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पूजा-पाठ में क्या होता है चावल का महत्व? चावल के साथ जुड़ी हैं ये मान्यताएं

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लाइव हिंदी खबर :-हिंदू धर्म में देवी-देवताओं को प्रसन्न करने के लिए श्रद्धालु पूजन, आरती, धार्मिक अनुष्ठान और प्रसाद चढ़ाते हैं। ये सभी अनुष्ठान कर्मकांड की श्रेणी में आते हैं। मान्यता है कि इनका विधिवत पालन करने से देवी-देवता प्रसन्न होते हैं। इसलिए हिन्दू धर्म में पूजा करते समय हर सामग्री को अनुष्ठानों के अनुसार ही देवताओं को अर्पित करने का चलन है। इन कर्मकांडो से माना जाता है कि पूण्य फल मिलता है।

हिंदू धर्म में करोड़ों देवी-देवता की पूजा की जाती है। इनके पूजा-पाठ में उपयोग होने वाली सामग्री भी अलग-अलग होते हैं। लेकिन कुछ ऐसी सामग्रियां भी हैं, जिन्हें अधिकांशत: वैदिक पूजा में उपयोग किया ही जाता है। ऐसी ही एक सामग्री है, जिसे अक्षत भी कहा जाता है।

पूजा पाठ में चावल का अपना महत्व स्थान होता है। तिलक लगाना हो या पूजा-पाठ करना हो उसमें भी अक्षत का प्रयोग किया जाता है। अक्षत का अर्थ होता है कि जो टूटा ना हो।

हिंदू धर्म में चावल का धार्मिक महत्व होता है। अन्न सामाग्री है जिसका रंग सफेद होता है। सफेद शांति का प्रतीक होता है। इसके साथ चावल पूर्णत: का भी प्रतीक माना जाता है। पूजा पाठ में इसका प्रयोग इसलिए किया जाता है कि जिससे हमारा जीवन में शांति बनी रहे है हमेशा किसी चीज की कमी न हो।

चावल को अन्न में सबसे श्रेष्ठ भी माना गया है, इसे ईश्वर को अर्पित करते समय हमारे मन में यह भावना बनी रहनी चाहिए कि हमें जो भी प्राप्त हुआ है वह सिर्फ ईश्वर की कृपा ही है।

जब आप ईश्वर को चावल अर्पित करें या चावल का उपयोग करें तो इस बात का ध्यान अवश्य रखें कि जो चावल आप प्रयोग में ला रहे हैं वह कहीं भी टूटे ना हों और निश्चित रूप से साफ और स्वच्छ होने चाहिए।

विवाह की कई रस्मों में अक्षत का प्रयोग किया जाता है। माना जाता है कि अक्षत से दुष्टात्माएं भागती हैं। इसलिए वर-वधू इसे अग्नि में समर्पित करते हैं। परिवार के लोग जोड़े के ऊपर अक्षत छिड़कते हैं। मान्यता है कि इस तरह दोनों को जीवन में समृद्धि प्राप्त करने का आशीर्वाद दिया जाता है।

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