इस्तांबुल: दुनिया के बड़े और ताकतवर मुस्लिम देशों के विदेश मंत्रियों की गाजा मुद्दे पर बैठक हुई है। ये बैठक सोमवार को तुर्की के इस्तांबुल शहर में हुई। बैठक का मुद्दा गाजा में सीजफायर के बाद के हालात की समीक्षा करना था। तुर्की, कतर, सऊदी अरब, यूएई, जॉर्डन, पाकिस्तान, इंडोनेशिया के विदेश मंत्रियों ने बैठक में सीजफायर के बावजूद गाजा में हमलों की घटनाओं पर चिंता जताई। वहीं चीजों में तेजी से बेहतरी ना आने को लेकर भी फिक्र जाहिर की गई। तुर्की ने हमास के शासन छोड़ने पर राजी होने की भी जानकारी दी है।
बैठक में मुस्लिम देशों के विदेश मंत्रियों ने ऐसे युद्धोत्तर ढांचे का समर्थन किया है, जिसमें फिलिस्तीन का शासन और सुरक्षा फिलिस्तीनियों के हाथ में हो। तुर्की के विदेश मंत्री हकान फिदान ने बैठक के बाद कहा कि हम गाजा के लिए युद्धोत्तर ढांचा देखना चाहता है, जिसमें फिलिस्तीनी अपना शासन चलाएं और सुरक्षा सुनिश्चित करें। साथ ही गाजा में स्थिरता के लिए प्रस्तावित टास्क फोर्स की तैनाती पर भी जोर दिया गया।
सैनिकों की तैनाती पर विमर्शफिदान ने कहा कि अमेरिका की मध्यस्थता वाले समझौते के तहत गाजा युद्धविराम की निगरानी करने वाले टास्क फोर्स को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की वैधता में लाया जाए। इसके आधार पर देश यह तय करेंगे कि वह अपने सैनिक भेजे जाएं या नहीं। फिलहाल यह जरूरी है कि ट्रंप की योजना के तहत गाजा युद्धविराम की निगरानी करने वाले अंतर्राष्ट्रीय स्थिरीकरण बल के पास संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव के तहत वैधता ढांचा बने।
अमेरिका वर्तमान में बल की संरचना तय करने के लिए अरब और अंतर्राष्ट्रीय साझेदारों के साथ काम कर रहा है। इजरायल के विरोध के बावजूद तुर्की इसमें भूमिका निभाने की उम्मीद कर रहा है। हकान ने कहा है कि जिन देशों से हमने बात की है, उनका कहना है कि वे आईएसएफ के अधिदेश और अधिकार के आधार पर सैनिक भेजने का फैसला करेंगे।
पाकिस्तान में भी चर्चाप्रस्तावित गाजा बल के लिए सैनिक भेजने के सवाल पर पाकिस्तान में भी शीर्ष स्तरीय विचार-विमर्श चल रहा है। इस पर जल्द ही औपचारिक घोषणा होने की उम्मीद है। ज्यादातर देश इस पर बात पर जोर दे रहे हैं कि सबसे पहले एक मसौदे पर आम सहमति बननी चाहिए। इसके बाद उसे सुरक्षा परिषद के सदस्यों से मंजूरी मिलनी चाहिए।
फिदान ने आगे कहा कि हम अब एक अत्यंत महत्वपूर्ण चरण में पहुंच गए हैं। हम नहीं चाहते कि गाजा में नरसंहार फिर से शुरू हो। सभी सात देशों ने फिलिस्तीनियों को गाजा की सुरक्षा और शासन पर नियंत्रण की योजना का समर्थन किया है। फिदान ने बताया कि हमास भी गाजा का प्रशासन फिलिस्तीनियों की समिति को सौंपने के लिए तैयार है।
युद्धविराम उल्लंघन की निंदापाकिस्तान के विदेश कार्यालय ने कहा कि विदेश मंत्री इशाक डार ने अन्य अरब-इस्लामी विदेश मंत्रियों के साथ मिलकर गाजा में स्थायी युद्धविराम और स्थायी शांति के लिए आगे के रास्ते पर विचार-विमर्श किया। नेताओं ने इजरायली युद्धविराम उल्लंघनों की निंदा की और फिलिस्तीनी क्षेत्र से इजरायल की वापसी की मांग की।
बैठक में मुस्लिम देशों के विदेश मंत्रियों ने ऐसे युद्धोत्तर ढांचे का समर्थन किया है, जिसमें फिलिस्तीन का शासन और सुरक्षा फिलिस्तीनियों के हाथ में हो। तुर्की के विदेश मंत्री हकान फिदान ने बैठक के बाद कहा कि हम गाजा के लिए युद्धोत्तर ढांचा देखना चाहता है, जिसमें फिलिस्तीनी अपना शासन चलाएं और सुरक्षा सुनिश्चित करें। साथ ही गाजा में स्थिरता के लिए प्रस्तावित टास्क फोर्स की तैनाती पर भी जोर दिया गया।
सैनिकों की तैनाती पर विमर्शफिदान ने कहा कि अमेरिका की मध्यस्थता वाले समझौते के तहत गाजा युद्धविराम की निगरानी करने वाले टास्क फोर्स को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की वैधता में लाया जाए। इसके आधार पर देश यह तय करेंगे कि वह अपने सैनिक भेजे जाएं या नहीं। फिलहाल यह जरूरी है कि ट्रंप की योजना के तहत गाजा युद्धविराम की निगरानी करने वाले अंतर्राष्ट्रीय स्थिरीकरण बल के पास संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव के तहत वैधता ढांचा बने।
अमेरिका वर्तमान में बल की संरचना तय करने के लिए अरब और अंतर्राष्ट्रीय साझेदारों के साथ काम कर रहा है। इजरायल के विरोध के बावजूद तुर्की इसमें भूमिका निभाने की उम्मीद कर रहा है। हकान ने कहा है कि जिन देशों से हमने बात की है, उनका कहना है कि वे आईएसएफ के अधिदेश और अधिकार के आधार पर सैनिक भेजने का फैसला करेंगे।
Deputy Prime Minister/Foreign Minister Senator Mohammad Ishaq Dar @MIshaqDar50 along with other Arab-Islamic Foreign Ministers, deliberated on the way forward for a lasting ceasefire and sustainable peace in Gaza.
— Ministry of Foreign Affairs - Pakistan (@ForeignOfficePk) November 3, 2025
The leaders jointly called for urgent humanitarian aid for the… pic.twitter.com/sPG2sz1uXm
पाकिस्तान में भी चर्चाप्रस्तावित गाजा बल के लिए सैनिक भेजने के सवाल पर पाकिस्तान में भी शीर्ष स्तरीय विचार-विमर्श चल रहा है। इस पर जल्द ही औपचारिक घोषणा होने की उम्मीद है। ज्यादातर देश इस पर बात पर जोर दे रहे हैं कि सबसे पहले एक मसौदे पर आम सहमति बननी चाहिए। इसके बाद उसे सुरक्षा परिषद के सदस्यों से मंजूरी मिलनी चाहिए।
फिदान ने आगे कहा कि हम अब एक अत्यंत महत्वपूर्ण चरण में पहुंच गए हैं। हम नहीं चाहते कि गाजा में नरसंहार फिर से शुरू हो। सभी सात देशों ने फिलिस्तीनियों को गाजा की सुरक्षा और शासन पर नियंत्रण की योजना का समर्थन किया है। फिदान ने बताया कि हमास भी गाजा का प्रशासन फिलिस्तीनियों की समिति को सौंपने के लिए तैयार है।
युद्धविराम उल्लंघन की निंदापाकिस्तान के विदेश कार्यालय ने कहा कि विदेश मंत्री इशाक डार ने अन्य अरब-इस्लामी विदेश मंत्रियों के साथ मिलकर गाजा में स्थायी युद्धविराम और स्थायी शांति के लिए आगे के रास्ते पर विचार-विमर्श किया। नेताओं ने इजरायली युद्धविराम उल्लंघनों की निंदा की और फिलिस्तीनी क्षेत्र से इजरायल की वापसी की मांग की।
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