नई दिल्ली: भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के बाद करीब 4000 करोड़ रुपये का ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का समझौता किया है। हालांकि भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शनिवार को घोषणा की थी, कि ब्रह्मोस एयरोस्पेस ने करीब 4,000 करोड़ के दो बड़े निर्यात समझौते किए हैं। लेकिन जानकारी के मुताबिक, ये दोनों सौदे दो अघोषित देशों के साथ किए गये हैं। यानि, उन दोनों देशों के नाम जाहिर नहीं किए गये हैं। लेकिन इस सौदे को एतिहासिक माना जा रहा है। सबसे दिलचस्प बात ये है कि इन दोनों देशों ने ब्रह्मोस मिसाइल के लिए ये सौदा भारत के पाकिस्तान के खिलाफ चलाए गये ऑपरेशन सिंदूर के बाद किए हैं।
दरअसल, लखनऊ में ब्रह्मोस मिसाइल बनाने की जो नई फैक्ट्री लगाई गई है, उसकी पहली खेप के फ्लैग ऑफ समारोह में बोलते हुए भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भारत की स्ट्रैटजी में आए बदलाव की घोषणा की थी। उस दौरान उन्होंने कहा था कि "चाहे फिलीपींस को ब्रह्मोस का निर्यात हो या भविष्य में अन्य देशों के साथ सहयोग, भारत अब सिर्फ हथियार खरीदने वाला नहीं, बल्कि हथियार देने वाला देश बन गया है।" उन्होंने ब्रह्मोस सौदे को भारत की आत्मनिर्भरता की दिशा में आत्मविश्वास से भरा चाल बताया था।
किन देशों ने किए भारत से सीक्रेट समझौते?
ब्रह्मोस एयरोस्पेस, जो भारत की रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) और रूस की NPO मशीनोस्ट्रोयेनीया के बीच एक ज्वाइंट वेंचर, वो अब वैश्विक रक्षा बाजार में एक विश्वसनीय नाम बन चुका है। रिपोर्ट के मुताबिक, इन दोनों देशों के साथ सैकड़ों मिलियन डॉलर का समझौता किया गया है। हमारे पास इसकी सटीक जानकारी नहीं है। लेकिन जियो-पॉलिटिकल संवेदनशीलता की वजह से उन दोनों देशों के नाम सीक्रेट रखे गये हैं। यानि, उन दोनों देशों के नामों का खुलासा नहीं किया गया है। इसीलिए सवाल उठ रहे हैं कि आखिर वो दोनों देश कौन से हैं, वियतनाम, इंडोनेशिया या सऊदी अरब। इन देशों के नाम चर्चा में आने के पीछे कुछ वजहें हो सकती हैं। जबकि, इससे पहले भारत ने फिलीपींस के साथ 2022 में ब्रह्मोस मिसाइल के लिए 375 मिलियन डॉलर का समझौता किया था।
खासकर ऑपरेशन सिंदूर के बाद दो देशों ने भारत से ब्रह्मोस खरीदने के लिए समझौते किए हैं, जिससे पता चलता है कि भारतीय मिसाइल ने कैसे अपनी विश्वसनीयता का प्रदर्शन किया है। भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान और पाक-अधिकृत कश्मीर (PoK) में आतंकी ठिकानों पर सटीक सैन्य प्रहार किया था। इस मिशन में भारतीय वायुसेना ने ब्रह्मोस मिसाइलों से लैस विमानों का उपयोग करते हुए दुश्मन के हवाई अड्डों और आतंकी कैंपों को तबाह किया था। इन हमलों ने ना सिर्फ ब्रह्मोस की मारक क्षमता और सटीकता को साबित हुई थी, बल्कि ब्रह्मोस ने ये भी साबित कर दिया था कि चीनी एयर डिफेंस सिस्टम उसे रोक नहीं सकते हैं। लखनऊ में जो फैसिलिटी बनाया गया है, वहां हर साल 150 ब्रह्मोस मिसाइलों का निर्माण होगा।
ब्रह्मोस खरीदने के लिए कई देशों में दिलचस्पी
भारत धीरे धीरे एक प्रमुख हथियार निर्यात देश बनने की तरफ बढ़ निकला है। भारत ने वित्त वर्ष 2024-25 में 21000 करोड़ रुपये से ज्यादा के हथियारों का निर्यात किया है। ब्रह्मोस को 'फायर एंड फॉरगेट' मिसाइल कहा जाता है, जो मैक्सिमम सुपरसोनिक स्पीड मैक-3 से उड़ान भरती है और ये भारत के कुल डिफेंस निर्यात में एक तिहाई हिस्सेदारी अकेले रखती है। दावा किया गया है कि कुछ और देश ब्रह्मोस मिसाइल खरीदने के लिए भारत से बात कर रहे हैं। वियतनाम को लेकर चर्चा इसलिए है, क्योंकि एक तो उसका चीन के साथ लंबे समय से दक्षिण चीन सागर में विवाद रहा है, और दूसरी वजह ये है कि वियतनाम ब्रह्नोस खरीदने के लिए लंबे समय से भारत से बात कर रहा था।
इंडिया टुडे ने 17 अप्रैल 2025 की अपनी एक रिपोर्ट में दावा किया था कि भारत और वियतनाम के बीच ब्रह्मोस मिसाइल खरीदने को लेकर बातचीत अंतिम चरण में पहुंच चुकी है। इस रिपोर्ट में करीब 700 मिलियन डॉलर का सौदा होने की बात कही गई थी। उस रिपोर्ट में कहा गया था कि कुछ महीनों में भारत और वियतनाम के बीच ब्रह्नोस का सौदा फाइनल हो सकता है। इसीलिए अब जबकि इस रिपोर्ट के 6 महीने बीत चुके हैं तो संभावना हो सकती है कि भारत और वियतनाम के बीच सौदा हुआ हो।
कहीं सऊदी अरब ने तो नहीं साइन किया समझौता?
इसके अलावा दूसरा नाम इंडोनेशया हो सकता है। इंडियन डिफेंस न्यूज ने इस साल जनवरी में अपनी एक रिपोर्ट में कहा था कि भारत और इंडोनेशिया के बीच ब्रह्मोस मिसाइल के लिए करीब 450 मिलियन डॉलर के सौदे के लिए बात चल रही है। लेकिन फाइनेंशियल एक्सप्रेस की 27 जनवरी की रिपोर्ट में कहा गया था कि जनवरी महीने में इंडोनेशिया के साथ ब्रह्मोस मिसाइल को लेकर कोई समझौता नहीं हुआ था। हालांकि रिपोर्ट में ये भी कहा गया था कि एक हाई लेवल डेलिगेशन को दिल्ली का दौरा ब्रह्नोस मिसाइल पर बातचीत के लिए जल्द करना था।
इसके अलावा सऊदी अरब का भी नाम ब्रह्मोस मिसाइल में दिलचस्पी दिखाने वाले देशों में रहा है। इंडियन डिफेंस न्यूज की फरवरी 2024 की रिपोर्ट में कहा गया था कि भारत-रूस का एक संयुक्त उद्यम, ब्रह्मोस एयरोस्पेस, जो समुद्री, हवाई और ज़मीनी प्लेटफॉर्म के लिए सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलें बनाता है, सऊदी अरब के साथ बातचीत कर रहा है। इसके अलावा उस वक्त रूस की TASS समाचार एजेंसी ने भी ब्रह्मोस के एक अधिकारी के हवाले से इसकी पुष्टि की थी कि भारत और सऊदी अरब के बीच ब्रह्नोस मिसाइल पर बात चल रही है। हालांकि क्या वो सऊदी अरब है, वियतनाम है या फिर इंडोनेशिया है, जिसने ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत से ब्रह्मोस मिसाइल के लिए सौदा किया है, हमारे पास इसकी जानकारी नहीं है।
दरअसल, लखनऊ में ब्रह्मोस मिसाइल बनाने की जो नई फैक्ट्री लगाई गई है, उसकी पहली खेप के फ्लैग ऑफ समारोह में बोलते हुए भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भारत की स्ट्रैटजी में आए बदलाव की घोषणा की थी। उस दौरान उन्होंने कहा था कि "चाहे फिलीपींस को ब्रह्मोस का निर्यात हो या भविष्य में अन्य देशों के साथ सहयोग, भारत अब सिर्फ हथियार खरीदने वाला नहीं, बल्कि हथियार देने वाला देश बन गया है।" उन्होंने ब्रह्मोस सौदे को भारत की आत्मनिर्भरता की दिशा में आत्मविश्वास से भरा चाल बताया था।
किन देशों ने किए भारत से सीक्रेट समझौते?
ब्रह्मोस एयरोस्पेस, जो भारत की रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) और रूस की NPO मशीनोस्ट्रोयेनीया के बीच एक ज्वाइंट वेंचर, वो अब वैश्विक रक्षा बाजार में एक विश्वसनीय नाम बन चुका है। रिपोर्ट के मुताबिक, इन दोनों देशों के साथ सैकड़ों मिलियन डॉलर का समझौता किया गया है। हमारे पास इसकी सटीक जानकारी नहीं है। लेकिन जियो-पॉलिटिकल संवेदनशीलता की वजह से उन दोनों देशों के नाम सीक्रेट रखे गये हैं। यानि, उन दोनों देशों के नामों का खुलासा नहीं किया गया है। इसीलिए सवाल उठ रहे हैं कि आखिर वो दोनों देश कौन से हैं, वियतनाम, इंडोनेशिया या सऊदी अरब। इन देशों के नाम चर्चा में आने के पीछे कुछ वजहें हो सकती हैं। जबकि, इससे पहले भारत ने फिलीपींस के साथ 2022 में ब्रह्मोस मिसाइल के लिए 375 मिलियन डॉलर का समझौता किया था।
खासकर ऑपरेशन सिंदूर के बाद दो देशों ने भारत से ब्रह्मोस खरीदने के लिए समझौते किए हैं, जिससे पता चलता है कि भारतीय मिसाइल ने कैसे अपनी विश्वसनीयता का प्रदर्शन किया है। भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान और पाक-अधिकृत कश्मीर (PoK) में आतंकी ठिकानों पर सटीक सैन्य प्रहार किया था। इस मिशन में भारतीय वायुसेना ने ब्रह्मोस मिसाइलों से लैस विमानों का उपयोग करते हुए दुश्मन के हवाई अड्डों और आतंकी कैंपों को तबाह किया था। इन हमलों ने ना सिर्फ ब्रह्मोस की मारक क्षमता और सटीकता को साबित हुई थी, बल्कि ब्रह्मोस ने ये भी साबित कर दिया था कि चीनी एयर डिफेंस सिस्टम उसे रोक नहीं सकते हैं। लखनऊ में जो फैसिलिटी बनाया गया है, वहां हर साल 150 ब्रह्मोस मिसाइलों का निर्माण होगा।
ब्रह्मोस खरीदने के लिए कई देशों में दिलचस्पी
भारत धीरे धीरे एक प्रमुख हथियार निर्यात देश बनने की तरफ बढ़ निकला है। भारत ने वित्त वर्ष 2024-25 में 21000 करोड़ रुपये से ज्यादा के हथियारों का निर्यात किया है। ब्रह्मोस को 'फायर एंड फॉरगेट' मिसाइल कहा जाता है, जो मैक्सिमम सुपरसोनिक स्पीड मैक-3 से उड़ान भरती है और ये भारत के कुल डिफेंस निर्यात में एक तिहाई हिस्सेदारी अकेले रखती है। दावा किया गया है कि कुछ और देश ब्रह्मोस मिसाइल खरीदने के लिए भारत से बात कर रहे हैं। वियतनाम को लेकर चर्चा इसलिए है, क्योंकि एक तो उसका चीन के साथ लंबे समय से दक्षिण चीन सागर में विवाद रहा है, और दूसरी वजह ये है कि वियतनाम ब्रह्नोस खरीदने के लिए लंबे समय से भारत से बात कर रहा था।
इंडिया टुडे ने 17 अप्रैल 2025 की अपनी एक रिपोर्ट में दावा किया था कि भारत और वियतनाम के बीच ब्रह्मोस मिसाइल खरीदने को लेकर बातचीत अंतिम चरण में पहुंच चुकी है। इस रिपोर्ट में करीब 700 मिलियन डॉलर का सौदा होने की बात कही गई थी। उस रिपोर्ट में कहा गया था कि कुछ महीनों में भारत और वियतनाम के बीच ब्रह्नोस का सौदा फाइनल हो सकता है। इसीलिए अब जबकि इस रिपोर्ट के 6 महीने बीत चुके हैं तो संभावना हो सकती है कि भारत और वियतनाम के बीच सौदा हुआ हो।
कहीं सऊदी अरब ने तो नहीं साइन किया समझौता?
इसके अलावा दूसरा नाम इंडोनेशया हो सकता है। इंडियन डिफेंस न्यूज ने इस साल जनवरी में अपनी एक रिपोर्ट में कहा था कि भारत और इंडोनेशिया के बीच ब्रह्मोस मिसाइल के लिए करीब 450 मिलियन डॉलर के सौदे के लिए बात चल रही है। लेकिन फाइनेंशियल एक्सप्रेस की 27 जनवरी की रिपोर्ट में कहा गया था कि जनवरी महीने में इंडोनेशिया के साथ ब्रह्मोस मिसाइल को लेकर कोई समझौता नहीं हुआ था। हालांकि रिपोर्ट में ये भी कहा गया था कि एक हाई लेवल डेलिगेशन को दिल्ली का दौरा ब्रह्नोस मिसाइल पर बातचीत के लिए जल्द करना था।
इसके अलावा सऊदी अरब का भी नाम ब्रह्मोस मिसाइल में दिलचस्पी दिखाने वाले देशों में रहा है। इंडियन डिफेंस न्यूज की फरवरी 2024 की रिपोर्ट में कहा गया था कि भारत-रूस का एक संयुक्त उद्यम, ब्रह्मोस एयरोस्पेस, जो समुद्री, हवाई और ज़मीनी प्लेटफॉर्म के लिए सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलें बनाता है, सऊदी अरब के साथ बातचीत कर रहा है। इसके अलावा उस वक्त रूस की TASS समाचार एजेंसी ने भी ब्रह्मोस के एक अधिकारी के हवाले से इसकी पुष्टि की थी कि भारत और सऊदी अरब के बीच ब्रह्नोस मिसाइल पर बात चल रही है। हालांकि क्या वो सऊदी अरब है, वियतनाम है या फिर इंडोनेशिया है, जिसने ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत से ब्रह्मोस मिसाइल के लिए सौदा किया है, हमारे पास इसकी जानकारी नहीं है।
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