New Delhi, 5 नवंबर . India में जिन खेलों की लोकप्रियता लगातार बढ़ रही है, उनमें बैडमिंटन सबसे प्रमुख है. देश को कॉमनवेल्थ और ओलंपिक जैसे अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर बैडमिंटन में पदक प्राप्त हुए हैं. इसी वजह से गांव से लेकर मेट्रो शहरों तक बैडमिंटन का फैलाव पिछले 10 सालों में तेजी से हुआ है.
पीवी सिंधु, सायना नेहवाल, और लक्ष्य सेन के मैच दर्शक टेलीविजन पर देखना चाहते हैं. ये खिलाड़ी लोकप्रियता में क्रिकेटरों को टक्कर देते हैं. मौजूदा समय में बैडमिंटन की जो भी स्थिति है, उसे और भी बेहतर बनाया जा सकता है. इसके लिए जरूरी है कि युवा खिलाड़ियों को आर्थिक रूप से सबल बनाया जाए.
बैडमिंटन खिलाड़ियों को आर्थिक रूप से सक्षम बनाने और उन्हें अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बड़ी सफलता हासिल करने में सहयोग के लिए ही 2013 में इंडियन बैडमिंटन लीग (आईबीएल) की शुरुआत की गई थी. 2016 में इस लीग को प्रीमियर बैडमिंटन लीग (पीबीएल) के नाम से फिर लांच किया गया. पीबीएल बैडमिंटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया (बीएआई) द्वारा प्रबंधित है और दुनिया की शीर्ष बैडमिंटन लीग में शुमार की जाती है.
प्रीमियर बैडमिंटन लीग में वर्तमान में सात टीमें खेलती हैं. पूर्व में 9 टीमें लीग का हिस्सा थी. टीमें शहर आधारित हैं और इसमें देशी-विदेशी खिलाड़ियों को मौका दिया जाता है. पीबीएल की मौजूदा टीमें दिल्ली डैशर्स, चेन्नई सुपरस्टार्ज, Bengaluru रैप्टर्स, हैदराबाद हंटर्स, Mumbai रॉकेट्स, अवध वॉरियर्स, नॉर्थईस्टर्न वॉरियर्स और पुणे 7 एसेस हैं. लीग में टीमें खिलाड़ियों का चयन नीलामी प्रक्रिया के माध्यम से करती हैं. साथ ही खिलाड़ियों का सीधा चयन भी होता है. किसी भी खिलाड़ी के लिए अधिकतम 77 लाख खर्च किया जा सकता है.
पुरुष वर्ग, महिला वर्ग, डबल्स और मिश्रित डबल्स हर वर्ग में मुकाबले खेले जाते हैं. प्रीमियर बैडमिंटन लीग का आयोजन आमतौर पर दिसंबर और जनवरी के महीनों में होता है.
पीबीएल देश में बैडमिंटन क्रांति का अगुआ बना है. लीग के माध्यम से खिलाड़ियों को आर्थिक रूप से संबल तो मिल ही रहा है, उन्हें अपनी क्षमता को प्रदर्शित करने का बड़ा मंच भी मिल रहा है. कई भारतीय खिलाड़ियों ने पीबीएल के माध्यम से राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाई है. इसमें सात्विक और चिराग की जोड़ी प्रमुख है. इसके अलावा लीग में पीवी सिंधु, किदांबी श्रीकांत, साइना नेहवाल, एचएस प्रणय, लक्ष्य सेन, और ज्वाला गुट्टा भी खेल चुके हैं या अभी भी इसका हिस्सा हैं.
पीबीएल में आने वाले समय में और भी क्रांतिकारी बदलाव होने हैं, जो देश में बैडमिंटन की स्थिति को और भी मजबूत करेंगे.
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पीएके/
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