इश्तियाक रजा, लखनऊ: हजरतगंज में शुक्रवार दोपहर लाल-नीली बत्ती लगी एसयूवी से चाय पीने आए चार स्कूली किशोर चर्चा का विषय बन गए। फ्रंट मिरर पर डीसीपी एलओ लिखी गाड़ी से उतरे चारों किशोर स्कूल की ड्रेस में थे। गाड़ी सड़क किनारे लगा चाय पीने के बाद चारों चलते बने। नाबालिगों के गाड़ी चलाने पर पुलिस ने चालान करने के साथ ही मालिक से संपर्क कर पूछताछ के लिए बुलाया है।
पुलिस अधिकारियों के अनुसार, लखनऊ ही नहीं बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश में डीसीपी एलओ जैसा कोई पद ही नहीं है। ऐसे में केवल नाबालिगों के ड्राइविंग ही नहीं बल्कि पुलिस के नाम का फर्जी इस्तेमाल की पुष्टि हुई है। जानकारी के अनुसार, हजरतगंज स्थित हिंदी संस्थान के पास दोपहर करीब 1 बजे आकर रुकी एसयूवी से एक निजी स्कूल की ड्रेस पहने चार किशोर उतरे थे, जो चाय पीने के बाद चले गए। ट्रैफिक पुलिस के अनुसार जांच में पता चला है कि गाड़ी (यूपी 32 पीएक्स 1137) जानकीपुरम निवासी रामजी शुक्ला के नाम पर रजिस्टर्ड हैं। पुलिस ने रामजी शुक्ला से संपर्क कर पूछताछ के लिए बुलाया है।
डीसीपी एलओ जैसा कोई पद नहींडीसीपी सेंट्रल आशीष श्रीवास्तव के अनुसार डीसीपी एलओ जैसा कोई पद नहीं है। चालान करने के साथ ही पुलिस के नाम के इस्तेमाल का मकसद पता लगाने का प्रयास किया जा रहा है। बिना अनुमति लाल-नीली बत्ती लगाना और फर्जी पदनाम का इस्तेमाल करना गंभीर अपराध है। पूरे मामले में सख्त कार्रवाई की जाएगी।
वाहन स्वामी और अभिभावक की जिम्मेदारीअगर कोई नाबालिग बिना लाइसेंस के गाड़ी चला रहा है, तो वाहन स्वामी के साथ ही बच्चों के अभिभावक जिम्मेदार ठहराए जाते हैं। ऐसे मामलों में सड़क परिवहन अधिनियम 1988 के अंतर्गत जुर्माने और अन्य दंड का सामना करना पड़ सकता है। इसके साथ ही वाहन जब्त भी किया जा सकता है।
पुलिस अधिकारियों के अनुसार, लखनऊ ही नहीं बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश में डीसीपी एलओ जैसा कोई पद ही नहीं है। ऐसे में केवल नाबालिगों के ड्राइविंग ही नहीं बल्कि पुलिस के नाम का फर्जी इस्तेमाल की पुष्टि हुई है। जानकारी के अनुसार, हजरतगंज स्थित हिंदी संस्थान के पास दोपहर करीब 1 बजे आकर रुकी एसयूवी से एक निजी स्कूल की ड्रेस पहने चार किशोर उतरे थे, जो चाय पीने के बाद चले गए। ट्रैफिक पुलिस के अनुसार जांच में पता चला है कि गाड़ी (यूपी 32 पीएक्स 1137) जानकीपुरम निवासी रामजी शुक्ला के नाम पर रजिस्टर्ड हैं। पुलिस ने रामजी शुक्ला से संपर्क कर पूछताछ के लिए बुलाया है।
डीसीपी एलओ जैसा कोई पद नहींडीसीपी सेंट्रल आशीष श्रीवास्तव के अनुसार डीसीपी एलओ जैसा कोई पद नहीं है। चालान करने के साथ ही पुलिस के नाम के इस्तेमाल का मकसद पता लगाने का प्रयास किया जा रहा है। बिना अनुमति लाल-नीली बत्ती लगाना और फर्जी पदनाम का इस्तेमाल करना गंभीर अपराध है। पूरे मामले में सख्त कार्रवाई की जाएगी।
वाहन स्वामी और अभिभावक की जिम्मेदारीअगर कोई नाबालिग बिना लाइसेंस के गाड़ी चला रहा है, तो वाहन स्वामी के साथ ही बच्चों के अभिभावक जिम्मेदार ठहराए जाते हैं। ऐसे मामलों में सड़क परिवहन अधिनियम 1988 के अंतर्गत जुर्माने और अन्य दंड का सामना करना पड़ सकता है। इसके साथ ही वाहन जब्त भी किया जा सकता है।
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