लखनऊ: अशोका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद को सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम जमानत दे दी है। उनके खिलाफ सोशल मीडिया पर की गई कथित आपत्तिजनक टिप्पणी को लेकर हरियाणा पुलिस ने उन्हें 18 मई को गिरफ्तार किया था। गिरफ्तारी के बाद उन्हें सोनीपत की स्थानीय अदालत में पेश किया गया। सोनीपत कोर्ट पहले उन्हें दो दिन की पुलिस हिरासत में और फिर 27 मई तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया। अब उन्हें सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम जमानत मिली है। इस पर समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने पहली प्रतिक्रिया देते हुए अभिव्यक्ति की आजादी का मुद्दा छेड़ दिया।प्रो. अली खान पर ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को लेकर किए गए पोस्ट के जरिए देश की संप्रभुता और अखंडता को खतरे में डालने का आरोप है। यह मामला हरियाणा राज्य महिला आयोग की शिकायत पर दर्ज किया गया था। हालांकि्र सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें अंतरिम राहत देते हुए यह स्पष्ट किया कि भविष्य में इस मामले से संबंधित कोई भी सार्वजनिक टिप्पणी वे नहीं करेंगे। कोर्ट ने उनके पासपोर्ट को जमा करने और एक विशेष जांच टीम के गठन का भी आदेश दिया है। इस टीम में तीन आईपीएस अधिकारी शामिल होंगे, जिनमें एक महिला अधिकारी राज्य से बाहर की होंगी। अखिलेश ने क्या कहा?इस मामले को लेकर समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने प्रतिक्रिया देते हुए सोशल मीडिया एक्स पर लिखा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के बिना हर स्वतंत्रता औपचारिक है। उन्होंने इस गिरफ्तारी को लोकतांत्रिक मूल्यों के विरुद्ध बताया। अशोका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर की गिरफ्तारी के विरोध में विश्वविद्यालय के छात्र और शिक्षक दोनों ही सामने आए। शिक्षकों ने इसे एकेडमिक स्वतंत्रता का उल्लंघन बताया है, जबकि छात्रों ने इसे न केवल अनुचित बताया, बल्कि उनकी तत्काल रिहाई की मांग भी की। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में अली खान के शब्दों के चयन पर सवाल उठाते हुए कहा कि उनकी भाषा से दूसरे लोग असहज और अपमानित महसूस कर सकते हैं। इसलिए इस पर संयम आवश्यक है।
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