नहीं भेजेगा। वह कुछ हद तक पैसों से पाकिस्तान की मदद जरूर कर सकता है। सऊदी के सभी हथियार विदेशों, खासकर अमेरिका से आयातित हैं। ऐसे में वह बिना अमेरिकी मंजूरी के इन हथियारों को पाकिस्तान को सौंप नहीं सकता है।
क्या इजरायल पर परमाणु हमला करेगा पाकिस्तानपाकिस्तान ने कभी-कभार तनाव बढ़ने पर ही इजरायल की आलोचना की है। उसने कभी भी इजरायल को विश्वसनीय रूप से सैन्य धमकी नहीं दी है। पाकिस्तान के पास भले ही परमाणु बम है, लेकिन वह यह जानता है कि इजरायल भी ऐसी ही ताकत रखता है। वास्तविकता यह है कि इजरायल के पास परमाणु बम और उसे डिलीवर करने की मिसाइलें पाकिस्तान से ज्यादा अडवांस और शक्तिशाली हैं। दूसरी बात यह है कि इजरायल दुनिया की सबसे बड़ी सैन्य शक्ति अमेरिका का शागिर्द है। ऐसे में अगर पाकिस्तान भूलकर भी इजरायल पर परमाणु हमला करता है, तो इसे जिन्ना के सपनों वाले देश के अस्तित्व को खतरा पैदा हो जाएगा।
भारत-सऊदी अरब संबंधों को जानेंसऊदी अरब और भारत करीबी व्यापारिक साझेदार हैं। भारत सऊदी तेल के सबसे बड़े आयातकों में से एक है। दोनों देश, इज़राइल के साथ, भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारे (IMEC) का हिस्सा हैं, जिसकी घोषणा सितंबर 2023 में नई दिल्ली में आयोजित G20 शिखर सम्मेलन के दौरान की गई थी, लेकिन इसे गाजा युद्ध की समाप्ति तक स्थगित कर दिया गया है। 2023-24 में भारत और सऊदी अरब के बीच द्विपक्षीय व्यापार 42.98 बिलियन अमेरिकी डॉलर था। सऊदी अरब भारत के लिए तेल का एक प्रमुख स्रोत है, जबकि भारत, सऊदी अरब को खाद्यान का सबसे ज्यादा निर्यात करता है। दोनों देश नवीकरणीय ऊर्जा, इन्फ्रास्ट्रक्चर, और ग्रीन हाइड्रोजन जैसे क्षेत्रों में साथ काम कर रहे हैं। सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के विजन 2030 में भारत एक महत्वपूर्ण भागीदार है।
सऊदी को क्यों सता रहा इजरायली हमले का डरएशिया टाइम्स की रिपोर्ट में सैन्य विशेषज्ञों के हवाले से बताया गया है कि सऊदी अरब हाल में ही कतर पर हुए इजरायली हमले को रोकने में अमेरिका की असमर्थता या इनकार से डर गया था। कतर अमेरिका का एक प्रमुख सुरक्षा सहयोगी है और इस देश में एक प्रमुख अमेरिकी एयरबेस भी मौजूद है, जहां हजारों सैनिक और थॉड-पैट्रियट जैसे डिफेंस सिस्टम भी तैनात हैं। ऐसे में सऊदी अरब को कोई ऐसा सहयोगी चाहिए था, जो पैसों के लिए कुछ भी करने को तैयार हो। पाकिस्तान में ऐसे सारे गुण मौजूद हैं, क्योंकि यह देश कंगाली की दहलीज पर खड़ा है और उसके पास सेना और आतंकवादी को बेचने के अलावा कुछ भी नहीं है। आतंकवादियों को कोई खरीदेगा नहीं, इसलिए वह अपने सैनिकों को किराए पर दूसरे देशों को दे रहा है।
सऊदी-पाकिस्तान पुराने सैन्य साझेदारसऊदी अरब कथित तौर पर परमाणु-सशस्त्र पाकिस्तान का पुराना सैन्य साझेदार है। उसने अतीत में कई बार पाकिस्तान की आर्थिक मदद भी की है। दोनों देश अपने घनिष्ठ संबंधों के जरिए इजरायल को रोकने की कोशिश भी कर रहे हैं। सऊदी अरब और पाकिस्तान दोनों ने ही इजरायल को एक देश के रूप में मान्यता नहीं दी है। दोनों देश सिर्फ इस्लाम के नाम पर इजरायल को अपना कट्टर दुश्मन मानते हैं, जबकि दोनों अपने साझा दुश्मन से हजारों मील दूर स्थित हैं। ऐसे में सऊदी अरब ने पाकिस्तान को एक सैन्य सहयोगी के रूप में देखा है, जिसके साझा हित जुड़े हुए हैं।
भारत के खिलाफ क्या कदम उठा सकता है सऊदीआशंका जताई जा रही है कि सऊदी अरब भविष्य में भारत के साथ किसी भी टकराव में पाकिस्तान का समर्थन करेगा। संभवत, सऊदी अरब तब तक भारत को तेल की आपूर्ति रोक देगा, जब तक कि पाकिस्तान के साथ उसकी शत्रुता समाप्त न हो जाए। अधिकतर विशेषज्ञों का मानना है कि भारत-पाकिस्तान युद्ध में सऊदी अरब किसी भी कीमत पर अपने सैनिकों को नहीं भेजेगा। वह कुछ हद तक पैसों से पाकिस्तान की मदद जरूर कर सकता है। सऊदी के सभी हथियार विदेशों, खासकर अमेरिका से आयातित हैं। ऐसे में वह बिना अमेरिकी मंजूरी के इन हथियारों को पाकिस्तान को सौंप नहीं सकता है।
क्या इजरायल पर परमाणु हमला करेगा पाकिस्तानपाकिस्तान ने कभी-कभार तनाव बढ़ने पर ही इजरायल की आलोचना की है। उसने कभी भी इजरायल को विश्वसनीय रूप से सैन्य धमकी नहीं दी है। पाकिस्तान के पास भले ही परमाणु बम है, लेकिन वह यह जानता है कि इजरायल भी ऐसी ही ताकत रखता है। वास्तविकता यह है कि इजरायल के पास परमाणु बम और उसे डिलीवर करने की मिसाइलें पाकिस्तान से ज्यादा अडवांस और शक्तिशाली हैं। दूसरी बात यह है कि इजरायल दुनिया की सबसे बड़ी सैन्य शक्ति अमेरिका का शागिर्द है। ऐसे में अगर पाकिस्तान भूलकर भी इजरायल पर परमाणु हमला करता है, तो इसे जिन्ना के सपनों वाले देश के अस्तित्व को खतरा पैदा हो जाएगा।
भारत-सऊदी अरब संबंधों को जानेंसऊदी अरब और भारत करीबी व्यापारिक साझेदार हैं। भारत सऊदी तेल के सबसे बड़े आयातकों में से एक है। दोनों देश, इज़राइल के साथ, भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारे (IMEC) का हिस्सा हैं, जिसकी घोषणा सितंबर 2023 में नई दिल्ली में आयोजित G20 शिखर सम्मेलन के दौरान की गई थी, लेकिन इसे गाजा युद्ध की समाप्ति तक स्थगित कर दिया गया है। 2023-24 में भारत और सऊदी अरब के बीच द्विपक्षीय व्यापार 42.98 बिलियन अमेरिकी डॉलर था। सऊदी अरब भारत के लिए तेल का एक प्रमुख स्रोत है, जबकि भारत, सऊदी अरब को खाद्यान का सबसे ज्यादा निर्यात करता है। दोनों देश नवीकरणीय ऊर्जा, इन्फ्रास्ट्रक्चर, और ग्रीन हाइड्रोजन जैसे क्षेत्रों में साथ काम कर रहे हैं। सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के विजन 2030 में भारत एक महत्वपूर्ण भागीदार है।
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