ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया
आज जब पत्रों को अतीत की धरोहर समझकर भुला दिया गया है, भारतीय डाक व्यवस्था दिखा रही है कि असली विकास बदलाव और समय के साथ कदम मिलाने में है। देशभर में फैले 1.6 लाख से ज्यादा डाकघरों के विशाल नेटवर्क के साथ डाक विभाग अपनी नई कहानी लिख रहा है। कभी यह सफर दुनिया का सबसे बड़ा लॉजिस्टिक्स नेटवर्क बनने तक पहुंचा। अब यह आम लोगों तक आर्थिक स्वतंत्रता, सशक्तिकरण और नए अवसर पहुंचाने का जरिया बन गया है वह डाकिया, जो कभी उम्मीद और अपनापन बांटने वाले खत पहुंचाता था, आज हर दरवाजे तक वित्तीय सुविधा और गरिमा की डोर थमा रहा है।
डिजिटल लेनदेन: प्रधानमंत्री के नेतृत्व में बैंकिंग सुविधा छोटे-छोटे इलाकों तक पहुंच चुकी है, तब इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक गांव-गांव तक पहुंचकर लोगों की जिंदगी बदल रहा है। इसने हर ग्रामीण खाते को डिजिटल दुनिया से जोड़कर भारत को उस भविष्य की ओर बढ़ाया है, जहां 2026 तक लगभग 65% लेनदेन डिजिटल माध्यम से होंगे। तकनीक को अपनाकर नए साझेदार जोड़कर और सेवाओं का दायरा बढ़ाकर डाक विभाग ने IPPB के जरिए साधारण डाकघरों को सच्चे मायनों में ग्रामीण वित्तीय केंद्र बना दिया है। यह बदलाव दिखाता है कि सबसे पुरानी भारतीय डाक संस्थाएं भी समय के साथ बदलकर लोगों की जरूरतें पूरी कर सकती हैं और देश को नए रास्ते पर ले जा सकती हैं।
आर्थिक मजबूती: 8 साल पहले जब इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक की नींव रखी गई, तब मकसद सिर्फ खाते खोलना नहीं, बल्कि यह सुनिश्चित करना था कि देश का कोई भी कोना और कोई भी नागरिक औपचारिक अर्थव्यवस्था से बाहर न रह जाए। आज यह सपना हकीकत में बदल चुका है। 11.67 करोड़ से ज्यादा लोग इससे जुड़े हैं और इनमें से लगभग 80% ग्रामीण भारत के हैं। सबसे प्रेरक पहलू यह है कि 48.5% खाते महिलाओं के नाम पर हैं। इस क्रांति ने लाखों महिलाओं को आर्थिक रूप से मजबूत बनाया है। इस बदलाव की गति भी हैरान करने वाली है हर दो सेकंड में कोई नया व्यक्ति इस परिवार का हिस्सा बन रहा।
सुरक्षित और पारदर्शी: आज IPPB की जमा राशि 20,000 करोड़ रुपये के करीब पहुंच चुकी है। केवल राजस्व ही 2,200 करोड़ रुपये है और 134 करोड़ रुपये का लाभ दर्ज किया गया है। पिछले दो वर्षों में 60-70% की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर हासिल करना किसी चमत्कार से कम नहीं अब तक 1,300 करोड़ से अधिक डिजिटल लेनदेन किए जा चुके हैं, जिनकी कुल राशि 13 लाख करोड़ रुपये है। यह उपलब्धि भारत को दुनिया के उन देशों की कतार में खड़ा करती है, जो रियल टाइम डिजिटल पेमेंट्स में वैश्विक नेतृत्व कर रहे हैं। IPPB देश में डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर को भी सुलभ बना रहा है। इससे सब्सिडी, मजदूरी और पेंशन पारदर्शी तरीके से नागरिकों तक पहुंच रही है।
पूर्वोत्तर की कहानी: स्थापना से अब तक IPPB ने पूर्वोत्तर में 51 लाख से अधिक खाते खोले हैं। 8,500 से अधिक डाकिया और ग्रामीण डाक सेवक रोजाना उन गांवों तक पहुंचते हैं, जहां के लोगों के लिए कभी बैंक जाना पूरे दिन का सफर हुआ करता था। आज असम और मेघालय में महिलाएं स्वयं सहायता समूहों के जरिए QR कोड से भुगतान स्वीकार कर रही है, अरुणाचल प्रदेश की घाटियों में पेंशन व सब्सिडी सीधे घरों तक पहुंच रही है।
विश्वास का सम्मानः IPPB की हर सेवा आधार सक्षम और कागज रहित जरूर है, लेकिन उसे पहुंचाने वाले हैं भरोसेमंद डाकिया । अब तक 100 करोड़ से अधिक डोरस्टेप सेवाएं पूरी की जा चुकी हैं। हर सेवा अपने आप में सशक्तिकरण की एक कहानी है भारत पोस्ट पेमेंट्स बैंक के 8वें स्थापना दिवस पर हम केवल एक संस्था के उदय का उत्सव नहीं मना रहे, बल्कि विश्वास, सेवा और निरंतरता का सम्मान कर रहे हैं।
(लेखक केंद्रीय संचार एवं पूर्वोत्तर क्षेत्रों के विकास मंत्री हैं)
आज जब पत्रों को अतीत की धरोहर समझकर भुला दिया गया है, भारतीय डाक व्यवस्था दिखा रही है कि असली विकास बदलाव और समय के साथ कदम मिलाने में है। देशभर में फैले 1.6 लाख से ज्यादा डाकघरों के विशाल नेटवर्क के साथ डाक विभाग अपनी नई कहानी लिख रहा है। कभी यह सफर दुनिया का सबसे बड़ा लॉजिस्टिक्स नेटवर्क बनने तक पहुंचा। अब यह आम लोगों तक आर्थिक स्वतंत्रता, सशक्तिकरण और नए अवसर पहुंचाने का जरिया बन गया है वह डाकिया, जो कभी उम्मीद और अपनापन बांटने वाले खत पहुंचाता था, आज हर दरवाजे तक वित्तीय सुविधा और गरिमा की डोर थमा रहा है।
डिजिटल लेनदेन: प्रधानमंत्री के नेतृत्व में बैंकिंग सुविधा छोटे-छोटे इलाकों तक पहुंच चुकी है, तब इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक गांव-गांव तक पहुंचकर लोगों की जिंदगी बदल रहा है। इसने हर ग्रामीण खाते को डिजिटल दुनिया से जोड़कर भारत को उस भविष्य की ओर बढ़ाया है, जहां 2026 तक लगभग 65% लेनदेन डिजिटल माध्यम से होंगे। तकनीक को अपनाकर नए साझेदार जोड़कर और सेवाओं का दायरा बढ़ाकर डाक विभाग ने IPPB के जरिए साधारण डाकघरों को सच्चे मायनों में ग्रामीण वित्तीय केंद्र बना दिया है। यह बदलाव दिखाता है कि सबसे पुरानी भारतीय डाक संस्थाएं भी समय के साथ बदलकर लोगों की जरूरतें पूरी कर सकती हैं और देश को नए रास्ते पर ले जा सकती हैं।
आर्थिक मजबूती: 8 साल पहले जब इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक की नींव रखी गई, तब मकसद सिर्फ खाते खोलना नहीं, बल्कि यह सुनिश्चित करना था कि देश का कोई भी कोना और कोई भी नागरिक औपचारिक अर्थव्यवस्था से बाहर न रह जाए। आज यह सपना हकीकत में बदल चुका है। 11.67 करोड़ से ज्यादा लोग इससे जुड़े हैं और इनमें से लगभग 80% ग्रामीण भारत के हैं। सबसे प्रेरक पहलू यह है कि 48.5% खाते महिलाओं के नाम पर हैं। इस क्रांति ने लाखों महिलाओं को आर्थिक रूप से मजबूत बनाया है। इस बदलाव की गति भी हैरान करने वाली है हर दो सेकंड में कोई नया व्यक्ति इस परिवार का हिस्सा बन रहा।
सुरक्षित और पारदर्शी: आज IPPB की जमा राशि 20,000 करोड़ रुपये के करीब पहुंच चुकी है। केवल राजस्व ही 2,200 करोड़ रुपये है और 134 करोड़ रुपये का लाभ दर्ज किया गया है। पिछले दो वर्षों में 60-70% की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर हासिल करना किसी चमत्कार से कम नहीं अब तक 1,300 करोड़ से अधिक डिजिटल लेनदेन किए जा चुके हैं, जिनकी कुल राशि 13 लाख करोड़ रुपये है। यह उपलब्धि भारत को दुनिया के उन देशों की कतार में खड़ा करती है, जो रियल टाइम डिजिटल पेमेंट्स में वैश्विक नेतृत्व कर रहे हैं। IPPB देश में डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर को भी सुलभ बना रहा है। इससे सब्सिडी, मजदूरी और पेंशन पारदर्शी तरीके से नागरिकों तक पहुंच रही है।
पूर्वोत्तर की कहानी: स्थापना से अब तक IPPB ने पूर्वोत्तर में 51 लाख से अधिक खाते खोले हैं। 8,500 से अधिक डाकिया और ग्रामीण डाक सेवक रोजाना उन गांवों तक पहुंचते हैं, जहां के लोगों के लिए कभी बैंक जाना पूरे दिन का सफर हुआ करता था। आज असम और मेघालय में महिलाएं स्वयं सहायता समूहों के जरिए QR कोड से भुगतान स्वीकार कर रही है, अरुणाचल प्रदेश की घाटियों में पेंशन व सब्सिडी सीधे घरों तक पहुंच रही है।
विश्वास का सम्मानः IPPB की हर सेवा आधार सक्षम और कागज रहित जरूर है, लेकिन उसे पहुंचाने वाले हैं भरोसेमंद डाकिया । अब तक 100 करोड़ से अधिक डोरस्टेप सेवाएं पूरी की जा चुकी हैं। हर सेवा अपने आप में सशक्तिकरण की एक कहानी है भारत पोस्ट पेमेंट्स बैंक के 8वें स्थापना दिवस पर हम केवल एक संस्था के उदय का उत्सव नहीं मना रहे, बल्कि विश्वास, सेवा और निरंतरता का सम्मान कर रहे हैं।
(लेखक केंद्रीय संचार एवं पूर्वोत्तर क्षेत्रों के विकास मंत्री हैं)
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