बलौदा बाजार, 2 नवंबर . कभी जिस किसान के घर की मिट्टी का सौंधापन भी संघर्ष से भीगा था, आज वही किसान छत्तीसगढ़ राज्य का गर्व है. छत्तीसगढ़ के किसान आज न केवल अन्नदाता हैं, बल्कि नवाचार और प्राकृतिक खेती के प्रतीक भी बन रहे हैं.
यह कहानी बलौदा बाजार जिले के पलारी ब्लॉक के छोटे से गांव मुसवाडीह के किसान वामन टिकरिहा की है, जिन्हें वर्ष 2025-26 के लिए राज्य Government ने डॉ. खूब चंद बघेल कृषक रत्न पुरस्कार के लिए चयनित किया है.
यह पुरस्कार छत्तीसगढ़ के उन प्रगतिशील किसानों को दिया जाता है, जिन्होंने कृषि क्षेत्र में नवाचार, जैविक और विविध आय आधारित खेती के माध्यम से नई दिशा दिखाई है.
राज्य स्थापना के बाद यह पहला अवसर है, जब बलौदा बाजार जिले से किसी किसान का चयन इस प्रतिष्ठित राज्य स्तरीय पुरस्कार के लिए हुआ है. जिले के कृषि समुदाय के लिए यह गर्व का क्षण है. गांव से लेकर जिला मुख्यालय तक लोग इस उपलब्धि पर खुशी जता रहे हैं.
वामन टिकरिहा के चयन ने साबित कर दिया कि सीमित संसाधनों में भी मेहनत, लगन और नई सोच से खेती को न सिर्फ लाभदायक बनाया जा सकता है, बल्कि एक प्रेरणा भी दी जा सकती है.
से विशेष बातचीत में वामन टिकरिहा ने बताया कि वे साल 1990 से खेती कर रहे हैं और 2001 से जैविक खेती को बढ़ावा देने के प्रयास कर रहे थे. 25 साल के संघर्ष के बाद यह सम्मान मिला है. Government से उम्मीद है कि ग्रामीण इलाकों में कृषि अनुसंधान केंद्रों की पहुंच और प्रशिक्षण बढ़ाया जाए, ताकि किसान नई तकनीक से सीधे जुड़ सकें.
वामन टिकरिहा ने बताया कि वे मुख्य रूप से जैविक सुगंधित धान की खेती करते हैं. व्यावसायिक दृष्टिकोण से वे ‘महामाया’ और ‘स्वर्णा’ किस्म के धान की बुआई करते हैं. इसके साथ ही वे उद्यानिकी में भी विविध फसलें उगाते हैं.
उन्होंने कहा कि मैं बेर, अमरूद, नींबू के साथ-साथ जिमीकंद और करौंदा जैसी फसलें भी लगाता हूं.
टिकरिहा ने बताया कि वे मछली पालन भी करते हैं, जिसके लिए उन्हें विभाग की ओर से अनुदान प्राप्त हुआ है.
उन्होंने कहा कि इससे मुझे प्रतिवर्ष एक से दो लाख रुपए की अतिरिक्त आमदनी होती है. इसके अलावा पशुपालन भी करता हूं. Government की योजनाओं से मुझे खेती में बहुत सहयोग मिला है.
उन्होंने अन्य किसानों से आग्रह किया कि केवल धान पर निर्भर न रहें. किसानों को उद्यानिकी, मत्स्य और पशुपालन को साथ लेकर चलना चाहिए. इससे आय में स्थिरता और वृद्धि दोनों मिलती है.
उनकी पत्नी माधुरी टिकरिहा ने कहा कि पुरस्कार की खबर सुनकर पूरा परिवार खुश है. हमने कभी सोचा नहीं था कि यह सम्मान मिलेगा. यह हमारे लिए गर्व का क्षण है. आज के युवा नौकरी के लिए प्रदेश से बाहर जाना चाहते हैं, जबकि खेती में भी अच्छी आमदनी के अवसर हैं. आधुनिक तकनीक और Government की योजनाओं के सहयोग से खेती अब पहले की तुलना में कहीं अधिक लाभदायक हो गई है.
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एएसएच/एबीएम
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