ऐसे आया आइडिया
इंजीनियरिंग के अंतिम वर्ष में एग्जाम और प्रोजेक्ट के बीच संतुलन बनाना मुश्किल होता है। इसी दौरान रायपुर से ताल्लुक रखने वाले मनीष मोहता को एक आइडिया आया। उन्होंने लर्निंग स्पाइरल प्राइवेट लिमिटेड नाम की एक एड-टेक कंपनी शुरू की। उनकी कंपनी परीक्षाओं को आसान बनाने के लिए तकनीक का इस्तेमाल करती है। यह कंपनी कॉलेजों और छात्रों को परीक्षा से जुड़े काम में मदद करती है। इनमें सॉफ्टवेयर बनाना, पेपर छापना और परीक्षा को सही तरीके से करवाना जैसे काम शामिल हैं।
ग्राहकों की लंबी फेहरिस्त
रायपुर, छत्तीसगढ़ में स्थित लर्निंग स्पाइरल मोहता ग्रुप ऑफ कंपनीज के तहत एक सहायक कंपनी है। यह भारतीय रेलवे, ओडिशा पुलिस, जामिया मिलिया इस्लामिया और पश्चिम बंगाल स्कूल बोर्ड जैसे प्रतिष्ठित ग्राहकों को सेवा प्रदान करती है। लर्निंग स्पाइरल देशभर में एंड-टू-एंड परीक्षा सेवाएं उपलब्ध कराती है। इसमें सॉफ्टवेयर समाधान, प्रबंधित सेवाएं, आउटसोर्स बिजनेस प्रोसेस, सिक्योरिटी प्रिंटिंग, प्रॉक्टरिंग और सप्लाई जैसी सेवाएं शामिल हैं। यह न केवल शैक्षणिक संस्थानों, विश्वविद्यालयों और कॉलेजों को सेवा देती है, बल्कि रिक्रूटर्स, भर्ती निकायों और अन्य मूल्यांकन निकायों को भी सेवा प्रदान करती है। लर्निंग स्पाइरल का मकसद मूल्यांकन प्रक्रिया में पारदर्शिता लाना है।
आज करोड़ों का टर्नओवर

मनीष मोहता ने इंजीनियरिंग के आखिरी साल में दोस्तों के साथ मिलकर जिस लर्निंग स्पाइरल को शुरू किया था, आज उसका टर्नओवर 31 करोड़ रुपये है। यह कंपनी परीक्षा से जुड़े कई काम करती है, जैसे सॉफ्टवेयर बनाना, पेपर छापना और परीक्षा को सही तरीके से करवाना। मनीष मोहता ने पाया कि जब वे परीक्षा दे रहे होते थे तो पढ़ाई नहीं हो पाती थी। सब लोग परीक्षा में व्यस्त रहते थे। दो सेमेस्टर होते थे और परीक्षा का समय बहुत लंबा होता था। लगभग पांच महीने सिर्फ परीक्षा में ही चले जाते थे। इस वजह से पढ़ाई के लिए समय कम मिलता था। वह इस समस्या को बदलना चाहते थे।
शुरू में था परिवार को संदेह

मनीष मोहता एक सफल बिजनेस परिवार से आते हैं। परिवार ने उनके स्टार्टअप का समर्थन किया। लेकिन, उन्हें इसकी सफलता पर थोड़ा संदेह था। परिवार को यह डर था कि क्या वह सही रास्ते पर हैं। शुरुआत में मनीष को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। लोगों को नई तकनीक अपनाने में दिक्कत हो रही थी। लेकिन, जब लोगों ने देखा कि इससे फायदा हो रहा है तो उन्होंने इसे खुशी से अपना लिया। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय और जामिया मिलिया इस्लामिया उनके पहले क्लाइंटों में थे। इन विश्वविद्यालयों के प्रोफेसरों ने भी उनकी काफी मदद की। मनीष अब अपनी कंपनी को दूसरे देशों में भी ले जाना चाहते हैं। वह अगले कुछ सालों में अपनी कंपनी को और आगे बढ़ाना चाहते हैं। वह हर साल 100% विकास दर हासिल करना चाहते हैं। मनीष के तीन बच्चे हैं। वह अपने परिवार और बिजनेस के बीच संतुलन बनाए रखने की कोशिश करते हैं। उनकी पत्नी रंजीता घर और ऑफिस दोनों जगह उनका साथ देती हैं।