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एपल भारत को बनाएगा iPhone मैन्युफैक्चरिंग हब! जानें चीन छोड़ने का कारण

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एपल अगले साल से अमेरिका में बिकने वाले सभी आईफोन को भारत में बनाने की तैयारी कर रहा है.कंपनी यह कदम कदम अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप चीन के साथ चल रहे टैरिफ वॉर के बीच लिया गया है. यह बदलाव कंपनी की सप्लाई चेन को मजबूत करने और वैश्विक व्यापार चुनौतियों से निपटने की दिशा में एक अहम कदम हो सकता है.मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, अगर यह योजना सफल होती है, तो 2026 तक भारत में सालाना 60 मिलियन से ज्यादा आईफोन असेंबल होने की संभावना है, जो वर्तमान से दोगुना होगा. 2024 में ग्लोबल आईफोन शिपमेंट का करीब 28% हिस्सा चीन से आया.अमेरिका एपल का सबसे बड़ा बाजार है और IDC के मुताबिक, 2024 में ग्लोबल आईफोन शिपमेंट का करीब 28% हिस्सा चीन से आया. अब एपल ने चीन से बाहर अपने आईफोन को बनाने का फैसला लिया है, जिससे वह न सिर्फ हाई टैरिफ से बच सकेगा, बल्कि अमेरिका-चीन के बीच के तनाव से जुड़ी जोखिमों को भी कम कर पाएगा. यह कदम कंपनी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ के फैसले के कारण उठाया जा रही है. ट्रंप ने चीन पर 245% तक टैरिफ लगाए है. हालांकि, हाल ही में कुछ इलेक्ट्रॉनिक्स पर राहत दी गई थी, लेकिन यह स्थायी नहीं है. इसके अलावा ट्रंप ने सेमीकंडक्टर से जुड़े प्रोडक्ट पर नए टैरिफ का भी प्रस्ताव रखा है, जो एपल की पूरी डिवाइस रेंज को प्रभावित कर सकते हैं. भारत में एपल के अभी तीन iPhone असेंबली प्लांट्स एपल ने भारत में पिछले साल iPhone 15 मॉडल्स को असेंबल किया था और इस साल iPhone 16 Pro सीरीज को भी यहां असेंबल किया. इसके पीछे एपल का एक बड़ा कदम है- चीन से अपनी निर्भरता को कम करना. खासकर, COVID-19 महामारी और 2020 के शटडाउन के बाद से एपल ने भारत की तरफ रुख किया. अभी भारत में एपल के तीन iPhone असेंबली प्लांट्स हैं, जिसमें से दो टाटा ग्रुप के और एक फॉक्सकॉन का है. सरकार भी स्थानीय उत्पादन के लिए दे रही बढ़ावाभारत की 'मेक इन इंडिया' और 'प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI)' स्कीम कंपनियों को स्थानीय उत्पादन बढ़ाने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करती हैं. इन पहलों ने एपल के पार्टनर्स जैसे फॉक्सकॉन और टाटा को भारत में अधिक निवेश करने के लिए प्रेरित किया है, जिससे देश में मैन्युफैक्चरिंग का विस्तार हो रहा है.
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