स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ने के साथ ही रसोई में इस्तेमाल होने वाले तेल को लेकर बहस तेज़ हो गई है। एक तरफ है सदियों पुराना देसी घी, जिसे आयुर्वेद में “सुपरफूड” माना गया है, तो दूसरी तरफ है ऑलिव ऑयल (जैतून का तेल), जो पश्चिमी दुनिया से आया लेकिन अब भारतीय किचन में भी जगह बना चुका है। ऐसे में सवाल उठता है – क्या हमारी परंपरागत रसोई का हिस्सा घी आज भी सेहत के लिए बेहतर है, या फिर ऑलिव ऑयल ज्यादा फायदेमंद साबित हो रहा है?
घी: पारंपरिक पोषण का खजाना
देसी घी भारतीय रसोई का अभिन्न हिस्सा रहा है। गाय के दूध से बना शुद्ध घी संतृप्त वसा (Saturated Fat) में भरपूर होता है, लेकिन सीमित मात्रा में इसका सेवन शरीर के लिए लाभकारी होता है।
घी में ब्यूटिरिक एसिड नामक फैटी एसिड होता है, जो पाचन में सहायक है।
यह स्मृति, प्रतिरोधक क्षमता और हॉर्मोनल बैलेंस के लिए फायदेमंद माना जाता है।
आयुर्वेद के अनुसार, घी शरीर की “ओज” शक्ति को बढ़ाता है और मानसिक स्पष्टता में भी सुधार करता है।
हालांकि, हृदय रोगियों के लिए घी का अधिक सेवन हानिकारक हो सकता है, विशेषकर अगर खानपान पहले से ही अधिक वसा युक्त हो।
ऑलिव ऑयल: भूमध्य सागर की सौगात
ऑलिव ऑयल विशेषकर एक्स्ट्रा वर्जिन ऑलिव ऑयल को हृदय स्वास्थ्य के लिए उत्तम माना जाता है। इसमें मोनोअनसैचुरेटेड फैट्स (MUFA) और एंटीऑक्सिडेंट्स की मात्रा अधिक होती है, जो कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने और सूजन कम करने में मदद करते हैं।
यह ब्लड प्रेशर, डायबिटीज और हृदय रोग से लड़ने में सहायक माना गया है।
ऑलिव ऑयल में मौजूद ओलेइक एसिड कैंसर रोधी गुण रखता है।
हालांकि, इसे अधिक तापमान पर गर्म नहीं किया जा सकता, जिससे डीप फ्राई जैसे भारतीय व्यंजनों में इसकी उपयोगिता सीमित हो जाती है।
भारत के संदर्भ में कौन बेहतर?
विशेषज्ञों के अनुसार, किसी भी तेल का सेवन मात्रा और प्रकार पर निर्भर करता है। भारत जैसे देश में जहां भोजन पकाने के लिए तेल का उच्च तापमान पर उपयोग होता है, वहां घी तुलनात्मक रूप से अधिक स्थिर माना जाता है। दूसरी ओर, ऑलिव ऑयल सलाद ड्रेसिंग या लो-हीट कुकिंग के लिए बेहतर है।
न्यूट्रिशन एक्सपर्ट कहती हैं, “घी और ऑलिव ऑयल दोनों ही अपने-अपने स्थान पर लाभकारी हैं, लेकिन इनका उपयोग जीवनशैली, स्वास्थ्य स्थिति और भोजन की प्रकृति को देखकर ही करना चाहिए।”
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