सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (CJI) बीआर गवई पर एक वकील द्वारा जूता फेंकने की कोशिश की घटना पर उनकी मां, 84 वर्षीय कमलताई गवई ने कड़ा विरोध जताया है। उन्होंने इसे संविधान और कानून पर हमला बताया। कमलताई गवई ने कहा, "मैं इस घटना की पूरी निंदा करती हूं। हमारा भारतीय संविधान सभी नागरिकों को समान अधिकार देता है, लेकिन कुछ लोग कानून को अपने हाथ में लेकर ऐसा व्यवहार करते हैं जो अपमानजनक है और देश में अराजकता फैला सकता है। इस देश में किसी को भी ऐसा करने का अधिकार नहीं है। मैं सभी से अनुरोध करती हूं कि आपके जो भी सवाल या शिकायतें हैं, उन्हें शांतिपूर्ण और संवैधानिक तरीके से उठाएं।"
अमरावती में पत्रकारों से बातचीत के दौरान कमलताई ने कहा कि किसी भी परिस्थिति में कानून को अपने हाथ में नहीं लेना चाहिए। उन्होंने जोर देकर कहा कि हमें संवैधानिक संस्थाओं का सम्मान करना चाहिए और संयम और आपसी सम्मान बनाए रखना चाहिए। उनका कहना था, "यह सिर्फ व्यक्तिगत हमला नहीं है, बल्कि एक जहरीली विचारधारा का हिस्सा है जिसे फैलने से पहले रोकना होगा। इस तरह की घटनाएं हमारे संविधान का अपमान करती हैं और देश की छवि को धूमिल करती हैं। संविधान के खिलाफ कार्य करने वाले किसी भी व्यक्ति को सख्त दंड का सामना करना चाहिए।"
कमलताई गवई ने डॉ. बीआर अंबेडकर के सिद्धांतों का हवाला देते हुए कहा कि बाबासाहेब ने हमें 'जियो और जीने दो' के सिद्धांत पर आधारित एक समावेशी संविधान दिया। उन्होंने लोगों से अपील की, "कृपया अपने मुद्दों को शांतिपूर्ण और संवैधानिक माध्यमों से हल करें। किसी को भी अशांति फैलाने का अधिकार नहीं है।"
इस बीच, अमरावती जिला अधिवक्ता संघ ने मंगलवार को इस घटना की कड़ी निंदा की और विरोध प्रदर्शन किया। सैकड़ों वकील जिला कलेक्टर कार्यालय पर एकत्र हुए और उन्होंने आरोपियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की मांग की।
गौरतलब है कि सीजेआई गवई पर जूता उस समय फेंका गया था जब वे एक मामले की सुनवाई कर रहे थे। एडवोकेट राकेश किशोर ने जूता उछाला, लेकिन सुरक्षाकर्मियों की सतर्कता के कारण जूता उन्हें नहीं लगा। सुरक्षाकर्मियों ने तुरंत कार्रवाई करते हुए राकेश किशोर को कोर्ट से बाहर ले जाया। बाहर जाते समय राकेश किशोर ने 'सनातन का अपमान नहीं सहेंगे' का नारा लगाया, जिसे सीजेआई गवई द्वारा खजुराहो के विष्णु प्रतिमा मामले में दी गई टिप्पणी से जोड़ा जा रहा है।
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