हममें से लगभग हर किसी को कभी न कभी सिरदर्द से जूझना पड़ता है.
यह दर्द कुछ मिनटों से लेकर कई दिनों तक रह सकता है और दर्द तेज़, हल्का, धड़कता हुआ या चुभन जैसा हो सकता है.
कभी-कभी यह सिर से आगे बढ़कर खोपड़ी, चेहरे या यहाँ तक कि गर्दन तक भी फैल सकता है.
बीबीसी के व्हाट्स अप डॉक्स वेलनेस पॉडकास्ट के होस्ट डॉ. ज़ैंड वान टुलकेन को अच्छा ख़ासा अनुभव है.
वो कहते हैं कि उन्हें हर महीने या छह हफ़्ते एक बार सिरदर्द होता है और ये "ऐसा लगता है जैसे कोई मेरी आँख में ड्रिल कर रहा हो."
हालाँकि बुरे सिरदर्द के पीछे किसी गंभीर वजह की आशंका से घबराना स्वाभाविक है, लेकिन नेशनल माइग्रेन सेंटर की विशेषज्ञ डॉ. केटी मुनरो कहती हैं कि यह शायद ही कभी किसी गंभीर समस्या का संकेत होता है.
वह बताती हैं, "यह स्वाभाविक है कि हमें चिंता हो कि कहीं कुछ गंभीर तो नहीं है, लेकिन इसकी संभावना वास्तव में बहुत कम होती है."
डॉ. मुनरो सलाह देती हैं कि अगर यह आपका "पहला या अब तक का सबसे ख़राब सिरदर्द" है, तो डॉक्टर को जरूर दिखाएँ.
लेकिन अगर सिरदर्द हल्के और बार-बार आने वाले पैटर्न में हो रहा है, तो कुछ आसान उपाय घर पर भी आज़माए जा सकते हैं, साथ ही अपने डॉक्टर से सलाह लेना चाहिए.
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डॉ. ज़ैंड का कहना है कि अपने सिरदर्द को समझना काफ़ी मददगार हो सकता है, क्योंकि अक्सर इसका कोई एक कारण नहीं होता.
इसलिए एक डायरी रखना उपयोगी साबित हो सकता है, जिससे आप पैटर्न और ट्रिगर को पहचान सकें.
कुछ लोगों के लिए ख़राब मौसम जैसे बिजली कड़कने या उसके चमकने से सिरदर्द ट्रिगर हो सकता है, जबकि कुछ के लिए तेज़ रोशनी इसका कारण बन सकती है.
डॉ. मुनरो कहती हैं, "मेरे लिए सबसे बुरा समय तब होता है, जब हम पतझड़ में गाड़ी चला रहे होते हैं और सूरज पेड़ों के बीच से झिलमिलाता है. यह सिरदर्द को और बढ़ा देता है."
इस बात ध्यान रखें कि-
• सिरदर्द शुरू होने के समय आप क्या कर रहे थे
• आपने क्या खाया या पिया
• आपकी नींद कैसी रही
• मौसम कैसा था
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लेकिन, डॉ. मुनरो सलाह देती हैं कि इसमें अति न करें.
वो कहती हैं, "मैंने अपनी डायरी बहुत डिटेल में बनाई थी, जिससे यह थोड़ा निराशाजनक हो गया. इसे सरल रखें और दिन पर पड़े असर को 1 से 10 के बीच एक संख्या में लिखें."
"सिर्फ़ ख़राब दिनों को ही नहीं, बल्कि पूरी तरह सामान्य दिनों को भी नोट करें. इससे डॉक्टर को पैटर्न पहचानने में मदद मिलती है."
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आप सोच सकते हैं कि सिरदर्द होने पर कैफ़ीन से बचना चाहिए, लेकिन डॉ. मुनरो कहती हैं कि सच्चाई थोड़ी अलग है.
कम और नियंत्रित मात्रा में कैफ़ीन दर्दनिवारक यानी पेनकिलर दवाओं के असर को बढ़ा सकता है, बशर्ते आप रोज़ाना ज़्यादा कैफ़ीन न ले रहे हों.
वह बताती हैं, "कैफ़ीन एक को-एनाल्जेसिक है, यानी यह पेनकिलर के असर को बढ़ा सकता है." लेकिन दोपहर या शाम के समय कैफ़ीन लेने से बचें, क्योंकि यह नींद को बाधित कर सकता है.
कैफ़ीन की कुल मात्रा पर भी ध्यान दें, रोज़ाना बहुत ज़्यादा कैफ़ीन लेने से कैफ़ीन ओवरयूज़ हेडेक हो सकता है और अचानक बंद करने पर विदड्रॉल हेडेक भी हो सकता है.
3. खाना न छोड़ेंआप कब और क्या खाते हैं, इसका सिरदर्द पर असर हो सकता है.
डॉ. मुनरो सलाह देती हैं कि ऐसी डाइट अपनाएँ, जिसमें प्रोटीन, हेल्दी फ़ैट और कॉम्प्लेक्स कार्बोहाइड्रेट भरपूर हों. इससे एनर्जी का स्तर बना रहता है.
फ़ौरन ऊर्जा देने वाले मीठे स्नैक्स से बचें और खाना बिल्कुल न छोड़ें, क्योंकि यह एक आम ट्रिगर हो सकता है.
वह कहती हैं कि डेयरी और ग्लूटन छोड़ने से उन्हें राहत मिली, हालाँकि यह सबके लिए ज़रूरी नहीं.
उनके अनुसार, "मैंने पाया कि नियमित रूप से खाना और लंच अपने साथ ले जाना भी फ़ायदेमंद रहा."
खाने के साथ-साथ डॉ. मुनरो नियमित व्यायाम, अच्छी नींद, तनाव नियंत्रण और पर्याप्त पानी पीने की भी सलाह देती हैं.
दिनभर इतना पानी पिएँ कि पेशाब हल्के रंग की और साफ़ रहे और प्यास महसूस न हो.
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डॉ. मुनरो कहती हैं, "दर्द निवारक या एंटी-नॉसिया (मितली रोकने) जैसी कई दवाएँ बिना डॉक्टर के प्रिस्क्रिप्शन के मिल जाती हैं और सिरदर्द में राहत दे सकती हैं."
लेकिन वह चेतावनी देती हैं कि "कोडीन वाली किसी भी दवा से बचें", क्योंकि इससे सिरदर्द बार-बार हो सकता है और मितली जैसे लक्षण बढ़ सकते हैं.
वो कहती हैं, "दर्द निवारक बहुत प्रभावी हो सकते हैं, लेकिन यह इस पर निर्भर करता है कि सिरदर्द कितना गंभीर है."
अगर सिरदर्द बार-बार या तेज़ हो रहा है, तो डॉक्टर से सलाह लेकर बेहतर दवा का चुनाव करें.
सप्ताह में दो दिन से ज़्यादा दर्द निवारक न लें, ताकि रीबाउंड हेडेक (दवाओं के अधिक इस्तेमाल से होने वाला सिरदर्द) का ख़तरा कम हो.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित.
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