नई दिल्ली: जब भी किसी शख्स को 1 या 2 करोड़ के पैकेज की जॉब मिलती है तो ज्यादातर को लगता है कि उसकी लाइफ सेट हो गई। वहीं कुछ ऐसे होते हैं जिन्हें आगे बढ़ने की ललक होती है और नया सीखने का जुनून। ऐसे में वे करोड़ों के पैकेज वाली नौकरी भी छोड़ देते हैं। इन्हीं में मनोज टुमू (Manoj Tumu) भी शामिल हैं। 23 साल के मनोज भारतीय-अमेरिकी इंजीनियर हैं। उन्होंने मार्क जकरबर्ग की कंपनी मेटा के लिए अमेजन की 3.36 करोड़ की नौकरी छोड़ दी है। इस कारण मनोज आजकल चर्चा में हैं।
एआई और एमएल की मांगआजकल टेक्नोलॉजी बहुत तेजी से बदल रही है। खासकर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और मशीन लर्निंग (ML) में बहुत विकास हो रहा है। एआई और एमएल की वजह से नए-नए काम निकल रहे हैं और लोगों को बहुत अच्छी सैलरी मिल रही है। दुनिया भर की बड़ी कंपनियां इन फील्ड में काम करने वाले लोगों को ढूंढ रही हैं। इसलिए, जो लोग इंजीनियर बनना चाहते हैं, वे खूब मेहनत कर रहे हैं ताकि उन्हें अच्छी नौकरी मिल सके।
मनोज ने शेयर किए अपने अनुभवमनोज टुमू ने बिजनेस इनसाइडर (Business Insider) के लिए एक आर्टिकल लिखा है। इसमें उन्होंने अपने करियर के बारे में कुछ बातें बताई हैं। वे चाहते हैं कि उनकी बातें दूसरे युवा इंजीनियरों की मदद करें। उन्होंने कहा कि पर्सनल प्रोजेक्ट से ज्यादा प्रोफेशनल एक्सपीरियंस जरूरी है। उन्होंने लिखा है कि प्रोजेक्ट शुरू में तो ठीक हैं, लेकिन बाद में उन्हें पीछे छोड़ देना चाहिए।
बिना सिफारिश के मिली नौकरीमनोज ने बताया कि जब उन्होंने अमेजन और मेटा में नौकरी के लिए अप्लाई किया, तो उन्होंने अपने रेज्यूमे (resume) से प्रोजेक्ट का काम हटा दिया था। उन्होंने सिर्फ अपने प्रोफेशनल एक्सपीरियंस पर ध्यान दिया। उन्होंने यह भी बताया कि उन्होंने किसी से सिफारिश नहीं करवाई थी। उन्होंने सीधे कंपनी की वेबसाइट और लिंक्डइन (LinkedIn) के माध्यम से अप्लाई किया था। उनका अच्छा रेज्यूमे ही काफी था।
इंटरव्यू की तैयारी के लिए दिए टिप्समनोज टुमू ने इंटरव्यू की तैयारी के बारे में भी बताया। उन्होंने कहा कि बहुत से लोग बिहेवियरल इंटरव्यू (behavioural interview) की तैयारी नहीं करते हैं, जो कि एक गलती है। उन्होंने बताया कि कंपनी के मूल्यों के अनुसार जवाब देना बहुत जरूरी है।
जब वे अमेजन और मेटा में इंटरव्यू दे रहे थे तो उन्होंने अपने जवाबों को अमेजन के लीडरशिप प्रिंसिपल्स (leadership principles) और मेटा के कॉर्पोरेट वैल्यूज (corporate values) के अनुसार ढाला। मेटा में उनके इंटरव्यू में एक स्क्रीनिंग कॉल और छह हफ्तों में कोडिंग, मशीन लर्निंग और बिहेवियरल असेसमेंट के चार से छह राउंड शामिल थे।
...और बदल गई किस्मतमनोज ने बताया कि कॉलेज के दौरान उन्हें इंटर्नशिप नहीं मिली थी। लेकिन, ग्रेजुएशन के बाद उन्हें एक कॉन्ट्रैक्ट रोल मिला, जिससे उन्हें अच्छा एक्सपीरियंस मिला। जब उन्हें एक सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग की नौकरी और एक कम सैलरी वाली मशीन लर्निंग की नौकरी में से किसी एक को चुनना था, तो उन्होंने मशीन लर्निंग की नौकरी चुनी क्योंकि उन्हें उसमें ज्यादा दिलचस्पी थी। उनका मानना है कि इस फैसले से उन्हें आज जैसी नौकरियां मिली हैं।
एआई और एमएल की मांगआजकल टेक्नोलॉजी बहुत तेजी से बदल रही है। खासकर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और मशीन लर्निंग (ML) में बहुत विकास हो रहा है। एआई और एमएल की वजह से नए-नए काम निकल रहे हैं और लोगों को बहुत अच्छी सैलरी मिल रही है। दुनिया भर की बड़ी कंपनियां इन फील्ड में काम करने वाले लोगों को ढूंढ रही हैं। इसलिए, जो लोग इंजीनियर बनना चाहते हैं, वे खूब मेहनत कर रहे हैं ताकि उन्हें अच्छी नौकरी मिल सके।
मनोज ने शेयर किए अपने अनुभवमनोज टुमू ने बिजनेस इनसाइडर (Business Insider) के लिए एक आर्टिकल लिखा है। इसमें उन्होंने अपने करियर के बारे में कुछ बातें बताई हैं। वे चाहते हैं कि उनकी बातें दूसरे युवा इंजीनियरों की मदद करें। उन्होंने कहा कि पर्सनल प्रोजेक्ट से ज्यादा प्रोफेशनल एक्सपीरियंस जरूरी है। उन्होंने लिखा है कि प्रोजेक्ट शुरू में तो ठीक हैं, लेकिन बाद में उन्हें पीछे छोड़ देना चाहिए।
बिना सिफारिश के मिली नौकरीमनोज ने बताया कि जब उन्होंने अमेजन और मेटा में नौकरी के लिए अप्लाई किया, तो उन्होंने अपने रेज्यूमे (resume) से प्रोजेक्ट का काम हटा दिया था। उन्होंने सिर्फ अपने प्रोफेशनल एक्सपीरियंस पर ध्यान दिया। उन्होंने यह भी बताया कि उन्होंने किसी से सिफारिश नहीं करवाई थी। उन्होंने सीधे कंपनी की वेबसाइट और लिंक्डइन (LinkedIn) के माध्यम से अप्लाई किया था। उनका अच्छा रेज्यूमे ही काफी था।
इंटरव्यू की तैयारी के लिए दिए टिप्समनोज टुमू ने इंटरव्यू की तैयारी के बारे में भी बताया। उन्होंने कहा कि बहुत से लोग बिहेवियरल इंटरव्यू (behavioural interview) की तैयारी नहीं करते हैं, जो कि एक गलती है। उन्होंने बताया कि कंपनी के मूल्यों के अनुसार जवाब देना बहुत जरूरी है।
जब वे अमेजन और मेटा में इंटरव्यू दे रहे थे तो उन्होंने अपने जवाबों को अमेजन के लीडरशिप प्रिंसिपल्स (leadership principles) और मेटा के कॉर्पोरेट वैल्यूज (corporate values) के अनुसार ढाला। मेटा में उनके इंटरव्यू में एक स्क्रीनिंग कॉल और छह हफ्तों में कोडिंग, मशीन लर्निंग और बिहेवियरल असेसमेंट के चार से छह राउंड शामिल थे।
...और बदल गई किस्मतमनोज ने बताया कि कॉलेज के दौरान उन्हें इंटर्नशिप नहीं मिली थी। लेकिन, ग्रेजुएशन के बाद उन्हें एक कॉन्ट्रैक्ट रोल मिला, जिससे उन्हें अच्छा एक्सपीरियंस मिला। जब उन्हें एक सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग की नौकरी और एक कम सैलरी वाली मशीन लर्निंग की नौकरी में से किसी एक को चुनना था, तो उन्होंने मशीन लर्निंग की नौकरी चुनी क्योंकि उन्हें उसमें ज्यादा दिलचस्पी थी। उनका मानना है कि इस फैसले से उन्हें आज जैसी नौकरियां मिली हैं।
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