महाभारत कथा में एक पात्र हैं घटोत्कच जो काफी बलशाली थे। उनका विशालकाय शरीर था और उनके बल से महाभारत के युद्ध में हाहाकार मच गया था। भीम के पुत्र घटोत्कच जब पांडवों की तरफ से युद्ध में पहुंचे थे तो उन्होंने कौरव सेना के छक्के छुड़ा दिए थे। यही नहीं घटोत्कच को बर्बरीक का पिता माना जाता है, कलियुग में खाटू श्यामजी के तौर पर पूजे जाते हैं। लेकिन ऐसा क्या हुआ था कि घटोत्कच को द्रौपदी ने श्राप दे दिया था, समझा जाता है कि इसी वजह से घटोत्कच की युद्ध भूमि में मृत्यु हुई थी। वह क्या श्राप था और द्रौपदी ने भीम पुत्र को यह श्राप क्यों दिया था। आइये विस्तार से जानते हैं।
भीम और हिडिंबा का मिलन
दरअसल पांडव दुर्योधन के लाक्षागृह की आग से बचकर जब निकले थे तो थके हारे एक पेड़ के नीचे आराम करने लगे थे। तब भीम पहरेदारी कर रहे थे। उसी वन में हिडिंब नामक राक्षस रहता था जिसने पांडवों को पकड़ने के लिए अपनी बहन हिडिंबा को भेजा। हिडिंबा ने भीम को देखा तो वह आकर्षित हो उठी। उसने माया से सुंदर रूप धारण किया और भीम से बातें करने लगी। और उन्हें सभी बातें बता दी। इस बीच अपनी बहन को ढूंढते हुए हिडिंब वहां पहुंचा तो उसने भीम और हिडिंबा को साथ में बात करते हुए देखा। वह गुस्से से लाल-पीला होकर हिडिंबा को दंडित करने के लिए आगे बढ़ा तो भीम ने उसे मार दिया।
मायावी और बलशाली था घटोत्कच
कथा कहती है कि तब तक सभी पांडव वहां पहुंच गए थे। तब हिडिंबा ने कुंती से प्रार्थना की कि उसने भीम को पति के रूप में स्वीकार कर लिया है। उसकी याचना को देखकर युधिष्ठिर को दया आ गई और उन्होंने भीम को दिन में हिडिंबा के साथ रहने की अनुमति दे दी। इसके बाद दोनों का एक पुत्र हुआ जिसके सिर पर बाल (उत्कच) नहीं थे इसलिए उसका नाम फिर घटोत्कच रखा गया। राक्षसी पुत्र होने के चलते वह मायावी और काफी बलशाली था।
द्रौपदी को अपमानित महसूस हुआ
बताते हैं कि यही घटोत्कच एक बार अपने पिता भीम से मिलने के लिए आया था। सभा में सभी पांडव बैठे थे और राजपाट लगा हुआ था। तब घटोत्कच ने अपनी मां हिडिंबा की आज्ञानुसार द्रौपदी का सम्मान नहीं किया। इससे द्रौपदी को अपमानित महसूस हुआ। द्रौपदी ने क्रोध में कहा कि वह पांडवों की पत्नी हैं। ब्राह्मण राजा की पुत्री हैं। इसलिए उनकी प्रतिष्ठा काफी ऊंची है। इसके बाद भी घटोत्कच ने भरी सभा में उनका अपमान किया। तब द्रौपदी ने घटोत्कच को श्राप दिया कि वह अल्पायु होगा।
महाभारत युद्ध में हुई घटोत्कच की मौत
इसके बाद महाभारत के युद्ध के दौरान जब घटोत्कच ने कौरव सेना में खलबली मचा दी थी तो किसी को कुछ सूझ नहीं रहा था। तब दुर्योधन ने कर्ण पर घटोत्कच के ऊपर अमोघास्त्र छोड़ने का दबाव बनाया। ये अमोघास्त्र कर्ण ने अर्जुन के लिए बचा रखा था लेकिन दुर्योधन ने तर्क किया कि अगर घटोत्कच नहीं मरा तो वही अकेले पूरी कौरव सेना को खत्म कर देगा। इसलिए पहले उसका वध करना जरूरी है। इसके बाद कर्ण के अमोघास्त्र से घटोत्कच की जान गई। साथ ही अर्जुन की भी जान बच गई क्योंकि अमोघास्त्र को कोई नहीं रोक सकता था। माना जाता है कि द्रौपदी के इसी श्राप से घटोत्कच की कम उम्र में मृत्यु हो गई।
भीम और हिडिंबा का मिलन
दरअसल पांडव दुर्योधन के लाक्षागृह की आग से बचकर जब निकले थे तो थके हारे एक पेड़ के नीचे आराम करने लगे थे। तब भीम पहरेदारी कर रहे थे। उसी वन में हिडिंब नामक राक्षस रहता था जिसने पांडवों को पकड़ने के लिए अपनी बहन हिडिंबा को भेजा। हिडिंबा ने भीम को देखा तो वह आकर्षित हो उठी। उसने माया से सुंदर रूप धारण किया और भीम से बातें करने लगी। और उन्हें सभी बातें बता दी। इस बीच अपनी बहन को ढूंढते हुए हिडिंब वहां पहुंचा तो उसने भीम और हिडिंबा को साथ में बात करते हुए देखा। वह गुस्से से लाल-पीला होकर हिडिंबा को दंडित करने के लिए आगे बढ़ा तो भीम ने उसे मार दिया।
मायावी और बलशाली था घटोत्कच
कथा कहती है कि तब तक सभी पांडव वहां पहुंच गए थे। तब हिडिंबा ने कुंती से प्रार्थना की कि उसने भीम को पति के रूप में स्वीकार कर लिया है। उसकी याचना को देखकर युधिष्ठिर को दया आ गई और उन्होंने भीम को दिन में हिडिंबा के साथ रहने की अनुमति दे दी। इसके बाद दोनों का एक पुत्र हुआ जिसके सिर पर बाल (उत्कच) नहीं थे इसलिए उसका नाम फिर घटोत्कच रखा गया। राक्षसी पुत्र होने के चलते वह मायावी और काफी बलशाली था।
द्रौपदी को अपमानित महसूस हुआ
बताते हैं कि यही घटोत्कच एक बार अपने पिता भीम से मिलने के लिए आया था। सभा में सभी पांडव बैठे थे और राजपाट लगा हुआ था। तब घटोत्कच ने अपनी मां हिडिंबा की आज्ञानुसार द्रौपदी का सम्मान नहीं किया। इससे द्रौपदी को अपमानित महसूस हुआ। द्रौपदी ने क्रोध में कहा कि वह पांडवों की पत्नी हैं। ब्राह्मण राजा की पुत्री हैं। इसलिए उनकी प्रतिष्ठा काफी ऊंची है। इसके बाद भी घटोत्कच ने भरी सभा में उनका अपमान किया। तब द्रौपदी ने घटोत्कच को श्राप दिया कि वह अल्पायु होगा।
महाभारत युद्ध में हुई घटोत्कच की मौत
इसके बाद महाभारत के युद्ध के दौरान जब घटोत्कच ने कौरव सेना में खलबली मचा दी थी तो किसी को कुछ सूझ नहीं रहा था। तब दुर्योधन ने कर्ण पर घटोत्कच के ऊपर अमोघास्त्र छोड़ने का दबाव बनाया। ये अमोघास्त्र कर्ण ने अर्जुन के लिए बचा रखा था लेकिन दुर्योधन ने तर्क किया कि अगर घटोत्कच नहीं मरा तो वही अकेले पूरी कौरव सेना को खत्म कर देगा। इसलिए पहले उसका वध करना जरूरी है। इसके बाद कर्ण के अमोघास्त्र से घटोत्कच की जान गई। साथ ही अर्जुन की भी जान बच गई क्योंकि अमोघास्त्र को कोई नहीं रोक सकता था। माना जाता है कि द्रौपदी के इसी श्राप से घटोत्कच की कम उम्र में मृत्यु हो गई।
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