आजकल के समय में हेल्थ इंश्योरेंस लेना सबकी प्रायोरिटी बन चुकी है, लेकिन क्या आपको मालूम है कि स्टैंडर्ड पॉलिसी हर बीमारी का साथ नहीं देता? बड़ी बीमारियों के समय ये पॉलिसी अक्सर फेल हो जाती है, और लोगों को अपनी जमा-पूंजी इलाज में खर्च कर देनी पड़ती हैं। GST रिफॉर्म्स के बाद से बीमा लेने वालों की संख्या बढ़ी तो है, पर जागरुकता की कमी से कई बार परिवार मंदी की कमी से गुजरते हैं।आपको बता दे कि एक स्टैंडर्ड हेल्थ इंश्योरेंस हर चीज कवर नहीं करता है, खासकर क्रिटिकल इलनेस इसलिए, पॉलिसी लेते समय हमेशा सावधानी रखें, वरना आपकी पूरे जीवन भर की कमाई एक झटके में समाप्त हो जाएगी।
क्या है आपके लिए जरूरी
अकसर लोग सोचते हैं. कि हेल्थ पॉलिसी ले लिया तो सब सेफ हो जाता है, पर सच्चाई यह है कि ज्यादातर नॉर्मल पॉलिसी में बड़ी बीमारियां कवर नहीं होती। कई बार लोग अपनी सेविंग्स को इलाज में खर्च कर लेते हैं। इसलिए अगली बार इंश्योरेंस लेते समय ये जरूर चेक करें कि क्या ये क्रिटिकल इलनेस को कवर करती है या नहीं। बता दे क्रिटिकल इलनेस कवर एक राइडर या ऐड-ऑन का प्लान है, जिसको आप अपनी बेसिक हेल्थ इंश्योरेंस में जोड़ सकते हैं। इसके लिए आपको अलग से प्रीमियम देना होता है। ये प्लान उन बीमारियों को कवर करता है जो स्टैंडर्ड पॉलिसी में नहीं आतीं है, जैसे कैंसर, हार्ट अटैक, किडनी फेलियर,स्ट्रोक, गंभीर सर्जरी साथ ही कई तरह की जानलेवा बीमारियां।
क्लेम करते समय पूरी राशि एक साथ पाए
इस पॉलिसी की सबसे बड़ी खासियत यह है कि क्लेम होने पर पूरी राशि एक साथ मिल जाती है। बड़ी और गंभीर बीमारी का इलाज महीनों तक चलता है, दवाइयां, चेकअप्स, घर का खर्चा सबका बोझ पड़ता है। स्टैंडर्ड हेल्थ इंश्योरेंस में तो सिर्फ अस्पताल का बिल पेश करने पर ही कवर मिलता है, लेकिन क्रिटिकल इलनेस पॉलिसी में सिर्फ डायग्नोसिस रिपोर्ट जमा करने से ही सारी राशि आपके पास आ जाती है। इससे आप इलाज के अलावा बाकी जरूरतें भी पूरी कर पाते हैं। कई बार तो बड़ी बीमारी से जॉब तक छूट जाती है, फैमिली की कमाई रुक जाती है, लेकिन यह लंपसम पेमेंट आपके घर को चलाने में मदद करता है।
इन बातों का ध्यान रखें
आप सबसे पहले तो अपनी मौजूदा पॉलिसी को चेक करें कि क्रिटिकल इलनेस राइडर है या नहीं। अगर नहीं तो इसको फौरन जोड़ लें। इसमें प्रीमियम थोड़ा ज्यादा लगेगा पर ये इन्वेस्टमेंट है। इसके अलावा पॉलिसी को चुनते समय कवर की गई बीमारियों की लिस्ट जरूर देखें कि कम से कम 10 से 15 क्रिटिकल डिजीज कवर होनी चाहिए। फैमिली फ्लोटर प्लान लें ताकि सभी को फायदा हो। खासकर वेटिंग पीरियड पर ध्यान दें, ज्यादातर पॉलिसी में 90 दिन का इनीशियल वेटिंग और प्री-एग्जिस्टिंग डिजीज के लिए 36 महीने होता है। यह बात का भी ध्यान रखें कि टैक्स बेनिफिट्स भी सेक्शन 80डी के तहत आपको जरूर मिलें। यदि आप 40 के पार हैं या हाई रिस्क जॉब में चल रहे हैं तो ये बेहद जरूरी है। आप अपने एजेंट से बात करें और इन्हें चेक करके कि पॉलिसी अपडेट करें। आपको ये समझना जरूरी है कि हेल्थ इंश्योरेंस सिर्फ बिल कवर नहीं, यह परिवार की सिक्योरिटी है
क्या है आपके लिए जरूरी
अकसर लोग सोचते हैं. कि हेल्थ पॉलिसी ले लिया तो सब सेफ हो जाता है, पर सच्चाई यह है कि ज्यादातर नॉर्मल पॉलिसी में बड़ी बीमारियां कवर नहीं होती। कई बार लोग अपनी सेविंग्स को इलाज में खर्च कर लेते हैं। इसलिए अगली बार इंश्योरेंस लेते समय ये जरूर चेक करें कि क्या ये क्रिटिकल इलनेस को कवर करती है या नहीं। बता दे क्रिटिकल इलनेस कवर एक राइडर या ऐड-ऑन का प्लान है, जिसको आप अपनी बेसिक हेल्थ इंश्योरेंस में जोड़ सकते हैं। इसके लिए आपको अलग से प्रीमियम देना होता है। ये प्लान उन बीमारियों को कवर करता है जो स्टैंडर्ड पॉलिसी में नहीं आतीं है, जैसे कैंसर, हार्ट अटैक, किडनी फेलियर,स्ट्रोक, गंभीर सर्जरी साथ ही कई तरह की जानलेवा बीमारियां।
क्लेम करते समय पूरी राशि एक साथ पाए
इस पॉलिसी की सबसे बड़ी खासियत यह है कि क्लेम होने पर पूरी राशि एक साथ मिल जाती है। बड़ी और गंभीर बीमारी का इलाज महीनों तक चलता है, दवाइयां, चेकअप्स, घर का खर्चा सबका बोझ पड़ता है। स्टैंडर्ड हेल्थ इंश्योरेंस में तो सिर्फ अस्पताल का बिल पेश करने पर ही कवर मिलता है, लेकिन क्रिटिकल इलनेस पॉलिसी में सिर्फ डायग्नोसिस रिपोर्ट जमा करने से ही सारी राशि आपके पास आ जाती है। इससे आप इलाज के अलावा बाकी जरूरतें भी पूरी कर पाते हैं। कई बार तो बड़ी बीमारी से जॉब तक छूट जाती है, फैमिली की कमाई रुक जाती है, लेकिन यह लंपसम पेमेंट आपके घर को चलाने में मदद करता है।
इन बातों का ध्यान रखें
आप सबसे पहले तो अपनी मौजूदा पॉलिसी को चेक करें कि क्रिटिकल इलनेस राइडर है या नहीं। अगर नहीं तो इसको फौरन जोड़ लें। इसमें प्रीमियम थोड़ा ज्यादा लगेगा पर ये इन्वेस्टमेंट है। इसके अलावा पॉलिसी को चुनते समय कवर की गई बीमारियों की लिस्ट जरूर देखें कि कम से कम 10 से 15 क्रिटिकल डिजीज कवर होनी चाहिए। फैमिली फ्लोटर प्लान लें ताकि सभी को फायदा हो। खासकर वेटिंग पीरियड पर ध्यान दें, ज्यादातर पॉलिसी में 90 दिन का इनीशियल वेटिंग और प्री-एग्जिस्टिंग डिजीज के लिए 36 महीने होता है। यह बात का भी ध्यान रखें कि टैक्स बेनिफिट्स भी सेक्शन 80डी के तहत आपको जरूर मिलें। यदि आप 40 के पार हैं या हाई रिस्क जॉब में चल रहे हैं तो ये बेहद जरूरी है। आप अपने एजेंट से बात करें और इन्हें चेक करके कि पॉलिसी अपडेट करें। आपको ये समझना जरूरी है कि हेल्थ इंश्योरेंस सिर्फ बिल कवर नहीं, यह परिवार की सिक्योरिटी है
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