जम्मू, 19 अप्रैल . दूर-दराज और दुर्गम इलाकों में डिजिटल सुविधा पहुंचाने की दिशा में भारतीय सेना ने बड़ा कदम उठाया है. भारतीय सेना ने लद्दाख के कई ऊंचाई वाले क्षेत्रों में पहली बार मोबाइल कनेक्टिविटी की सुविधा उपलब्ध कराई है. अब पूर्वी लद्दाख, पश्चिमी लद्दाख और सियाचिन ग्लेशियर जैसे दुर्गम इलाकों में भी 4जी और 5जी मोबाइल नेटवर्क की सुविधा मौजूद है.
इस पहल से दुर्गम और बर्फीले इलाकों में तैनात सैनिकों को अब अपने परिवार से जुड़े रहने की सुविधा मिली है, जिससे उनका मनोबल और आत्मबल काफी बढ़ा है. दुरबुक (डीबीओ), गलवान, देमचोक, चुमार, बटालिक, द्रास और सियाचिन ग्लेशियर जैसे स्थानों पर अब सैनिक अपने परिवार से बात कर सकते हैं, जो पहले लगभग असंभव था.
यह उपलब्धि सरकार की दूरदर्शी सोच की वजह से संभव हो सकी है, जिसमें भारतीय सेना ने अपनी ऑप्टिकल फाइबर केबल संरचना का उपयोग करते हुए टेलीकॉम सेवा प्रदाताओं (टीएसपीएस) और लद्दाख प्रशासन के साथ मिलकर काम किया. ‘फायर एंड फ्यूरी कॉर्प्स’ ने इस समन्वय में अहम भूमिका निभाई है. लद्दाख और कारगिल जिलों में सेना के ढांचे पर चार प्रमुख मोबाइल टावर लगाए गए हैं.
इस पहल के फायदे सिर्फ सैनिकों तक ही सीमित नहीं हैं, बल्कि यह लद्दाख के सीमावर्ती गांवों के लिए भी एक बड़ा बदलाव है. इस कदम से डिजिटल गैप कम हुआ है. स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिला है. बॉर्डर टूरिज्म को बढ़ावा मिला है. स्वास्थ्य सेवाओं और आपातकालीन मदद की पहुंच बेहतर हुई है. बच्चों को ऑनलाइन शिक्षा मिल रही है. स्थानीय व्यापार को बल मिला है. संस्कृति और विरासत को सहेजने में मदद मिली है और सीमावर्ती गांवों से पलायन कम हुआ है.
इस पूरी पहल का सबसे ऐतिहासिक कदम सियाचिन ग्लेशियर पर 5जी मोबाइल टावर की सफल स्थापना रहा. यह दुनिया का सबसे ऊंचा और कठिन इलाका है, जहां अब भी नेटवर्क सुविधा उपलब्ध है.
स्थानीय लोगों ने इस कदम का दिल से स्वागत किया है. उनके लिए मोबाइल नेटवर्क सिर्फ बात करने का साधन नहीं, बल्कि अब यह जीवन की एक आवश्यक जरूरत बन चुका है, जो उन्हें देश से जोड़ता है.
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डीएससी/
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