जम्मू-कश्मीर में राज्यसभा चुनाव के जब नतीजे आए तो एक सीट पर भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार की जीत चर्चा में आ गई.
बीजेपी ने पर्याप्त संख्या न होने के बावजूद नाटकीय अंदाज़ में जीत दर्ज की और चुनावी समीकरण पलट दिए. चार में से तीन सीटें नेशनल कॉन्फ़्रेंस (एनसी) ने जीती हैं.
जम्मू-कश्मीर विधानसभा में बीजेपी के 28 विधायक हैं लेकिन पार्टी के उम्मीदवार सत शर्मा ने 32 वोट हासिल किए हैं. उन्होंने नेशनल कॉन्फ़्रेंस के इमरान नबी डार को हराया है, जिन्हें 22 वोट ही मिले.
मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्लाह ने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म एक्स पर पोस्ट कर बीजेपी उम्मीदवार को चार अतिरिक्त वोट मिलने पर हैरानी जताई. उन्होंने कहा कि हमारे किसी भी विधायक ने क्रॉस वोटिंग नहीं की है.
बीजेपी के अलावा एनसी के मोहम्मद रमज़ान, सज्जाद अहमद किचलू और गुरविंदर सिंह ओबेरॉय ने जीत हासिल की है.
Getty Images जम्मू-कश्मीर बीजेपी के अध्यक्ष सत शर्मा को जीत मिली है 'चार विधायक कौन थे?' जम्मू-कश्मीर की कुल 90 सीटों वाली विधानसभा में नेशनल कॉन्फ़्रेंस के 41, कांग्रेस के छह, पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के तीन, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) और अवामी इत्तेहाद पार्टी के एक-एक विधायक हैं.
इनके अलावा बीजेपी 28 के साथ आम आम आदमी पार्टी और जम्मू एंड कश्मीर पीपल्स कॉन्फ़्रेंस के भी एक-एक विधायक हैं.
पीपल्स कॉन्फ़्रेंस के अध्यक्ष और विधायक सज्जाद लोन ने सत शर्मा की जीत को नेशनल कॉन्फ़्रेंस और बीजेपी के बीच 'फिक्स मैच' बताया है.
नतीजे आने के बाद सज्जाद लोन ने दावा किया कि सत्तारूढ़ पार्टी ने अपने तीसरे उम्मीदवार और पार्टी कोषाध्यक्ष गुरविंदर सिंह ओबेरॉय के लिए तीन अतिरिक्त वोट हासिल किए, जिन्हें तीसरी सीट पर विजेता घोषित किया गया.
BBC उन्होंने एक्स पर लिखा, "तो बीजेपी ने चौथी सीट जीत ली. जैसा अंदाज़ा था, मैच पहले से तय था. बुराई की धुरी- एनसी और बीजेपी. अब तो गणित से भी साबित हो गया है कि यह मैच फिक्स था. एनसी ने उम्मीदवार नंबर तीन के लिए ज़रूरत से ज़्यादा वोट क्यों डाले? उन्हें इसकी ज़रूरत नहीं थी. उन्होंने उम्मीदवार नंबर तीन को 31 वोट दिए जबकि 29 वोट काफ़ी होते या 28 भी, क्योंकि बीजेपी चौथी सीट के लिए लड़ रही थी. किसने क्रॉस-वोटिंग की? किनके वोट रद्द हुए? और कौन इसमें मिला हुआ था?
लेकिन उमर अब्दुल्लाह का कहना है कि उनके विधायकों ने पार्टी के निर्देशानुसार वोटिंग की है.
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BBC उमर अब्दुल्लाह ने एक्स पर लिखा, "नेशनल कॉन्फ़्रेंस के सभी वोट चारों दौर के चुनावों में जस के तस रहे, जैसा कि हमारे निर्वाचन प्रतिनिधि ने सभी मतदान पर्ची देखकर पुष्टि की. हमारे किसी भी विधायक ने क्रॉस-वोटिंग नहीं की, तो सवाल उठता है - बीजेपी को चार अतिरिक्त वोट कहाँ से मिले?"
"कौन विधायक थे, जिन्होंने जानबूझकर ग़लत वरीयता संख्या लिखकर अपने वोट अमान्य कर दिए? क्या उनमें इतनी हिम्मत है कि वे सामने आकर स्वीकार करें कि उन्होंने बीजेपी की मदद की जबकि उन्होंने हमें अपना समर्थन देने का वादा किया था?"
इस पोस्ट के बाद सज्जाद लोन ने भी एक पोस्ट लिखा और कहा, "मैंने उमर अब्दुल्लाह का ट्वीट पढ़ा. लेकिन मेरा सवाल है - अगर ऐसा है तो उम्मीदवार नंबर 3 को 31 वोट कैसे मिले और उम्मीदवार नंबर 4 को सिर्फ़ 28? अगर क्रॉस-वोटिंग नहीं हुई होती, तो दोनों उम्मीदवारों के वोट बराबर यानी टाई होते. अगर ईमानदारी से रणनीति बनाई जाती, तो उम्मीदवार नंबर 3 को 30 वोट दिए जाते, जिससे उम्मीदवार नंबर 4 के पास 29 वोट रहते- बीजेपी के 28 वोटों से एक ज़्यादा."
हालांकि, सज्जाद लोन ने ख़ुद मतदान में हिस्सा नहीं लिया था. वहीं आम आदमी पार्टी के विधायक मेहराज मलिक ने जेल से डाक के ज़रिए अपना वोट भेजा था.
'अंतरात्मा की आवाज़ पर वोटिंग के लिए धन्यवाद'जीत के बाद बीजेपी प्रत्याशी सत शर्मा ने कहा, "मैं उन सभी का धन्यवाद करना चाहता हूँ, जिन्होंने अंतरात्मा की आवाज़ पर वोट दिया. मैंने सभी विधायकों से उनकी पार्टी की परवाह किए बिना संपर्क किया और उनकी अंतरात्मा की आवाज़ पर वोट मांगा."
वहीं हार का सामना करने वाले नेशनल कॉन्फ़्रेंस के उम्मीदवार इमरान नबी डार ने बीजेपी पर 'हॉर्स ट्रेडिंग' का आरोप लगाया है.
डार ने कहा, "बीजेपी के पास संख्याबल नहीं था. ख़रीद फरोख़्त साफ़ दिखाई दे रही है. बीजेपी ने सीट जीतने के लिए सारे संसाधन लगा दिए. उन्होंने वोट ख़रीदे."
जम्मू-कश्मीर के चुनावी इतिहास में पहली बार कांग्रेस ने राज्यसभा चुनाव में कोई उम्मीदवार नहीं उतारा था और एनसी को समर्थन देने की घोषणा की थी. इसके अलावा पीडीपी और आवामी इत्तेहाद पार्टी ने भी नेशनल कॉन्फ़्रेंस को समर्थन देने का एलान किया था.
चुनाव अधिकारियों के मुताबिक़, इस पूरी प्रक्रिया में वर्तमान में विधानसभा की संख्या 88 में से 87 लोगों ने मतदान में हिस्सा लिया. इसमें से एक वोट को अमान्य क़रार दिया और 86 वोट सही पाए गए.
90 सदस्यीय जम्मू-कश्मीर विधानसभा में फिलहाल दो सीटें ख़ाली हैं. नगरोटा सीट विधायक देवेंद्र सिंह राणा के निधन के बाद खाली हो गई थी. बडगाम में कोई विधायक नहीं है क्योंकि उमर अब्दुल्लाह ने दूसरी सीट गांदरबल को अपने पास रखा था और बडगाम छोड़ दी थी.
राज्यसभा का मतदान ओपन बैलेट के ज़रिए होता है और यह लोकसभा के मतदान की तरह गुप्त प्रक्रिया नहीं है.
वोटिंग करने वाले पार्टी से जुड़े सदस्य को सदन में पार्टी के अधिकृत एजेंट को दिखाना होता है जबकि निर्दलीय विधायक पर यह बाध्यता लागू नहीं होती है.
राजनीतिक दल राज्यसभा चुनाव के लिये अपने सदस्यों को कोई व्हिप जारी नहीं कर सकते हैं और इन चुनावों में पार्टी के सदन में मौजूद सदस्य राजनीतिक दल के निर्देशों का पालन करने के लिए बाध्य नहीं होते हैं.
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