बिहार विधानसभा चुनाव 2025 नजदीक आते ही मोकामा की राजनीति में हलचल और तेज हो गई है। सोमवार (16 सितंबर) को NDA कार्यकर्ता सम्मेलन में पूर्व विधायक और बाहुबली नेता अनंत सिंह ने अपनी मौजूदगी से सियासी माहौल गरमा दिया। उन्होंने साफ किया कि अब वे NDA का हिस्सा हैं और जनता के भरोसे पर खरा उतरेंगे। मीडिया से बातचीत में अनंत सिंह ने बेबाकी से कहा— “मुझे जनता के बीच रहना अच्छा लगता है। जो भी मेरे खिलाफ खड़ा होगा, उसकी जमानत जब्त कराना जनता जानती है। मैं हमेशा से जनता के साथ रहा हूं और आगे भी रहूंगा।”
उनके इस बयान ने न सिर्फ मोकामा बल्कि पूरे बिहार की राजनीति में हलचल पैदा कर दी है।
सम्मेलन में नेताओं की मौजूदगी और नारेबाज़ी
NDA कार्यकर्ता सम्मेलन में बड़ी संख्या में कार्यकर्ता जुटे और मंच पर “अनंत सिंह जिंदाबाद” के नारे गूंजते रहे। इस मौके पर केंद्रीय मंत्री और जेडीयू के वरिष्ठ नेता ललन सिंह, राज्य सरकार में मंत्री अशोक चौधरी और बीजेपी नेता शाहनवाज हुसैन जैसे दिग्गज नेता भी मौजूद थे।
ललन सिंह ने मंच से कहा— “मोकामा के पहले रक्षक नीतीश कुमार हैं और दूसरे अनंत सिंह।” इस बयान ने माहौल को और भी सियासी रंग दे दिया।
नीरज कुमार की गैरमौजूदगी बनी चर्चा
सम्मेलन में जेडीयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता और एमएलसी नीरज कुमार नज़र नहीं आए। मोकामा के मूल निवासी और अनंत सिंह के कट्टर विरोधी माने जाने वाले नीरज पहले ही उनके NDA में शामिल होने पर आपत्ति जता चुके हैं। उनकी गैरमौजूदगी ने यह संकेत दिया कि जेडीयू के भीतर अनंत सिंह की भूमिका को लेकर मतभेद अभी भी बने हुए हैं।
जेल से रिहाई के बाद लगातार बढ़ी सक्रियता
ध्यान देने वाली बात है कि अनंत सिंह 6 अगस्त को बेऊर जेल से बाहर आए थे। तभी से उनकी राजनीतिक सक्रियता लगातार बढ़ रही है। रिहाई के तुरंत बाद उन्होंने ऐलान किया था कि वे जेडीयू से चुनाव लड़ेंगे। हालांकि अब तक मोकामा विधानसभा सीट पर आधिकारिक उम्मीदवार की घोषणा नहीं हुई है, लेकिन माना जा रहा है कि जेडीयू का टिकट उन्हें मिलने लगभग तय है। उनके समर्थकों का दावा है कि पार्टी चाहे उन्हें टिकट दे या नहीं, जनता उनके साथ मजबूती से खड़ी रहेगी और यदि जरूरत पड़ी तो वे निर्दलीय भी चुनाव लड़ सकते हैं।
राजनीतिक समीकरण और भविष्य की तस्वीर
विशेषज्ञों का मानना है कि अनंत सिंह की NDA में एंट्री केवल मोकामा ही नहीं, बल्कि आसपास की कई सीटों के समीकरण बदल देगी। हालांकि विरोधी गुट का तर्क है कि उनकी मौजूदगी से NDA के भीतर खींचतान भी बढ़ सकती है।
फिलहाल, अनंत सिंह का यह कदम बिहार चुनाव 2025 से पहले एक बड़ा सियासी मोड़ माना जा रहा है। अब सबकी निगाहें जेडीयू की आधिकारिक घोषणा पर टिकी हैं और यह देखना दिलचस्प होगा कि मोकामा सीट का चुनावी मुकाबला कितना रोमांचक होता है। अनंत सिंह के हालिया बयान ने साफ कर दिया है कि आने वाले महीनों में मोकामा की राजनीति और भी गर्म होने वाली है।
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