यह कोई वेब सीरीज नहीं है, बल्कि गुड़गांव की एक प्राइवेट एजुकेशन कंपनी में काम कर चुके एम्प्लॉई के साथ हकीकत में हुआ। अब कर्मचारी ने सबूत (वीडियो) के साथ इस घटना को पूरी दुनिया के सामने रखा, जो अब इंटरनेट पर वायरल हो चुका है। उसने बताया कि यह घटना 4 अप्रैल की है और दो दिन बाद उन्होंने नौकरी छोड़ दी।
कर्मचारी की पोस्ट हो गई वायरल पीयूष ने लिंक्डइन पर " तत्काल इस्तीफा | मानसिक प्रताड़ना" शीर्षक के साथ लिखा- मैंने Hike Education से तत्काल प्रभाव से इस्तीफा दे दिया है। इसका कारण लगातार मानसिक प्रताड़ना, बदनामी और पेशेवर अपमान है, जो मेरी सीनियर मैनेजर रुचि पाराशर द्वारा किया गया। यह सिर्फ अनैतिक नहीं है, बल्कि कर्मचारियों के मूल अधिकारों का सीधा उल्लंघन है। मैंने लगभग एक साल तक Hike Education में काम किया- छात्रों की मदद की, एडमिशन प्रोसेस को लीड किया और भारत के प्रमुख विश्वविद्यालयों का प्रतिनिधित्व करते हुए अपनी भूमिका को पूरी ईमानदारी से निभाया। लेकिन इन सबके पीछे, रोजाना एक ऐसा माहौल था जिसमें मुझे मानसिक तौर पर तोड़ा जा रहा था। मेरी सीनियर मैनेजर रुचि पाराशर लगातार मुझे टारगेट लाने का दबाव डालती थीं। एक दिन उन्होंने मुझे जबरन एक नोट पर साइन करवा लिया, जिसमें लिखा था कि अगर मैंने टारगेट नहीं पूरा किया, तो मुझे 50 बार सीढ़ियां चढ़नी होंगी। और जब मैं उस दिन टारगेट नहीं ला पाया- मैंने माफी भी मांगी, लेकिन फिर भी मुझे सबके सामने कान पकड़कर बार-बार सीढ़ियां चढ़वाई गईं। इतना ही नहीं, उन्होंने एक अन्य कर्मचारी को कहा कि वह इस अपमान का वीडियो बनाए और फिर उसे ऑफिस के WhatsApp ग्रुप में डाल दिया। साथ में एक चेतावनी—“अगर बाकी लोग टारगेट नहीं लाएंगे, तो उनके साथ भी यही होगा।” मैंने इसके बाद HR से शिकायत की और एक औपचारिक जांच की मांग की। लेकिन HR ने कार्रवाई करने की बजाय मेरा ऑफिस ईमेल बंद कर दिया—जैसे कि संचार तोड़ देने से सच्चाई मिट जाएगी। मैं रुका नहीं। लगातार फॉलोअप के बाद, आखिरकार कंपनी के CEO राहुल शर्मा से Google Meet के जरिए बात हुई। लेकिन हुआ क्या? उन्होंने पूरा मामला ऐसे ही नजरअंदाज कर दिया, मानो कुछ हुआ ही न हो। बोले- "ये कोई गंभीर मामला नहीं है।" जबकि मेरे पास पब्लिक ह्युमिलिएशन, मानसिक शोषण और ऑफिस में दुराचार के साफ-साफ सबूत थे। आप पूरी पोस्ट लिंक्डइन पर पढ़ सकते हैं।
शख्स ने अपने सपोर्ट में पोस्ट किया वीडियो कर्मचारी की पोस्ट इंटरनेट पर छा गई है, जिसे सोशल मीडिया के अलग-अलग प्लेटफॉर्म्स से शेयर किया जा रहा है। पीयूष की पोस्ट को न्यूज लिखे जाने चक साढ़े 6 हजार से अधिक लाइक्स और 1300 से अधिक प्रतिक्रियाएं मिल चुकी है। इसके अलावा उन्होंने एक वीडियो भी पोस्ट किया, जिसके कैप्शन में उन्होंने लिखा कि इस केस में खुद के सपोर्ट के लिए मुझे यह वीडियो जुटाना पड़ा। आवाज एकदम साफ है।
इस पूरे मामले में कंपनी ने क्या कहा?
वहीं, Hike Education के CEO राहुल शर्मा ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है। उन्होंने HT.com को बताया, "पियूष के आरोप झूठे हैं। उन्होंने 3.6 लाख रुपये की डिमांड की थी और जब कंपनी ने मना किया, तो उन्होंने बदनाम करने की साजिश रची।" राहुल शर्मा ने यह भी बताया कि वीडियो में पियूष हंसते हुए, मजे लेते हुए सीढ़ियां चढ़ते नजर आ रहे हैं। उन्होंने इसे एक "स्वैच्छिक, अनौपचारिक टीम फन एक्टिविटी" बताया।CEO ने दावा किया कि कंपनी को पियूष कुमार के खिलाफ कई महिला कर्मचारियों से यौन उत्पीड़न की शिकायतें भी मिली थीं और कंपनी ने अपनी POSH नीति के तहत इन पर कार्रवाई की। अब सच्चाई क्या है और किसकी बात सच है, ये तो जांच का विषय है, लेकिन इस पूरी कहानी ने कॉर्पोरेट वर्ल्ड के 'वर्क कल्चर' और 'मानवता' पर बड़ा सवाल जरूर खड़ा कर दिया है। क्या सच में कंपनियां टारगेट के नाम पर कर्मचारियों को तोड़ रही हैं या ये बस एक पब्लिसिटी गेम है? क्या आप कभी ऐसे वर्क कल्चर का शिकार हुए हैं?
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