रामबाबू मित्तल, सहारनपुर: उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले के बेहट कस्बे में 45 साल पहले बसाई गई इंदिरा कॉलोनी पर अब संकट के बादल मंडरा रहे हैं। सिंचाई विभाग ने इस कॉलोनी के करीब 300 से ज्यादा मकानों पर लाल क्रॉस के निशान लगाकर तीन दिन के भीतर खाली करने का मौखिक निर्देश दे दिया। विभाग का कहना है कि यह जमीन सिंचाई विभाग की है, इसलिए इन मकानों को अवैध मानते हुए जल्द बुलडोजर चलाया जाएगा।
सबसे हैरानी की बात यह है कि जिन मकानों को अवैध बताया जा रहा है, उनमें कई प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) के तहत बने घर भी शामिल हैं। इन मकानों के मालिकों का कहना है कि सरकार ने खुद उन्हें यह घर बनवाकर दिए, अब अचानक अवैध करार देना नाइंसाफी है।
45 साल पहले बसाई गई थी इंदिरा कॉलोनी
1980 के दशक में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नाम पर यह कॉलोनी बसाई गई थी। उस समय सरसावा से कांग्रेस विधायक रहे निर्भय पाल शर्मा ने यहां गरीबों को बसाने की पहल की थी। तब महज 30-40 झोपड़ियां थीं, लेकिन अब यह इलाका करीब 4500 की आबादी और 1000 से अधिक मकानों वाला पूरा मोहल्ला बन चुका है। स्थानीय लोगों के मुताबिक, जब यह कॉलोनी बसाई गई थी, तब भी इसे अवैध कहकर हटाने की कोशिश हुई थी, लेकिन भारी विरोध के कारण कार्रवाई टल गई। अब 45 साल बाद फिर वही विवाद दोहराया जा रहा है।
सिंचाई विभाग बोला- अवैध कब्जा हटेगा
3 नवंबर को सिंचाई विभाग की टीम ने मोहल्ले में पहुंचकर लगभग 300 मकानों पर लाल क्रॉस के निशान बनाए और कहा कि ये मकान सरकारी जमीन पर हैं। स्थानीय निवासियों को तीन दिन का समय दिया गया कि वे मकान खाली करें, नहीं तो बुलडोजर चलाया जाएगा। टीम ने यह भी चेतावनी दी कि बुलडोजर चलाने का खर्च भी उन्हीं लोगों से वसूला जाएगा। हालांकि, विभाग ने अब तक किसी को लिखित नोटिस नहीं दिया, केवल मौखिक निर्देश जारी किए हैं। 6 नवंबर को जब नोटिस की अवधि पूरी हुई, तो लोगों में डर था कि कहीं बुलडोजर न आ जाए, मगर अब तक कार्रवाई नहीं हुई।
हमारे पास सारे कागज हैं, मकान वैध हैं
स्थानीय लोगों ने बताया कि नगर पंचायत जमाबंदी के रिकॉर्ड में इन मकानों के नाम दर्ज हैं। इसी आधार पर लोगों ने बैनामे कराए और वर्षों से गृहकर और जलकर नगर पंचायत को जमा कर रहे हैं। ऐसे में इन मकानों को अवैध नहीं कहा जा सकता। हम 50 साल से यहां रह रहे हैं। सरकार ने हमें ढाई लाख की सहायता दी थी। अब सिंचाई विभाग कह रहा है कि घर तोड़ देंगे। आखिर हम जाएंगे तो कहां? एक महिला बोली जब मोदी जी ने हमें घर बनवाकर दिया था, तब सब जांच हुई थी। तब तो मकान वैध था। अब अचानक अवैध कैसे हो गया? पहले घर दिया, अब तोड़ने की बात कर रहे हैं।
सिंचाई विभाग के एक्सईएन प्रवीण जोशीय ने बताया कि यह जमीन सिंचाई समेत कई विभागों की है। फिलहाल अवैध निर्माणों की पहचान की गई है और आगे की जांच जारी है। स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने फिलहाल ध्वस्तीकरण रोकने और दस्तावेजों की पुनः जांच की मांग की है।
सबसे हैरानी की बात यह है कि जिन मकानों को अवैध बताया जा रहा है, उनमें कई प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) के तहत बने घर भी शामिल हैं। इन मकानों के मालिकों का कहना है कि सरकार ने खुद उन्हें यह घर बनवाकर दिए, अब अचानक अवैध करार देना नाइंसाफी है।
45 साल पहले बसाई गई थी इंदिरा कॉलोनी
1980 के दशक में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नाम पर यह कॉलोनी बसाई गई थी। उस समय सरसावा से कांग्रेस विधायक रहे निर्भय पाल शर्मा ने यहां गरीबों को बसाने की पहल की थी। तब महज 30-40 झोपड़ियां थीं, लेकिन अब यह इलाका करीब 4500 की आबादी और 1000 से अधिक मकानों वाला पूरा मोहल्ला बन चुका है। स्थानीय लोगों के मुताबिक, जब यह कॉलोनी बसाई गई थी, तब भी इसे अवैध कहकर हटाने की कोशिश हुई थी, लेकिन भारी विरोध के कारण कार्रवाई टल गई। अब 45 साल बाद फिर वही विवाद दोहराया जा रहा है।
सिंचाई विभाग बोला- अवैध कब्जा हटेगा
3 नवंबर को सिंचाई विभाग की टीम ने मोहल्ले में पहुंचकर लगभग 300 मकानों पर लाल क्रॉस के निशान बनाए और कहा कि ये मकान सरकारी जमीन पर हैं। स्थानीय निवासियों को तीन दिन का समय दिया गया कि वे मकान खाली करें, नहीं तो बुलडोजर चलाया जाएगा। टीम ने यह भी चेतावनी दी कि बुलडोजर चलाने का खर्च भी उन्हीं लोगों से वसूला जाएगा। हालांकि, विभाग ने अब तक किसी को लिखित नोटिस नहीं दिया, केवल मौखिक निर्देश जारी किए हैं। 6 नवंबर को जब नोटिस की अवधि पूरी हुई, तो लोगों में डर था कि कहीं बुलडोजर न आ जाए, मगर अब तक कार्रवाई नहीं हुई।
हमारे पास सारे कागज हैं, मकान वैध हैं
स्थानीय लोगों ने बताया कि नगर पंचायत जमाबंदी के रिकॉर्ड में इन मकानों के नाम दर्ज हैं। इसी आधार पर लोगों ने बैनामे कराए और वर्षों से गृहकर और जलकर नगर पंचायत को जमा कर रहे हैं। ऐसे में इन मकानों को अवैध नहीं कहा जा सकता। हम 50 साल से यहां रह रहे हैं। सरकार ने हमें ढाई लाख की सहायता दी थी। अब सिंचाई विभाग कह रहा है कि घर तोड़ देंगे। आखिर हम जाएंगे तो कहां? एक महिला बोली जब मोदी जी ने हमें घर बनवाकर दिया था, तब सब जांच हुई थी। तब तो मकान वैध था। अब अचानक अवैध कैसे हो गया? पहले घर दिया, अब तोड़ने की बात कर रहे हैं।
सिंचाई विभाग के एक्सईएन प्रवीण जोशीय ने बताया कि यह जमीन सिंचाई समेत कई विभागों की है। फिलहाल अवैध निर्माणों की पहचान की गई है और आगे की जांच जारी है। स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने फिलहाल ध्वस्तीकरण रोकने और दस्तावेजों की पुनः जांच की मांग की है।
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