नई दिल्लीः दिल्ली कार ब्लास्ट में अब बड़ा खुलासा हुआ है। जांच में पता चला है कि इस साजिश के पीछे पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद (JeM) से जुड़ा एक नेटवर्क काम कर रहा था, जिसमें कई मेडिकल प्रोफेशनल्स शामिल थे। जांच के केंद्र में है डॉ. उमर उ नबी, जिसने ब्लास्ट से सिर्फ 11 दिन पहले एक हुंडई i20 कार खरीदी थी। यह वही कार थी जो लाल किले के पास धमाके में उड़ गई।
कार 29 अक्टूबर को खरीदी गई थीइंडिया टुडे ने सूत्रों के हवाले से बताया कि यह कार 29 अक्टूबर को खरीदी गई थी। खरीदने के तुरंत बाद इसका पॉल्यूशन सर्टिफिकेट बनवाया गया और फिर इसे फरीदाबाद की अल-फलह यूनिवर्सिटी में पार्क कर दिया गया था। कार 29 अक्टूबर से 10 नवंबर तक वहीं रही। जांच एजेंसियों के मुताबिक 10 नवंबर की सुबह डॉ. उमर घबराहट में कार लेकर दिल्ली की ओर निकला।
डॉक्टर होने का फायदा उठायाबहरहाल, इस खरीद फरोख्त में यह कार कई हाथों से होकर गुजरी। आखिरी बार इसे पुलवामा के तारिक नाम के शख्स को बेचा गया था, और खरीद-बिक्री के लिए फर्जी कागज़ात इस्तेमाल किए गए थे। सूत्रों ने बताया कि डॉ. उमर के साथ डॉ. मुझम्मिल अहमद गनई और डॉ. शाहीन शाहिद भी शामिल थे। यह तीनों करीब 9-10 सदस्यों वाले एक आतंकी लॉजिस्टिक मॉड्यूल का हिस्सा थे, जिनमें 5-6 डॉक्टर थे। ये लोग अपने डॉक्टर होने का फायदा उठाते हुए विस्फोटक सामग्री जुटाते, बम बनाते और लॉजिस्टिक सपोर्ट तैयार करते थे।
मौलवी इरफान की गिरफ्तारी के बाद एक्शन तेजजांच में यह भी सामने आया है कि 2,900 किलो अमोनियम नाइट्रेट की बरामदगी के बाद 9 नवंबर को डॉ. उमर फरार हो गया। उसने अपने पांच मोबाइल फोन बंद कर दिए और 30 अक्टूबर से वह यूनिवर्सिटी नहीं गया। इस बीच शोपियां पुलिस ने जमात-ए-इस्लामी (JeI) से जुड़े कई लोगों के घरों पर छापे मारे, जिनमें डॉ. हामिद फयाज (नदिगाम) और मो. यूसुफ़ फलाही (चितरगाम) के घर शामिल हैं। यह कार्रवाई मौलवी इरफान की गिरफ्तारी के बाद हुई, जिसने पूछताछ में कई नाम बताए।
जैश की महिला विंग बनाने की जिम्मेदारीएक और डॉक्टर, डॉ. तजमुल अहमद मलिक (कुलगाम), जो श्रीनगर के एसएचएमएस अस्पताल में काम कर रहा था, को भी पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया। गिरफ्तार आरोपियों में डॉ. शाहीन शाहिद, जो फरीदाबाद में मेडिकल कॉलेज में लेक्चरर रही है, इस नेटवर्क की अहम सदस्य मानी जा रही है। जांच से पता चला कि उन्हें भारत में जैश की महिला विंग जमात-उल-मोमिनीनट बनाने की ज़िम्मेदारी दी गई थी। शाहीन की गिरफ्तारी के बाद यूपी एटीएस और जम्मू-कश्मीर पुलिस की संयुक्त टीम ने लखनऊ के लालबाग में उनके घर पर छापा मारा। वहां से मोबाइल, हार्ड डिस्क और कई दस्तावेज़ जब्त किए गए। डॉ. शाहीन के भाई डॉ. परवेज अंसारी, जो इंटीग्रल मेडिकल कॉलेज, लखनऊ में सीनियर रेजिडेंट थे, को भी पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया।
कार 29 अक्टूबर को खरीदी गई थीइंडिया टुडे ने सूत्रों के हवाले से बताया कि यह कार 29 अक्टूबर को खरीदी गई थी। खरीदने के तुरंत बाद इसका पॉल्यूशन सर्टिफिकेट बनवाया गया और फिर इसे फरीदाबाद की अल-फलह यूनिवर्सिटी में पार्क कर दिया गया था। कार 29 अक्टूबर से 10 नवंबर तक वहीं रही। जांच एजेंसियों के मुताबिक 10 नवंबर की सुबह डॉ. उमर घबराहट में कार लेकर दिल्ली की ओर निकला।
डॉक्टर होने का फायदा उठायाबहरहाल, इस खरीद फरोख्त में यह कार कई हाथों से होकर गुजरी। आखिरी बार इसे पुलवामा के तारिक नाम के शख्स को बेचा गया था, और खरीद-बिक्री के लिए फर्जी कागज़ात इस्तेमाल किए गए थे। सूत्रों ने बताया कि डॉ. उमर के साथ डॉ. मुझम्मिल अहमद गनई और डॉ. शाहीन शाहिद भी शामिल थे। यह तीनों करीब 9-10 सदस्यों वाले एक आतंकी लॉजिस्टिक मॉड्यूल का हिस्सा थे, जिनमें 5-6 डॉक्टर थे। ये लोग अपने डॉक्टर होने का फायदा उठाते हुए विस्फोटक सामग्री जुटाते, बम बनाते और लॉजिस्टिक सपोर्ट तैयार करते थे।
मौलवी इरफान की गिरफ्तारी के बाद एक्शन तेजजांच में यह भी सामने आया है कि 2,900 किलो अमोनियम नाइट्रेट की बरामदगी के बाद 9 नवंबर को डॉ. उमर फरार हो गया। उसने अपने पांच मोबाइल फोन बंद कर दिए और 30 अक्टूबर से वह यूनिवर्सिटी नहीं गया। इस बीच शोपियां पुलिस ने जमात-ए-इस्लामी (JeI) से जुड़े कई लोगों के घरों पर छापे मारे, जिनमें डॉ. हामिद फयाज (नदिगाम) और मो. यूसुफ़ फलाही (चितरगाम) के घर शामिल हैं। यह कार्रवाई मौलवी इरफान की गिरफ्तारी के बाद हुई, जिसने पूछताछ में कई नाम बताए।
जैश की महिला विंग बनाने की जिम्मेदारीएक और डॉक्टर, डॉ. तजमुल अहमद मलिक (कुलगाम), जो श्रीनगर के एसएचएमएस अस्पताल में काम कर रहा था, को भी पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया। गिरफ्तार आरोपियों में डॉ. शाहीन शाहिद, जो फरीदाबाद में मेडिकल कॉलेज में लेक्चरर रही है, इस नेटवर्क की अहम सदस्य मानी जा रही है। जांच से पता चला कि उन्हें भारत में जैश की महिला विंग जमात-उल-मोमिनीनट बनाने की ज़िम्मेदारी दी गई थी। शाहीन की गिरफ्तारी के बाद यूपी एटीएस और जम्मू-कश्मीर पुलिस की संयुक्त टीम ने लखनऊ के लालबाग में उनके घर पर छापा मारा। वहां से मोबाइल, हार्ड डिस्क और कई दस्तावेज़ जब्त किए गए। डॉ. शाहीन के भाई डॉ. परवेज अंसारी, जो इंटीग्रल मेडिकल कॉलेज, लखनऊ में सीनियर रेजिडेंट थे, को भी पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया।
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