पटना: बिहार में विधानसभा चुनाव अक्टूबर-नवंबर में होने की संभावना है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को बिहार का दौरा किया। इसके साथ यहां का चुनावी पारा चढ़ने लगा है। बिहार के चुनाव को लेकर अन्य राज्यों में भी हलचल बढ़ गई है। बीजेपी इस चुनाव में भी अन्य राज्यों के वरिष्ठ नेताओं, मंत्रियों को प्रचार का जिम्मा सौंपेगी। मध्यप्रदेश के बीजेपी नेता भी इस चुनावी समर में अहम जिम्मेदारियां संभालेंगे। सिर्फ बीजेपी ही नहीं, कांग्रेस भी अपने मध्यप्रदेश के नेताओं को बिहार में बुलाने की तैयारी कर रही है।
इन दोनों पार्टियों के मध्यप्रदेश के नेता अपनी-अपनी पार्टी के प्रचार और प्रबंधन का जिम्मा संभालेंगे। मध्यप्रदेश से खास तौर पर ओबीसी नेताओं को बिहार भेजा जा सकता है। बीजेपी मुख्यमंत्री मोहन यादव, केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान और कैबिनेट मंत्री प्रहलाद पटेल को बिहार भेज सकती है।
कांग्रेस में ओबीसी वर्ग से पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव, पूर्व मंत्री सचिन यादव, राज्यसभा सांसद अशोक सिंह यादव, पूर्व मंत्री कमलेश्वर पटेल, सत्यनारायण पटेल और दिनेश गुर्जर को बिहार में जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है।
बीजेपी मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव के यादव समुदाय से होने का फायदा बिहार में उठाना चाहती है। मोहन यादव पिछले लोकसभा चुनाव के अलावा कई विधानसभा चुनावों में भी पार्टी का प्रचार कर चुके हैं। इससे अलावा शिवराज सिंह चौहान भी बिहार और झारंखड में काफी लोकप्रिय हैं।
चाहे बीजेपी हो या कांग्रेस बिहार की जातीय जनगणना के बाद से दोनों ही पार्टियां ओबीसी ध्रुवीकरण का फायदा उठाने के लिए जुगत लगा रही हैं। यही कारण है कि ओबीसी के नेता चुन-चुनकर बिहार में बुलाने की तैयारी है।
इन दोनों पार्टियों के मध्यप्रदेश के नेता अपनी-अपनी पार्टी के प्रचार और प्रबंधन का जिम्मा संभालेंगे। मध्यप्रदेश से खास तौर पर ओबीसी नेताओं को बिहार भेजा जा सकता है। बीजेपी मुख्यमंत्री मोहन यादव, केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान और कैबिनेट मंत्री प्रहलाद पटेल को बिहार भेज सकती है।
कांग्रेस में ओबीसी वर्ग से पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव, पूर्व मंत्री सचिन यादव, राज्यसभा सांसद अशोक सिंह यादव, पूर्व मंत्री कमलेश्वर पटेल, सत्यनारायण पटेल और दिनेश गुर्जर को बिहार में जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है।
बीजेपी मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव के यादव समुदाय से होने का फायदा बिहार में उठाना चाहती है। मोहन यादव पिछले लोकसभा चुनाव के अलावा कई विधानसभा चुनावों में भी पार्टी का प्रचार कर चुके हैं। इससे अलावा शिवराज सिंह चौहान भी बिहार और झारंखड में काफी लोकप्रिय हैं।
चाहे बीजेपी हो या कांग्रेस बिहार की जातीय जनगणना के बाद से दोनों ही पार्टियां ओबीसी ध्रुवीकरण का फायदा उठाने के लिए जुगत लगा रही हैं। यही कारण है कि ओबीसी के नेता चुन-चुनकर बिहार में बुलाने की तैयारी है।
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