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Trump Tariff Policy: एक झटके में फेर दिया पानी... ट्रंप के मिस कैलकुलेशन की अमेरिका चुकाएगा कीमत, भारत से ठायं-ठायं क्यों भारी?

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नई दिल्‍ली: डोनाल्ड ट्रंप की 'टैरिफ पॉलिसी' का नुकसान भारत से ज्‍यादा अमेरिका को होने वाला है। इसने अमेरिका के साथ भारत के रिश्तों में तनाव पैदा कर दिया है। बेशक, भारत के लिए मुश्किलें बढ़ेंगी। लेकिन, इसके दूरगामी नतीजे अमेरिका के लिए भी भारी पड़ सकते हैं। अमेरिका ने भारत पर 25% टैरिफ लगाने का ऐलान किया है। यह भारत को अमेरिका के साथ अपने रिश्‍तों पर फिर से विचार करने के लिए मजबूर करेगा। पिछले एक दशक में इन रिश्‍तों को बनाने में जितना भारत ने 'इन्‍वेस्‍ट' किया है, उससे कम अमेरिका का नहीं है। इन पर एक झटके में ट्रंप ने पानी फेर दिया है। ट्रंप का यह 'मिस कैलकुलेशन' अमेरिका की अर्थव्यवस्था और भू-राजनीतिक हितों को नुकसान पहुंचाएगा। खासकर तब जब भारत अपनी रणनीतिक आत्मनिर्भरता को मजबूत कर रहा है।



टैरिफ पॉलिसी का अमेरिका पर उल्टा असरएसबीआई रिसर्च की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, भारत पर 25% टैरिफ लगाने का ट्रंप का फैसला अमेरिका के लिए ही महंगा साबित होगा। यह नीति अमेरिका की अर्थव्यवस्था को कई तरह से नुकसान पहुंचाएगी। टैरिफ के कारण अमेरिकी उपभोक्ताओं को सालाना औसतन 2,400 डॉलर का अतिरिक्त बोझ उठाना पड़ सकता है। वहीं, कम आय वाले परिवारों पर इसका असर तीन गुना तक हो सकता है। इसके अलावा, रिपोर्ट बताती है कि इस नीति से अमेरिकी जीडीपी में गिरावट आ सकती है। डॉलर कमजोर हो सकता है।



रक्षा संबंधों पर लगेगी गहरी चोटरिपोर्टों के अनुसार, भारत ने अमेरिका के F-35 लड़ाकू विमानों की खरीद के प्रस्ताव को ठुकरा दिया है। अमेरिका के लिए इसे बड़ा झटका माना जा रहा है। यह फैसला भारत की बढ़ती आत्मनिर्भरता और 'मेक इन इंडिया' पहल को दर्शाता है। भारत अब महंगे ऑफ-द-शेल्फ सैन्य उपकरण खरीदने के बजाय संयुक्त डिजाइन और घरेलू मैन्‍यूफैक्‍चरिंग पर फोकस कर रहा है। इस फैसले से अमेरिका को यह संदेश भेजा गया है कि भविष्य में सैन्य सहयोग सिर्फ टेक्‍नोलॉजी शेयरिंग और घरेलू उत्पादन पर आधारित होगा। इस तरह भारत ने हथियारों की खरीद रोककर अमेरिका को बड़ी चोट पहुंचाई है। यह आर्थिक और सामरिक दोनों तरह से अहम है।



भारत के बिना चीन को रोक पाना होगी चुनौतीएशिया-प्रशांत क्षेत्र में चीन के बढ़ते सैन्य और आर्थिक प्रभाव का मुकाबला करने के लिए अमेरिका के सामने भारत एकमात्र विकल्प है। अगर अमेरिका भारत जैसे प्रमुख साझेदार को अपने पाले में नहीं रख पाता है तो चीन को रोकने की उसकी रणनीति को धक्का लगेगा। अपनी एकतरफा नीतियों के कारण अमेरिका पहले ही कई देशों से रिश्ते खराब कर चुका है। अब भारत से भी मजबूत रक्षा सहयोग न मिलना उसके भू-राजनीतिक हितों के लिए महंगा साबित होगा।



दवाओं की किल्लत, महंगाई का डरटैरिफ के चलते सबसे ज्यादा असर जेनेरिक दवाओं के बाजार पर पड़ सकता है। भारत अमेरिका की लगभग 47% मांग को पूरा करता है। अगर टैरिफ के चलते भारतीय दवाओं की सप्‍लाई प्रभावित होती है तो अमेरिका में दवाओं की किल्लत और कीमतों में भारी उछाल आ सकता है। यह अमेरिकी उपभोक्ताओं के लिए गंभीर समस्या पैदा करेगा। इससे घरेलू स्वास्थ्य सेवाओं पर दबाव बढ़ सकता है। एसबीआई रिसर्च का अनुमान है कि ग्‍लोबल सप्‍लाई चेन की 'छिपी हुई ताकतें' खुद को एडजस्‍ट कर भारत को कुछ राहत देंगी। लेकिन, अमेरिका पर इसका नकारात्मक असर साफ दिखेगा।

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