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आचार्य चाणक्य के अनुसार बच्चों की परवरिश में माता-पिता की गलतियाँ

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माता-पिता की भूमिका और जिम्मेदारियाँ


कहा जाता है कि माता-पिता अपने बच्चों के पहले शिक्षक होते हैं। जो शिक्षा और संस्कार वे देते हैं, वह बच्चों के व्यक्तित्व को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। कई माता-पिता अपने बच्चों से बड़ी उम्मीदें रखते हैं, लेकिन वे यह भूल जाते हैं कि उन्हें उन उम्मीदों पर खरा उतरने के लिए तैयार करना उनकी जिम्मेदारी है। आचार्य चाणक्य भी इसी विचार के समर्थक थे।


बच्चों की शिक्षा और संस्कार पर ध्यान

आचार्य चाणक्य का मानना है कि माता-पिता को बच्चों की शिक्षा और संस्कार पर ध्यान देना चाहिए। उन्हें एक अच्छे इंसान बनाने का दायित्व माता-पिता का होता है। हालांकि, कई बार माता-पिता कुछ गलतियाँ कर देते हैं, जिससे बच्चों का भविष्य प्रभावित होता है। चाणक्य ऐसे माता-पिता को बच्चों का दुश्मन मानते हैं। आइए जानते हैं कि माता-पिता को किन गलतियों से बचना चाहिए।


1. बच्चों को सद्गुणों से सम्पन्न बनाना


आचार्य चाणक्य के अनुसार, बच्चों को अच्छे गुणों से संपन्न बनाना चाहिए। उन्हें शालीनता सिखाना आवश्यक है, क्योंकि एक अच्छा बीज ही अच्छा फल देता है। माता-पिता को अपनी इच्छाओं को बच्चों पर थोपने से बचना चाहिए। बच्चों को झूठ बोलने की आदत नहीं सिखानी चाहिए, क्योंकि यह भविष्य में समस्या बन सकती है।


उच्च शिक्षा का महत्व

2. शिक्षा पर ध्यान देना


चाणक्य ने बच्चों की उच्च शिक्षा पर जोर दिया है। माता-पिता को अपने बच्चों की शिक्षा को गंभीरता से लेना चाहिए। जो माता-पिता बच्चों को शिक्षा से वंचित रखते हैं, वे उनके दुश्मन होते हैं। अशिक्षित बच्चे समाज में अलग-थलग महसूस करते हैं और उनका आत्मविश्वास कम होता है।


लाड़ प्यार और अनुशासन

3. लाड़-दुलार में संतुलन


आचार्य चाणक्य के अनुसार, बच्चों को अत्यधिक लाड़ प्यार नहीं देना चाहिए। यदि बच्चे गलती करते हैं, तो उन्हें डांटना चाहिए और सही-गलत का अंतर समझाना चाहिए। यदि गलतियों को नजरअंदाज किया गया, तो बच्चे बिगड़ सकते हैं और गलत कामों में लिप्त हो सकते हैं। इसलिए माता-पिता को इन बातों का ध्यान रखना चाहिए।


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