जयपुर, 12 सितम्बर (Udaipur Kiran News). Rajasthan हाईकोर्ट ने साइबर ठगी से जुड़े एक मामले में राहत देते हुए कचौड़ी बेचने वाले व्यक्ति का पूरा बैंक खाता फ्रीज करने के आदेश को गलत ठहराया है. अदालत ने खाते को डी-फ्रीज करने के निर्देश दिए और कहा कि इस तरह के समान मामलों पर अक्टूबर के पहले सप्ताह में वकील अदालत की सहायता करें.
जस्टिस अनूप कुमार ढंड ने पदम कुमार जैन की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता जांच एजेंसी की अनुमति के बिना खाता बंद नहीं करेगा और यदि उसकी भूमिका सामने आती है तो उस पर कार्रवाई की जा सकती है. साथ ही, अदालत ने केंद्रीय गृह मंत्रालय और आरबीआई के वकीलों को इस संबंध में जारी दिशा-निर्देशों की जानकारी कोर्ट में प्रस्तुत करने को कहा.
याचिका में अधिवक्ता अक्षत शर्मा ने तर्क दिया कि याचिकाकर्ता, जो कचौड़ी विक्रेता है, के बैंक खाते में मात्र पांच हजार रुपये का संदिग्ध लेनदेन दिखाकर बैंक ऑफ Maharashtra ने पूरा खाता फ्रीज कर दिया. बैंक ने बताया कि यह कार्रवाई तेलंगाना पुलिस में दर्ज साइबर अपराध के निर्देश पर की गई है, जबकि खाता बंद होने से याचिकाकर्ता का व्यवसाय प्रभावित हो रहा है.
बैंक की ओर से अधिवक्ता हिमांशु ठोलिया ने विरोध जताते हुए कहा कि राष्ट्रीय पोर्टल पर दर्ज शिकायत पर तेलंगाना पुलिस जांच कर रही है. अज्ञात साइबर अपराधियों ने करोड़ों रुपये की ठगी की है और उस ठगी की राशि का कुछ हिस्सा याचिकाकर्ता के खाते में भी जमा हुआ है. ऐसे में गृह मंत्रालय की एसओपी के अनुसार खाता फ्रीज करना जरूरी था. यदि पूरा खाता फ्रीज न किया जाए और ठग राशि निकाल लें तो बैंक प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया जाएगा.
दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने याचिकाकर्ता का बैंक खाता डी-फ्रीज करने के आदेश दिए और समान प्रकृति के मामलों में व्यापक दिशा-निर्देश तय करने के संकेत दिए.
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