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भारत में ये बाजार 'लूट का सिस्टम'... कुछ नहीं लगता हाथ, सवाल उठाकर दिग्गज ने किया सावधान

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नई दिल्‍ली: जाने-माने निवेशक शंकर शर्मा ने भारत के डेरिवेटिव मार्केट पर सवाल उठाए हैं। उन्‍होंने इस बाजार को 'पूरी तरह से घोटाला' बताया है। दिग्‍गज इन्‍वेस्‍टर ने ऊंची ट्रेडिंग लागतों की आलोचना की है। उनका कहना है कि इससे छोटे निवेशकों को कुछ नहीं मिलता। वहीं, ब्रोकर, एक्सचेंज और सरकार मिलकर सिस्टम को 'लूट' रहे हैं। ऑप्शन ट्रेडर आनंद सरकार के एक पोस्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए शर्मा ने अपनी राय खुलकर रखी। सरकार ने अपनी ज्यादातर पूंजी अमेरिकी बाजारों में लगाने की घोषणा की थी। शर्मा ने कहा कि अमेरिकी बाजार बहुत सस्ता है। उन्होंने भारतीय डेरिवेटिव बाजार को ऊंची लागत के कारण एक घोटाला बताया। उनके अनुसार, इससे सिर्फ ब्रोकर, एक्सचेंज और सरकार ही पैसा कमाते हैं। बाकी सब खाली हाथ रह जाते हैं।



दरअसल, आनंद सरकार नाम के एक ट्रेडर ने सीबीओई (शिकागो बोर्ड ऑप्शंस एक्सचेंज) की तारीफ की थी। उन्होंने इसकी लिक्विडिटी, कम ट्रेडिंग लागत और शून्‍य डीटीई (जीरो डेज टू एक्सपायरी) ऑप्शंस की उपलब्धता की सराहना की थी। उन्होंने यह भी कहा कि यूएई से इंटरैक्टिव ब्रोकर्स के जरिये ट्रेडिंग करने पर कोई इनकम टैक्स नहीं लगता है।









भारत में ट्रेड‍िंंग कॉस्‍ट बहुत ज्‍यादा

भारत में 20 रुपये फ्लैट-फीस वाले डिस्काउंट ब्रोकर होने की बात कही जाती है। लेकिन, असल में ट्रेडिंग की लागत बहुत ज्यादा होती है। जीएसटी, एसटीटी/सीटीटी, सेबी चार्ज और स्टाम्प ड्यूटी जैसे टैक्स लगने से मुनाफा कम हो जाता है। खासकर, हाई-फ्रीक्वेंसी ट्रेडर्स के लिए यह नुकसानदायक है। अमेरिका में प्रति-कॉन्ट्रैक्ट फीस अक्सर 0.50 डॉलर जितनी कम होती है। जबकि भारत में कई तरह के शुल्क लगने से लागत बढ़ जाती है। इससे छोटे मार्जिन वाली रणनीतियों पर काम करने वालों को नुकसान होता है।



बि‍चौल‍ियों को होता है फायदा

आलोचकों का कहना है कि भारत का डेरिवेटिव बाजार संस्थानों और बिचौलियों को फायदा पहुंचाता है। छोटे ट्रेडर्स सारा जोखिम उठाते हैं। जबकि सरकार, ब्रोकर और एक्सचेंज हर ट्रांजैक्शन से मुनाफा कमाते हैं, चाहे फायदा हो या नुकसान।



शंकर शर्मा के इस बयान से भारतीय ट्रेडर्स और निवेशकों की भावनाएं सामने आई हैं। वे महसूस करते हैं कि सिस्टम उनसे फायदा तो लेता है। लेकिन, उन्हें उचित मौका नहीं देता। शर्मा ने कहा, 'मैंने यह बहुत पहले कहा था: अमेरिका बहुत सस्ता है। भारतीय डेरिवेटिव बाजार अल्ट्रा हाई कॉस्ट के कारण एक घोटाला है, जो रिटर्न को बहुत कम कर देता है। सिर्फ ब्रोकर, एक्सचेंज और सरकार पैसा कमाते हैं। बाकी सब, ठन ठन गोपाल। क्या लूटा इन तीनों ने...।'

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