New Delhi, 31 अगस्त . वेस्ट लाइन ही नहीं अगर आप अच्छी सेहत चाहते हैं तो नेक साइज पर भी ध्यान देना जरूरी है. एक स्टडी इस पर मुहर लगाती है. जिसके मुताबिक गर्दन का आकार भी हृदय रोग, मधुमेह और नींद संबंधी विकारों को लेकर आपको चेताता है.
अध्ययन में एक चौंकाने वाला तथ्य भी सामने आया है. मोटी गर्दन हेल्दी बीएमआई (बॉडी मास इंडेक्स) वाले लोगों के लिए भी परेशानी का सबब बन सकती है.
वजह? बीएमआई की कुछ सीमाएं हैं. उदाहरण के लिए, यह मांसपेशियों और फैट्स में अंतर नहीं कर सकता, न ही यह बताता है कि शरीर में फैट कहां जमा है. किंग्स्टन विश्वविद्यालय के डॉ. अहमद एल्बेदीवी और डॉ. नादिन वेहिदा ने ‘द कन्वर्सेशन’ में विभिन्न रिसर्च के आधार पर एक लेख लिखा है. उन्होंने लिखा, “एक प्रतिस्पर्धी बॉडीबिल्डर का बीएमआई ऊंचा हो सकता है, लेकिन वह स्पष्ट रूप से मोटापे से ग्रस्त नहीं है.”
गर्दन की गोलाई यानी गर्दन के चारों ओर की माप, जो आमतौर पर इंच या सेंटीमीटर में ली जाती है, शरीर में फैट के जमाव, विशेषकर ऊपरी शरीर में जमा वसा, का संकेत देती है. रिसर्च के मुताबिक मोटी गर्दन हृदय रोग, नींद संबंधी बीमारियों और डायबिटिज का संकेत देती है.
शोध में पाया गया है कि जिन लोगों की गर्दन ज्यादा मोटी होती है, उनमें हाई ब्लड प्रेशर, हाई कोलेस्ट्रॉल और दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है.
शोधकर्ताओं ने ये भी कहा है कि हर व्यक्ति के लिए इसका माप अलग-अलग हो सकता है, लेकिन सामान्य रूप से पुरुषों के लिए 38 से.मी. से कम (लगभग 15 इंच) और महिलाओं के लिए 35 से.मी. या उससे कम (लगभग 13.8 इंच) होना चाहिए.
यदि आपकी गर्दन की माप इससे अधिक है, तो यह संकेत हो सकता है कि शरीर में फैट असंतुलित रूप से जमा हो रहा है. 2022 में, शोधकर्ताओं ने मोटी गर्दन को एट्रियल फिब्रिलेशन से जोड़ा. यह एक ऐसी स्थिति है जो अनियमित दिल की धड़कन का कारण होती है. इससे थकान बढ़ती है, स्ट्रोक का खतरा बढ़ता है, रक्त के थक्के जमते हैं, और हृदय गति रुकने से मौत भी हो सकती है.
तो सवाल यही है कि इससे बचाव कैसे हो. तरीका सरल है. स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं और अच्छा खाएं. नियमित व्यायाम करें, विशेषकर कार्डियो और स्ट्रेंथ ट्रेनिंग पर ध्यान दें. स्लीप एप्निया या खर्राटों जैसी समस्याओं को नजरअंदाज न करें और गर्दन के आकार को मापते रहें, क्योंकि सेहत की कुंजी आपकी गर्दन में भी छुपी है.
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केआर/
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