अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को कहा कि वह कंप्यूटर चिप्स और सेमीकंडक्टर के आयात पर 100% टैरिफ लगाने की योजना बना रहे हैं। इस फैसले का सीधा असर अमेरिका में उपभोक्ता वस्तुओं की कीमतों पर पड़ सकता है, क्योंकि इन चिप्स का इस्तेमाल मोबाइल, कार, टीवी, फ्रिज, और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में व्यापक रूप से होता है।
हालांकि ट्रंप ने स्पष्ट किया कि अमेरिका में उत्पादित चिप्स पर इस टैरिफ का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। यानी, घरेलू कंपनियों को इस कर से राहत मिलेगी। इससे अमेरिका के भीतर चिप निर्माण को प्रोत्साहन मिलने की उम्मीद है।
टिम कुक से बातचीत के दौरान किया ऐलान
ओवल ऑफिस में Apple के CEO टिम कुक के साथ एक बैठक के दौरान डोनाल्ड ट्रंप ने कहा, "हम कंप्यूटर चिप्स और सेमीकंडक्टर आयात पर लगभग 100 प्रतिशत शुल्क लगाएंगे। लेकिन यदि आप ये उत्पाद अमेरिका में बना रहे हैं, तो कोई टैक्स नहीं देना पड़ेगा।" यह बयान ट्रंप के उस निर्णय के एक दिन बाद आया है, जिसमें उन्होंने भारत पर रूस से तेल खरीदने के चलते 25% अतिरिक्त शुल्क लगाने का आदेश दिया था। इस फैसले के बाद भारत पर कुल आयात शुल्क 50% तक पहुंच गया है, जो 21 दिनों के भीतर प्रभाव में आ जाएगा।
इस बीच भारत और रूस दोनों के पास अमेरिका के साथ टैरिफ को लेकर बातचीत का अवसर मौजूद है, जिससे समाधान की संभावना बनी हुई है।
अमेरिकी बाजारों में महंगाई का खतरा
चिप्स पर भारी टैरिफ लगाने से अमेरिकी उपभोक्ताओं को अतिरिक्त आर्थिक बोझ उठाना पड़ सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर 100% शुल्क वाकई लागू होता है, तो स्मार्टफोन, एलईडी टीवी, इलेक्ट्रिक वाहनों और स्मार्ट होम डिवाइसेज की कीमतों में उल्लेखनीय बढ़ोतरी हो सकती है। इससे कंपनियों की उत्पादन लागत बढ़ेगी और लाभ में कटौती होगी, जिसका सीधा प्रभाव खुदरा कीमतों पर दिखेगा।
चिप्स की मांग लगातार बढ़ रही
कोरोना काल के दौरान वैश्विक चिप संकट ने पहले ही इस उद्योग की नाजुकता को उजागर कर दिया था। उस समय वाहन उद्योग सबसे अधिक प्रभावित हुआ था। अब जब तकनीक आधारित उत्पादों की मांग लगातार बढ़ रही है — खासकर AI, स्मार्टफोन, इलेक्ट्रिक वाहन और होम गैजेट्स के क्षेत्रों में — तो चिप्स की अहमियत और अधिक बढ़ गई है।
विश्व सेमीकंडक्टर व्यापार सांख्यिकी संगठन के मुताबिक, जून में समाप्त वित्त वर्ष में चिप्स की बिक्री में 19.6% की बढ़ोतरी दर्ज की गई है, जो इस सेक्टर की तीव्र गति को दर्शाती है।
चीन, ताइवान और दक्षिण कोरिया को निशाना
आधिकारिक व्यापार रिपोर्ट्स के अनुसार, अमेरिका ने 2024 में तकरीबन 46.3 अरब डॉलर मूल्य के सेमीकंडक्टर आयात किए, जो कि कुल आयात का लगभग 1% हिस्सा है। इस आंकड़े से स्पष्ट होता है कि अमेरिका अभी भी विदेशी चिप्स पर काफी निर्भर है।
ट्रंप का यह निर्णय खासकर एशिया से आने वाली चिप्स — जिनमें ताइवान, दक्षिण कोरिया और चीन प्रमुख हैं — पर निर्भरता को कम करने की रणनीति का हिस्सा है। दुनिया में 70% से अधिक सेमीकंडक्टर इन्हीं तीन देशों में बनते हैं।
इस 100% टैरिफ नीति के ज़रिए ट्रंप न केवल अमेरिका को तकनीकी रूप से आत्मनिर्भर बनाना चाहते हैं, बल्कि एशियाई शक्तियों को भी यह संकेत देना चाहते हैं कि अब उनका प्रभुत्व चुनौती में है।
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