New Delhi, 16 अक्टूबर . आज की तेज रफ्तार और तनाव से भरी जिंदगी ने हर उम्र के लोगों को किसी न किसी तरह से प्रभावित किया है. खानपान की आदतें बिगड़ गई हैं, नींद पूरी नहीं हो पाती और शरीर की गतिविधियां लगभग शून्य हो गई हैं. ऐसे में सबसे ज्यादा असर हमारे शरीर के उस हिस्से पर पड़ता है, जहां हम सबसे कम ध्यान देते हैं यानी पेट. पेट की चर्बी, जिसे आम भाषा में बैली फैट कहा जाता है, यह सेहत के लिए खतरनाक होती है. यह धीरे-धीरे डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर और हार्ट से जुड़ी बीमारियों को जन्म दे सकती है. अधिकतर लोग इस समस्या से जूझ रहे हैं और समाधान के तौर पर जिम या फिर बाजार के महंगे और केमिकल से भरपूर प्रोडक्ट्स को देखते हैं, जिनका असर या तो धीमा होता है या टिकाऊ नहीं होता.
अगर आयुर्वेदिक तरीका अपनाया जाए तो पेट की चर्बी कम हो सकती है. इसके लिए आयुर्वेद में टमाटर का नियमित सेवन को कारगर उपाय बताया गया है.
आयुर्वेद की दृष्टि से देखा जाए तो टमाटर शरीर में वात, पित्त और कफ का संतुलन बनाए रखने में मदद करता है. यह एक प्राकृतिक डिटॉक्स की तरह काम करता है और शरीर को हल्का, साफ और ऊर्जावान बनाए रखता है. खास बात यह है कि इसे किसी भी उम्र का व्यक्ति अपने आहार में शामिल कर सकता है और इसका कोई साइड इफेक्ट भी नहीं होता.
अगर आप दिन में दो बार खाने से पहले 3 से 4 पके हुए टमाटर खाएं, तो यह पेट की चर्बी को धीरे-धीरे घटाने में मदद कर सकता है. टमाटर में पाए जाने वाले पोषक तत्व शरीर के मेटाबॉलिज्म को तेज करते हैं, जिससे फैट तेजी से बर्न होता है. टमाटर में लाइकोपीन नाम का एक शक्तिशाली एंटीऑक्सिडेंट होता है, जो शरीर में मौजूद हानिकारक टॉक्सिन्स को बाहर निकालने में मदद करता है. जब शरीर अंदर से साफ होता है, तो चयापचय यानी मेटाबॉलिज्म भी बेहतर तरीके से काम करता है.
इसके अलावा टमाटर में विटामिन ए, सी, पोटैशियम और फाइबर भरपूर मात्रा में होता है. फाइबर पेट को लंबे समय तक भरा हुआ महसूस कराता है, जिससे आप बार-बार खाने से बचते हैं और कैलोरी धीरे-धीरे कम होती है.
टमाटर के नियमित सेवन से पाचन तंत्र भी सुधरता है, जिससे गैस, अपच और सूजन जैसी आम पेट संबंधी समस्याएं कम हो जाती हैं. अगर टमाटर का सेवन सुबह नाश्ते से पहले और रात को खाने से पहले किया जाए, तो इसका असर जल्दी दिखता है. कुछ लोग इसमें स्वाद के लिए थोड़ा सा सेंधा नमक और काली मिर्च भी मिला सकते हैं, जिससे यह और स्वादिष्ट भी बन जाता है और शरीर में जलन या गर्मी भी नहीं होती.
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पीके/डीएससी
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