अखंड प्रताप सिंह, गाजियाबाद: पूरे देश में गाजियाबाद कभी टॉप पर तो कभी टॉप 10 प्रदूषित शहरों की सूची में रहता है। इसके बाद भी जिम्मेदार जमीनी स्तर पर इसे कंट्रोल करने में विफल साबित हो रहे हैं। रविवार को भी शहर का एक्यूआई 345 दर्ज किया जो सामान्य से पांच पांच गुना अधिक है। इससे न केवल लोग जहरीली हवा की मार झेल रहे है, बल्कि घरेलू बजट भी बुरी तरह बिगड़ रहा है।
सांस और त्वचा संबंधी बीमारी होने पर डॉक्टरों की फीस, महंगी दवाइयां, एयर प्यूरीफायर और बढ़े हुए बिजली बिल ने गाजियाबाद के निवासियों पर लाखों रुपये का अतिरिक्त बोझ डाल दिया है। दो दिन पहले ग्रेटर नोएडा में दो मंत्रियों ने चार जिलों के अफसरों की मीटिंग ली। इसके बाद भी हालात में कोई सुधार नहीं है। कुछ केस स्टडी में पता चला कि इस मौसम की वजह से एक परिवार में हजारों रुपये का खर्च बढ़ गया है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, प्रदूषण कम करने के लिए निगम ने करोड़ों रुपये खर्च किए, लेकिन वायु गुणवत्ता में सुधार नहीं हो रहा है।
नहीं हो रहा है सुधारपिछले दो दिन से एक्यूआई 300 के पार चल रहा है। रविवार को 345 पहुंच गया। इसमें वसुंधरा का एक्यूआई 411, लोनी का 369, संजयनगर 330 और इंदिरापुरम का 310 रहा। हवा की रफ्तार 10 किमी प्रतिघंटे से चल रही है। शहर के अलग-अलग एरिया में जल रहे कूड़े और उड़ रही धूल ही प्रदूषण बढ़ाने का सबसे बड़ा कारण बना हुआ है। इसके अलावा पराली जलने की समस्या भी बड़ी है।
जेब पर 'स्मॉग' टैक्सहवा में पीएम2.5 और पीएम10 कणों की अधिकता सीधे तौर पर श्वसन और हृदय संबंधी बीमारियों को बढ़ा रही है। हालिया सर्वेक्षण के अनुसार एनसीआर में रहने वाले लगभग 33 प्रतिशत लोग खराब हवा के कारण इलाज और दवा पर ज्यादा खर्च कर रहे हैं। इसे लोग स्मॉग टैक्स कहने लगे हैं।
केस स्टडी-1लाजपत नगर निवासी एमबी करुण ने बताया कि 15 दिन पहले उनकी 75 वर्षीय मा चिनम्मा के दोनों घुटने प्रत्यारोपित हुए। डॉक्टर ने इंफेक्शन से बचने की सलाह दी। इसलिए इस महीने अत्यधिक खर्च होने के बावजूद 15 हजार का एयर प्यूरीफायर खरीदा। 24 घंटे चलाने से बिजली बिल भी ज्यादा आएगा। ऐसे में मां को हैदराबाद भेजने की सोच रही हूं।
केस स्टडी-2राजनगर एक्सटेंशन निवासी विक्रात शर्मा ने बताया कि मुझे आखों में पिछले एक महीने से ड्राइनेस और जलन जैसी समस्या है। मेरे 10 वर्षीय बेटे को एलर्जी की समस्या है, उसके लिए एयर प्यूरीफायर की व्यवस्था रखता हूं। पिताजी हार्ट पेशेट है, जिन्हें इंफेक्शन से बचने की जरूरत है। घर में दवाड्या और एयर प्यूरीफायर पर बहुत पैसा खर्च करना पड़ रहा है। यही हाल रहा तो यह शहर छोड़कर कहीं दूर जाना होगा।
फेफड़ों के साथ हड्डियां भी हो रहीं कमजोरजहरीली हवा इसका असर सिर्फ फेफड़ों तक सीमित नहीं रह गया है, बल्कि यह हड्डियों को भी कमजोर करने लगा है। इससे अस्पताल में सास में दिक्कत के साथ बॉडी पेन के मरीज बढ़ रहे है। जिला एमएमजी के फिजिशन डॉक्टर आलोक रजन ने बताया कि बढ़ते प्रदूषण से शरीर में ऑक्सिजन की मात्रा कम हो जाती है और हड्डियों तक पर्याप्त पोषण नहीं पहुंच पाता, जिससे वे कमजोर होने लगती है।
यूपीपीसीबी रीजनल ऑफिसर अंकित कुमार ने कहा कि ग्रेटर नोएडा में राज्यमंत्री की अगुवाई में हुई मीटिंग के बाद जिले मे प्रदूषण को कम किए जाने की दिशा में प्लान तैयार किया जाएगा। इसे सभी विभागों को भेजा जाएगा। साथ ही इसकी नियमित रूप से मॉनिटरिंग भी की जाएगी।
सांस और त्वचा संबंधी बीमारी होने पर डॉक्टरों की फीस, महंगी दवाइयां, एयर प्यूरीफायर और बढ़े हुए बिजली बिल ने गाजियाबाद के निवासियों पर लाखों रुपये का अतिरिक्त बोझ डाल दिया है। दो दिन पहले ग्रेटर नोएडा में दो मंत्रियों ने चार जिलों के अफसरों की मीटिंग ली। इसके बाद भी हालात में कोई सुधार नहीं है। कुछ केस स्टडी में पता चला कि इस मौसम की वजह से एक परिवार में हजारों रुपये का खर्च बढ़ गया है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, प्रदूषण कम करने के लिए निगम ने करोड़ों रुपये खर्च किए, लेकिन वायु गुणवत्ता में सुधार नहीं हो रहा है।
नहीं हो रहा है सुधारपिछले दो दिन से एक्यूआई 300 के पार चल रहा है। रविवार को 345 पहुंच गया। इसमें वसुंधरा का एक्यूआई 411, लोनी का 369, संजयनगर 330 और इंदिरापुरम का 310 रहा। हवा की रफ्तार 10 किमी प्रतिघंटे से चल रही है। शहर के अलग-अलग एरिया में जल रहे कूड़े और उड़ रही धूल ही प्रदूषण बढ़ाने का सबसे बड़ा कारण बना हुआ है। इसके अलावा पराली जलने की समस्या भी बड़ी है।
जेब पर 'स्मॉग' टैक्सहवा में पीएम2.5 और पीएम10 कणों की अधिकता सीधे तौर पर श्वसन और हृदय संबंधी बीमारियों को बढ़ा रही है। हालिया सर्वेक्षण के अनुसार एनसीआर में रहने वाले लगभग 33 प्रतिशत लोग खराब हवा के कारण इलाज और दवा पर ज्यादा खर्च कर रहे हैं। इसे लोग स्मॉग टैक्स कहने लगे हैं।
केस स्टडी-1लाजपत नगर निवासी एमबी करुण ने बताया कि 15 दिन पहले उनकी 75 वर्षीय मा चिनम्मा के दोनों घुटने प्रत्यारोपित हुए। डॉक्टर ने इंफेक्शन से बचने की सलाह दी। इसलिए इस महीने अत्यधिक खर्च होने के बावजूद 15 हजार का एयर प्यूरीफायर खरीदा। 24 घंटे चलाने से बिजली बिल भी ज्यादा आएगा। ऐसे में मां को हैदराबाद भेजने की सोच रही हूं।
केस स्टडी-2राजनगर एक्सटेंशन निवासी विक्रात शर्मा ने बताया कि मुझे आखों में पिछले एक महीने से ड्राइनेस और जलन जैसी समस्या है। मेरे 10 वर्षीय बेटे को एलर्जी की समस्या है, उसके लिए एयर प्यूरीफायर की व्यवस्था रखता हूं। पिताजी हार्ट पेशेट है, जिन्हें इंफेक्शन से बचने की जरूरत है। घर में दवाड्या और एयर प्यूरीफायर पर बहुत पैसा खर्च करना पड़ रहा है। यही हाल रहा तो यह शहर छोड़कर कहीं दूर जाना होगा।
फेफड़ों के साथ हड्डियां भी हो रहीं कमजोरजहरीली हवा इसका असर सिर्फ फेफड़ों तक सीमित नहीं रह गया है, बल्कि यह हड्डियों को भी कमजोर करने लगा है। इससे अस्पताल में सास में दिक्कत के साथ बॉडी पेन के मरीज बढ़ रहे है। जिला एमएमजी के फिजिशन डॉक्टर आलोक रजन ने बताया कि बढ़ते प्रदूषण से शरीर में ऑक्सिजन की मात्रा कम हो जाती है और हड्डियों तक पर्याप्त पोषण नहीं पहुंच पाता, जिससे वे कमजोर होने लगती है।
यूपीपीसीबी रीजनल ऑफिसर अंकित कुमार ने कहा कि ग्रेटर नोएडा में राज्यमंत्री की अगुवाई में हुई मीटिंग के बाद जिले मे प्रदूषण को कम किए जाने की दिशा में प्लान तैयार किया जाएगा। इसे सभी विभागों को भेजा जाएगा। साथ ही इसकी नियमित रूप से मॉनिटरिंग भी की जाएगी।
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