अमेरिकी रेसिप्रोकल टैरिफ़ की डेडलाइन ख़त्म होने से दो दिन पहले राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने संकेत दिए हैं कि भारत को अधिक टैरिफ़ का सामना करना पड़ सकता है.
ट्रंप ने कहा है कि भारत के साथ ट्रेड डील अभी पूरी नहीं हो पाई है. उनका कहना है कि भारत ने किसी भी अन्य देश की तुलना में अमेरिका पर ज़्यादा टैरिफ़ लगाया है. अब जबकि वह सत्ता में हैं, तो कोई देश ऐसा नहीं कर सकता.
एयरफ़ोर्स वन विमान में पत्रकारों से बात करते हुए ट्रंप ने भारत के साथ व्यापार समझौते को लेकर जो संकेत दिए हैं, उनसे लगता है कि टैरिफ़ कम कराने की भारत की कोशिश अब तक सफल नहीं हुई है.
इससे पहले ट्रंप ने कहा था कि जो देश अमेरिका के साथ अलग-अलग व्यापार समझौते नहीं करेंगे, उन्हें 15 से 20 फ़ीसदी टैरिफ़ का सामना करना होगा.
यह टैरिफ़ अप्रैल में अमेरिका की ओर से अपने सभी ट्रेड पार्टनरों पर लगाए गए 10 फ़ीसदी टैरिफ़ से अधिक है.
ट्रंप ने कहा था कि उनकी सरकार जल्द ही लगभग 200 देशों को अपने नए 'वर्ल्ड टैरिफ़' की जानकारी देगी.
समाचार एजेंसी रॉयटर्सने दो भारतीय अधिकारियों के हवाले से बताया है कि भारत अमेरिका की ओर से टैरिफ़ लगाए जाने की तैयारी कर रहा है.
रिपोर्ट के मुताबिक, भारत के कुछ निर्यातों पर 20 से 25 फ़ीसदी तक का अस्थायी टैरिफ़ लग सकता है क्योंकि भारत ने 1 अगस्त की अमेरिकी डेडलाइन से पहले दी जाने वाली रियायतों को रोक रखा है.
साल 2024 में भारत और अमेरिका के बीच 129 अरब डॉलर का व्यापार हुआ था, जिसमें भारत का लगभग 46 अरब डॉलर का व्यापार अधिशेष (ट्रेड प्लस) था.
भारत से पहले अमेरिका जापान के साथ ट्रेड डील कर चुका है, जिसके तहत जापानी निर्यात पर 15 फ़ीसदी टैरिफ़ लगाया जाएगा.
रॉयटर्स ने विश्लेषकों के हवाले से कहा है कि अगर भारत और अमेरिका के बीच ट्रेड डील नहीं हो पाती, तो भारत को 26 फ़ीसदी टैरिफ़ का सामना करना पड़ सकता है.
यह वियतनाम, इंडोनेशिया, जापान और यूरोपीय संघ पर लगाए गए टैरिफ़ से अधिक होगा.
ट्रंप ने भारत पर टैरिफ़ लगाने के बारे में क्या कहाडोनाल्ड ट्रंप ने मंगलवार को कहा कि भारत के साथ ट्रेड डील अभी तक अंतिम रूप नहीं ले पाई है, हालांकि कई महीनों से बातचीत चल रही है.
एयर फोर्स वन में पत्रकारों से बात करते हुए ट्रंप ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपना दोस्त बताया.
उन्होंने भारत की तारीफ़ करते हुए कहा कि वह अमेरिका का क़रीबी साझेदार रहा है.
लेकिन ट्रंप ने कहा, "भारत ने लगभग किसी भी देश की तुलना में अमेरिका पर ज़्यादा टैरिफ़ लगाया है. लेकिन अब मैं जिम्मेदारी संभाल रहा हूं और ऐसा अब नहीं चल सकता."
उन्होंने कहा कि उनकी नज़र इस पर बनी हुई है कि यह व्यापार समझौता किस दिशा में आगे बढ़ रहा है.
हालांकि भारत के वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने कहा था कि अमेरिका के साथ व्यापार समझौते की बातचीत में 'शानदार' प्रगति हुई है.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स को एक भारतीय अधिकारी ने बताया था कि बातचीत अच्छी चल रही है. अगस्त के मध्य में इसे अंतिम रूप देने के लिए एक अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल भारत आ सकता है.
लेकिन उन्होंने ये भी कहा कि अगर बात नहीं बनती है तो ट्रंप भारत पर 20 से 25 फ़ीसदी टैरिफ़ लगाने का एलान कर सकते हैं.
- भारत और अमेरिका के बीच ट्रेड डील को लेकर उलझन अब भी बरकरार
- ट्रंप ने भारत पर लगाया रेसिप्रोकल टैरिफ़, क्या होगा असर?
- अमेरिका में बिकने वाली दवाइयों पर टैरिफ़ लगा तो भारत पर क्या होगा असर

अप्रैल में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 26 फ़ीसदी टैरिफ़ लगाने की घोषणा की थी.
उस समय ट्रंप ने कहा था कि भारत अमेरिका से ट्रेड डील कर सकता है.
पहले टैरिफ़ की डेडलाइन 9 जुलाई तय की गई थी, लेकिन बाद में इसे बढ़ाकर 1 अगस्त कर दिया गया.
भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौते को लेकर बातचीत जारी है, लेकिन कुछ क्षेत्रों को लेकर मतभेद बने हुए हैं.
रिपोर्टों के मुताबिक, भारत अब भी जेनेटिकली मॉडिफाइड फसलें (जैसे सोयाबीन और मक्का) आयात करने का विरोध कर रहा है और घरेलू डेयरी बाज़ार विदेशी कंपनियों के लिए खोलना नहीं चाहता.
अप्रैल में अमेरिका ने भारत समेत जिन 100 देशों पर टैरिफ़ लगाने का एलान किया था, उसे 'रेसिप्रोकल टैरिफ़' का नाम दिया गया था.
हालांकि, उस सूची में ऐसे देश भी शामिल थे जिन पर उतना ही टैरिफ़ लगाया गया जितना उन्होंने अमेरिका पर लगाया था.
इसके अलावा, 10 फ़ीसदी का बेसलाइन टैरिफ़ भी लगाया गया था.
हालांकि चीन समेत कई देशों के लिए डेडलाइन बढ़ा दी गई और उनसे ट्रेड डील करने को कहा गया.
- ट्रंप के 26% टैरिफ़ लगाने पर भारत की पहली प्रतिक्रिया क्या रही?
- ट्रंप चाहते हैं कि भारत अमेरिका से खरीदे अनाज, पर क्यों नहीं है ये मुमकिन?
- टैरिफ़ वॉर के बीच क्या एप्पल के इस क़दम से भारत को होगा फ़ायदा?
टैरिफ़ उन करों को कहते हैं जो अन्य देशों से खरीदे गए माल पर लगाए जाते हैं. देश आमतौर पर कुछ क्षेत्रों को विदेशी प्रतिस्पर्धा से बचाने के लिए टैरिफ़ लगाते हैं.
10 फ़ीसदी बेसलाइन टैरिफ़ का मतलब है कि 10 डॉलर के उत्पाद पर 1 डॉलर का टैक्स लगेगा, जिससे आयातक की कुल लागत 11 डॉलर हो जाएगी.
जो कंपनियां अमेरिका में विदेशी सामान लाती हैं, उन्हें यह टैक्स सरकार को चुकाना पड़ता है.
कंपनियां इस अतिरिक्त लागत का कुछ या पूरा बोझ ग्राहकों पर डाल सकती हैं. इसके अलावा, वे कम माल आयात करने का भी फ़ैसला कर सकती हैं.
डोनाल्ड ट्रंप का कहना है कि अगर कोई देश अमेरिकी सामानों पर ज़्यादा आयात शुल्क लगाता है, तो अमेरिका भी उस देश से आने वाली चीज़ों पर ज़्यादा टैरिफ़ लगाएगा.
ट्रंप ने इसे 'रेसिप्रोकल टैरिफ़' कहा है.
राष्ट्रपति ट्रंप ने टैरिफ़ को अपनी आर्थिक नीति का केंद्र बनाया है. ट्रंप अमेरिका के आयात-निर्यात के अंतर को कम करना चाहते हैं.
साल 2024 में अमेरिका का व्यापार घाटा करीब 900 अरब अमेरिकी डॉलर था.
इस साल चार मार्च को ट्रंप ने अमेरिकी कांग्रेस में कहा था, "हर देश ने हमें दशकों तक लूटा है. लेकिन अब हम ऐसा नहीं होने देंगे."
ट्रंप कहते हैं कि लंबे समय में टैरिफ़ से अमेरिका की निर्माण क्षमता में इज़ाफ़ा होगा और नौकरियां बचेंगी. इससे सरकार का टैक्स राजस्व और आर्थिक वृद्धि दोनों बढ़ेंगे.
उन्होंने कहा है कि टैरिफ़ से अमेरिकी सरकार की आमदनी बढ़ेगी और विदेशी कंपनियां अमेरिका में उत्पादन करेंगी.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित.
- डोनाल्ड ट्रंप ने डॉलर पर दी भारत की सदस्यता वाले ब्रिक्स को चेतावनी, अब भारत क्या करेगा
- अमेरिका और चीन के बीच समझौता क्या भारत के लिए बुरी ख़बर है?
- अमेरिका मेक्सिको पर लगाए टैरिफ़ को एक महीने के लिए रोकेगा, जानिए क्यों
You may also like
किसान ने उगाई 30 किलोग्राम की विशाल गोभी, जानें इसके बारे में
शिल्पा शेट्टी का कई मर्दोंˈ के साथ रह चुका हैं रिश्ता 1 बाबा ने तो सरेआम एक्ट्रेस के गाल पर कर दिया था किस
होटल में मिलने आई थीˈ बॉयफ्रेंड से कमरे में पहुंचते ही किया गर्लफ्रेंड ने किया ऐसा काम जो किसी ने सोचा भी न होगा
अब नहीं जमेगा जोड़ों मेंˈ यूरिक एसिड! रोज सुबह खाएं ये चीज़ और देखें चमत्कारी असर डॉक्टर भी हुए हैरान
मौत के बाद की दुनिया: एक व्यक्ति का अनुभव