रोहतास: बिहार विधानसभा चुनाव के तहत करगहर विधानसभा सीट परआज सुबह से मतदान शुरू है, और यह सीट एक बार फिर सुर्खियों में है। रोहतास जिले के सासाराम अनुमंडल के अंतर्गत आने वाला यह क्षेत्र पूरी तरह से ग्रामीण है, जिसमें 257 गांव शामिल हैं, और यहां की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि पर निर्भर है। इस बार चुनावी मैदान में 12 प्रत्याशी किस्मत आजमा रहे हैं, लेकिन मुकाबला चतुष्कोणीय माना जा रहा है। मुख्य दावेदारों में एनडीए से जदयू प्रत्याशी वशिष्ठ सिंह, महागठबंधन से कांग्रेस के संतोष मिश्रा, जन सुराज से रितेश रंजन, और बसपा से उदय प्रताप सिंह शामिल हैं। इस सीट पर 2020 में 59.85% मतदान हुआ था, और 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को मिली मामूली 3,035 वोटों की बढ़त ने संकेत दिया है कि इस बार का मुकाबला बेहद कड़ा होगा।
करगहर विधानसभा सीट
करगहर सीट की पहचान सामाजिक और शैक्षिक चुनौतियों वाले क्षेत्र के रूप में भी है। 2011 की जनगणना के अनुसार, यहां की साक्षरता दर 73.71% है, लेकिन पुरुषों (73.71%) और महिलाओं (60.92%) की साक्षरता दर में एक बड़ा अंतर मौजूद है। राजनीतिक इतिहास की बात करें तो, 2008 में परिसीमन के बाद इसे अलग विधानसभा क्षेत्र का दर्जा मिला। जदयू ने 2010 और 2015 में लगातार दो बार यह सीट जीती थी, लेकिन 2020 में राजद ने मामूली अंतर से जीत दर्ज की। यह सीट सासाराम (अनुसूचित जाति आरक्षित) लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आती है, जहां अनुसूचित जातियों की भागीदारी लगभग 20.41% और मुस्लिम मतदाताओं की संख्या करीब 6.4% है। इस सीट पर कोई शहरी मतदाता नहीं है, जो इसे शुद्ध ग्रामीण राजनीति का केंद्र बनाता है।
सुबह से मतदान प्रक्रिया जारी
मतदान केवल प्रत्याशी चुनने तक सीमित नहीं रह गया है, बल्कि यह विकास बनाम सामाजिक समीकरणों की जंग का गवाह बनने जा रहा है। एनडीए अपनी पिछली सफलता और हालिया लोकसभा बढ़त को भुनाने की कोशिश में है, जबकि महागठबंधन अपनी 2020 की जीत को दोहराने का प्रयास करेगा। वहीं, जन सुराज के आगमन से मुकाबला और रोचक हो गया है, क्योंकि यह नया विकल्प पारंपरिक वोट पैटर्न को प्रभावित कर सकता है। 12 प्रत्याशी होने के बावजूद, मुख्य रूप से चार ध्रुवों के बीच बंटा यह चुनाव यह तय करेगा कि क्या करगहर की जनता निरंतरता में विश्वास रखती है, या फिर इस बार 'किंगमेकर' की भूमिका निभाते हुए राजनीतिक परिवर्तन का रास्ता चुनती है।
करगहर सीट वोटिंग प्रतिशत
करगहर सीट पर सुबह 9 बजे तक का वोटिंग प्रतिशत अभी क्लियर नहीं हुआ है। इस सीट पर जन सुराज की टिकट पर रितेश पांडेय और एनडीए की ओर से जेडीयू की टिकट पर वशिष्ट सिंह चुनाव मैदान में हैं।
करगहर विधानसभा सीट
करगहर सीट की पहचान सामाजिक और शैक्षिक चुनौतियों वाले क्षेत्र के रूप में भी है। 2011 की जनगणना के अनुसार, यहां की साक्षरता दर 73.71% है, लेकिन पुरुषों (73.71%) और महिलाओं (60.92%) की साक्षरता दर में एक बड़ा अंतर मौजूद है। राजनीतिक इतिहास की बात करें तो, 2008 में परिसीमन के बाद इसे अलग विधानसभा क्षेत्र का दर्जा मिला। जदयू ने 2010 और 2015 में लगातार दो बार यह सीट जीती थी, लेकिन 2020 में राजद ने मामूली अंतर से जीत दर्ज की। यह सीट सासाराम (अनुसूचित जाति आरक्षित) लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आती है, जहां अनुसूचित जातियों की भागीदारी लगभग 20.41% और मुस्लिम मतदाताओं की संख्या करीब 6.4% है। इस सीट पर कोई शहरी मतदाता नहीं है, जो इसे शुद्ध ग्रामीण राजनीति का केंद्र बनाता है।
सुबह से मतदान प्रक्रिया जारी
मतदान केवल प्रत्याशी चुनने तक सीमित नहीं रह गया है, बल्कि यह विकास बनाम सामाजिक समीकरणों की जंग का गवाह बनने जा रहा है। एनडीए अपनी पिछली सफलता और हालिया लोकसभा बढ़त को भुनाने की कोशिश में है, जबकि महागठबंधन अपनी 2020 की जीत को दोहराने का प्रयास करेगा। वहीं, जन सुराज के आगमन से मुकाबला और रोचक हो गया है, क्योंकि यह नया विकल्प पारंपरिक वोट पैटर्न को प्रभावित कर सकता है। 12 प्रत्याशी होने के बावजूद, मुख्य रूप से चार ध्रुवों के बीच बंटा यह चुनाव यह तय करेगा कि क्या करगहर की जनता निरंतरता में विश्वास रखती है, या फिर इस बार 'किंगमेकर' की भूमिका निभाते हुए राजनीतिक परिवर्तन का रास्ता चुनती है।
करगहर सीट वोटिंग प्रतिशत
करगहर सीट पर सुबह 9 बजे तक का वोटिंग प्रतिशत अभी क्लियर नहीं हुआ है। इस सीट पर जन सुराज की टिकट पर रितेश पांडेय और एनडीए की ओर से जेडीयू की टिकट पर वशिष्ट सिंह चुनाव मैदान में हैं।
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