नई दिल्ली: भारत अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के निशाने पर है। वह भारत के खिलाफ अनाप-शनाप की बातें कर रहे हैं। उनका एक आरोप यह भी है कि भारत के 'टैरिफ' बहुत ज्यादा हैं। वह भारत को 'टैरिफ किंग' कहते रहे हैं। हालांकि, ट्रंप का यह दावा हकीकत से कोसों दूर है। सच तो यह है कि भारत के टैरिफ कई देशों से कम हैं। इनमें वियतनाम, इंडोनेशिया, बांग्लादेश, तुर्की और यहां तक यूरोपीय संघ (ईयू) भी शामिल हैं। ट्रंप ने बार-बार कहा है कि भारत दुनिया में सबसे ज्यादा टैरिफ लगाता है। लेकिन, आंकड़ों से पता चलता है कि भारत का वेटेड या औसत टैरिफ सिर्फ 4.6% है। यह ईयू के 5%, वियतनाम के 5.1% और इंडोनेशिया के 5.7% से कम है। बांग्लादेश का टैरिफ तो 10.6% है। ट्रंप के आरोपों और भारत पर 25% टैरिफ लगाने के फैसले के बावजूद सच यह है कि भारत की टैरिफ नीतियां ग्लोबल स्टैंडर्ड के अनुरूप हैं। इतना ही नहीं, ये कई अन्य देशों से बेहतर हैं।
क्या होता है वेटेड टैरिफ?आसान शब्दों में कहें तो यह टैरिफ की औसत दर है। इसमें इस बात का ध्यान रखा जाता है कि कौन सी चीजें सबसे ज्यादा आयात की जा रही हैं। जिन वस्तुओं का आयात ज्यादा होता है, उनका टैरिफ औसत दर कैशकुलेशन में ज्यादा अहमियत रखता है। इस तरह वेटेड टैरिफ का मतलब है किसी देश की ओर से अलग-अलग आयातित वस्तुओं पर लगाए जाने वाले टैरिफ की औसत दर। इसमें हर वस्तु के टैरिफ को उसके आयात की मात्रा या मूल्य के हिसाब से वेट या भार दिया जाता है। ट्रंप वेटेड टैरिफ के बजाय किन्हीं चुनिंदा सेक्टर की बात करके इस अहम और बड़े पहलू पर पर्दा डाल रहे हैं।
ट्रंप के दावों में कितना दम?राष्ट्रपति ट्रंप ने पिछले कुछ हफ्तों कई बार सार्वजनिक रूप से कहा कि भारत व्यापार में 'खराब' है। उन्होंने भारत पर 'आपत्तिजनक' व्यापार बाधाएं लगाने का आरोप लगाया है। रूस के साथ भारत के रक्षा संबंधों पर भी सवाल उठाए हैं। ट्रंप ने भारत से आने वाले कई सामानों पर 25% टैरिफ लगाने का ऐलान किया है। उन्होंने सीएनबीसी को दिए एक इंटरव्यू में कहा, 'भारत अच्छा व्यापारिक भागीदार नहीं रहा है... उनकी टैरिफ दरें सबसे ज्यादा हैं।' लेकिन, सच यह है कि ट्रंप के ये दावे गलत हैं।
भारत ने पिछले 30 सालों में अपनी टैरिफ दरों को बहुत कम किया है। 1990 में टैरिफ दरें 56% थीं। ये अब घटकर 4.6% हो गई हैं। टैरिफ दरों में 90% की यह गिरावट दिखाती है कि भारत अपनी अर्थव्यवस्था को खोलने के लिए कितना गंभीर है। अमेरिका से भारत आने वाले सामानों पर टैरिफ दरें दुनिया में सबसे कम हैं। 45% से ज्यादा अमेरिकी सामानों पर 5% से कम टैरिफ लगता है। कई सामानों पर तो 10% से भी कम टैरिफ है।
कच्चा तेल, एलएनजी, औद्योगिक मशीनरी और दवाइयों जैसे मुख्य अमेरिकी सामानों पर भारत में बहुत कम टैरिफ लगता है। उदाहरण के लिए कच्चे तेल पर 1.1 रुपये प्रति टन और LNG पर 2.75% का मामूली टैरिफ लगता है। हवाई जहाज और उसके पार्ट्स पर सिर्फ 2.5% का टैरिफ है। वहीं, दवाओं पर 0 से 7.5% तक का टैरिफ लगता है।
ये आंकड़े खोल देंगे आंखें
भारत का बाजार कई एशियाई देशों से ज्यादा खुला है। अमेरिका से सामान भेजने वालों को भारत में चीन, वियतनाम या दक्षिण कोरिया के मुकाबले कम या लगभग बराबर टैरिफ देना पड़ता है। मसलन, भारत में इलेक्ट्रॉनिक्स और टेक्नोलॉजी पर 10.9% टैरिफ है। यह वियतनाम के 8.5% से ज्यादा है। लेकिन, चीन के 5.4% से काफी कम है। इसी तरह, डेयरी और कृषि उत्पादों पर भारत की टैरिफ दरें दुनिया के मुकाबले अच्छी हैं। भारत में यह दर 33% है, जबकि जापान में 61.3% और दक्षिण कोरिया में 54% है।
2025 में भारत ने अमेरिका से आने वाले कुछ खास सामानों पर टैरिफ और भी कम कर दिया है। मसलन, 1600cc तक के इंजन वाली मोटरसाइकिलों पर टैरिफ 50% से घटाकर 40% कर दिया गया है। इसी तरह बोरबॉन व्हिस्की पर टैरिफ 150% से घटाकर 100% कर दिया गया है। मछली के हाइड्रोलाइजेट पर टैरिफ 15% से घटाकर 5% कर दिया गया है।
ट्रंप का यह कहना कि भारत टैरिफ किंग है, पूरी तरह गलत है। यह दुनिया के बाकी देशों की स्थिति को भी अनदेखा करता है। ब्राजील (11.2%) और तुर्की (16.2%) जैसे देशों में भारत से ज्यादा टैरिफ दरें हैं। भारत की टैरिफ नीतियां उसकी आर्थिक स्थिति के हिसाब से ही हैं।
ट्रंप का झूठा एजेंडा क्यों? ट्रंप का यह तर्क कि भारत के रूस के साथ व्यापारिक संबंध हैं, भी सही नहीं है। अमेरिका खुद कई सामानों पर बहुत ज्यादा टैरिफ लगाता है। जैसे खट्टे क्रीम पर 197.04% और तंबाकू पर 183.87% टैरिफ है। यह ध्यान रखना जरूरी है कि टैरिफ के जरिए कृषि को बचाना एक आम बात है। भारत में कृषि टैरिफ दरें (39%) स्विट्जरलैंड (28.5%) और जापान (57%) जैसे देशों के मुकाबले अच्छी हैं।
ऐसे में यह कहना सरासर गलत है कि भारत दुनिया में सबसे ज्यादा टैरिफ लगाता है। वह अपनी अर्थव्यवस्था को दुनिया के लिए खोलने के लिए लगातार काम कर रहा है। ट्रंप के आरोपों में कोई सच नहीं है और वे गलत जानकारी पर आधारित हैं। भारत एक जिम्मेदार व्यापारिक भागीदार है और अंतरराष्ट्रीय नियमों का पालन करता है। ट्रंप के दावे आंकड़ों पर आधारित होने के बजाय राजनीतिक और रणनीतिक उद्देश्यों से प्रेरित हैं। ये अमेरिकी अर्थव्यवस्था और व्यापार संबंधों के उनके नजरिये से मेल खाते हैं। इसकी बुनियाद के बल पर ट्रंप दूसरे देशों पर दबाव बनाते हैं।
क्या होता है वेटेड टैरिफ?आसान शब्दों में कहें तो यह टैरिफ की औसत दर है। इसमें इस बात का ध्यान रखा जाता है कि कौन सी चीजें सबसे ज्यादा आयात की जा रही हैं। जिन वस्तुओं का आयात ज्यादा होता है, उनका टैरिफ औसत दर कैशकुलेशन में ज्यादा अहमियत रखता है। इस तरह वेटेड टैरिफ का मतलब है किसी देश की ओर से अलग-अलग आयातित वस्तुओं पर लगाए जाने वाले टैरिफ की औसत दर। इसमें हर वस्तु के टैरिफ को उसके आयात की मात्रा या मूल्य के हिसाब से वेट या भार दिया जाता है। ट्रंप वेटेड टैरिफ के बजाय किन्हीं चुनिंदा सेक्टर की बात करके इस अहम और बड़े पहलू पर पर्दा डाल रहे हैं।
ट्रंप के दावों में कितना दम?राष्ट्रपति ट्रंप ने पिछले कुछ हफ्तों कई बार सार्वजनिक रूप से कहा कि भारत व्यापार में 'खराब' है। उन्होंने भारत पर 'आपत्तिजनक' व्यापार बाधाएं लगाने का आरोप लगाया है। रूस के साथ भारत के रक्षा संबंधों पर भी सवाल उठाए हैं। ट्रंप ने भारत से आने वाले कई सामानों पर 25% टैरिफ लगाने का ऐलान किया है। उन्होंने सीएनबीसी को दिए एक इंटरव्यू में कहा, 'भारत अच्छा व्यापारिक भागीदार नहीं रहा है... उनकी टैरिफ दरें सबसे ज्यादा हैं।' लेकिन, सच यह है कि ट्रंप के ये दावे गलत हैं।
भारत ने पिछले 30 सालों में अपनी टैरिफ दरों को बहुत कम किया है। 1990 में टैरिफ दरें 56% थीं। ये अब घटकर 4.6% हो गई हैं। टैरिफ दरों में 90% की यह गिरावट दिखाती है कि भारत अपनी अर्थव्यवस्था को खोलने के लिए कितना गंभीर है। अमेरिका से भारत आने वाले सामानों पर टैरिफ दरें दुनिया में सबसे कम हैं। 45% से ज्यादा अमेरिकी सामानों पर 5% से कम टैरिफ लगता है। कई सामानों पर तो 10% से भी कम टैरिफ है।
कच्चा तेल, एलएनजी, औद्योगिक मशीनरी और दवाइयों जैसे मुख्य अमेरिकी सामानों पर भारत में बहुत कम टैरिफ लगता है। उदाहरण के लिए कच्चे तेल पर 1.1 रुपये प्रति टन और LNG पर 2.75% का मामूली टैरिफ लगता है। हवाई जहाज और उसके पार्ट्स पर सिर्फ 2.5% का टैरिफ है। वहीं, दवाओं पर 0 से 7.5% तक का टैरिफ लगता है।
ये आंकड़े खोल देंगे आंखें
भारत का बाजार कई एशियाई देशों से ज्यादा खुला है। अमेरिका से सामान भेजने वालों को भारत में चीन, वियतनाम या दक्षिण कोरिया के मुकाबले कम या लगभग बराबर टैरिफ देना पड़ता है। मसलन, भारत में इलेक्ट्रॉनिक्स और टेक्नोलॉजी पर 10.9% टैरिफ है। यह वियतनाम के 8.5% से ज्यादा है। लेकिन, चीन के 5.4% से काफी कम है। इसी तरह, डेयरी और कृषि उत्पादों पर भारत की टैरिफ दरें दुनिया के मुकाबले अच्छी हैं। भारत में यह दर 33% है, जबकि जापान में 61.3% और दक्षिण कोरिया में 54% है।
2025 में भारत ने अमेरिका से आने वाले कुछ खास सामानों पर टैरिफ और भी कम कर दिया है। मसलन, 1600cc तक के इंजन वाली मोटरसाइकिलों पर टैरिफ 50% से घटाकर 40% कर दिया गया है। इसी तरह बोरबॉन व्हिस्की पर टैरिफ 150% से घटाकर 100% कर दिया गया है। मछली के हाइड्रोलाइजेट पर टैरिफ 15% से घटाकर 5% कर दिया गया है।
ट्रंप का यह कहना कि भारत टैरिफ किंग है, पूरी तरह गलत है। यह दुनिया के बाकी देशों की स्थिति को भी अनदेखा करता है। ब्राजील (11.2%) और तुर्की (16.2%) जैसे देशों में भारत से ज्यादा टैरिफ दरें हैं। भारत की टैरिफ नीतियां उसकी आर्थिक स्थिति के हिसाब से ही हैं।
ट्रंप का झूठा एजेंडा क्यों? ट्रंप का यह तर्क कि भारत के रूस के साथ व्यापारिक संबंध हैं, भी सही नहीं है। अमेरिका खुद कई सामानों पर बहुत ज्यादा टैरिफ लगाता है। जैसे खट्टे क्रीम पर 197.04% और तंबाकू पर 183.87% टैरिफ है। यह ध्यान रखना जरूरी है कि टैरिफ के जरिए कृषि को बचाना एक आम बात है। भारत में कृषि टैरिफ दरें (39%) स्विट्जरलैंड (28.5%) और जापान (57%) जैसे देशों के मुकाबले अच्छी हैं।
ऐसे में यह कहना सरासर गलत है कि भारत दुनिया में सबसे ज्यादा टैरिफ लगाता है। वह अपनी अर्थव्यवस्था को दुनिया के लिए खोलने के लिए लगातार काम कर रहा है। ट्रंप के आरोपों में कोई सच नहीं है और वे गलत जानकारी पर आधारित हैं। भारत एक जिम्मेदार व्यापारिक भागीदार है और अंतरराष्ट्रीय नियमों का पालन करता है। ट्रंप के दावे आंकड़ों पर आधारित होने के बजाय राजनीतिक और रणनीतिक उद्देश्यों से प्रेरित हैं। ये अमेरिकी अर्थव्यवस्था और व्यापार संबंधों के उनके नजरिये से मेल खाते हैं। इसकी बुनियाद के बल पर ट्रंप दूसरे देशों पर दबाव बनाते हैं।
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