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SIR से पहले पश्चिम बंगाल में बड़ा प्रशासनिक फेरबदल, 67 IAS और राज्य के 460 अधिकारियों का ट्रांसफर

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कोलकाता : पश्चिम बंगाल सरकार ने बड़ा प्रशासनिक फेरबदल करते हुए एक ही दिन में 67 आईएएस और 460 राज्य सिविल सेवा के अधिकारियों का तबादला कर दिया है। इस फेरबदल में 14 जिलाधिकारियों के साथ-साथ कई सिविक और इंफ्रास्ट्रक्टर से जुड़े अधिकारियों के भी तबादले हुए हैं। यह कदम सरकार ने चुनाव आयोग द्वारा मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) शुरु करने से कुछ महीने पहले उठाया है।

पश्चिम बंगाल में जल्द शुरु होगा एसआईआर
दिल्ली में इस हफ्ते एसआईआर प्रक्रिया शुरु हो रही है और एसआईआर जल्द ही पश्चिम बंगाल में भी शुरु होगा। आर्टिकल 324(1) के तहत, चुनाव आयोग को एसआईआर प्रक्रिया के दौरान “पर्यवेक्षण, निर्देशन और नियंत्रण" जैसे अधिकार मिलते हैं, जो चुनाव आयोग के पास चुनाव के समय में होते हैं। इस प्रक्रिया के दौरान जिलाधिकारियों और ब्लॉक डेवलपमेंट अफसरों जैसे प्रशासनिक अधिकारी चुनावी रजिस्ट्रेशन अधिकारी के तौर पर काम करते हैं।

पश्चिम बंगाल में अगले साल होगा चुनाव
कई ट्रांसफर किए गए अधिकारी अपने पद पर ढाई से चार साल से थे। वे जल्द ही चुनाव आयोग के उस नियम को तोड़ने वाले थे, जो कहता है कि चुनाव की घोषणा होने पर कोई भी अधिकारी एक ही पद पर तीन साल से अधिक समय तक नहीं रह सकता। पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव मार्च 2026 तक होने की उम्मीद है। ऐसा माना जा रहा है कि मतदाता सूची की जांच का कार्यक्रम चुनाव की तारीखों के ऐलान से पहले हो जाएगा। एक सीनियर राज्य अधिकारी ने कहा कि ये तबादले नियमित थे। अधिकारियों ने यह भी माना कि चुनाव आयोग की प्रक्रिया शुरू होने के बाद इतना बड़ा फेरबदल करना बहुत कठिन होता। लीगल एक्सपर्ट्स का कहना है कि एसआईआर शुरु होने के बाद चुनाव आयोग का सीधा नियंत्रण राज्य की अहम अधिकारियों को इधर-उधर करने की शक्ति को सीमित कर देता है।


शुक्रवार को आया तबादले का आदेश
शुक्रवार को तबादले का आदेश ऐसे समय में आया है जब चुनाव आयोग ने कुछ जिलों में एसआईआर की तैयारियों की धीमी गति पर संकेत दिए थे। एक रिटायर्ड अधिकारी ने बताया कि एसआईआर की प्रक्रिया शुरु होने के बाद डीएम जिला निर्वाचन पंजीकरण अधिकारी भी बन जाते हैं और सीधे चुनाव आयोग के अधीन आ जाते हैं। उन्होंने आगे कहा कि चुनाव आयोग उन डीएम के तबादले कर सकता था, जिनके काम से वह संतुष्ट नहीं था। अधिकारियों ने बताया कि पुलिस प्रशासन में भी इसी तरह के तबादले हो सकते हैं ताकि चुनाव आयोग के तीन साल के नियम का पालन किया जा सके। हालांकि, इन तबादलों को औपचारिक चुनाव घोषणा से पहले तक टाला जा सकता है, क्योंकि SIR चरण के दौरान पुलिसकर्मी चुनाव आयोग के नियंत्रण में नहीं आते।





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