Next Story
Newszop

हिंदुत्व के मोर्चे पर ममता बनर्जी क्या बीजेपी को कड़ी चुनौती दे रही हैं?

Send Push
SATYAJIT SHAW ममता बनर्जी ने अक्षय तृतीया के दिन पश्चिम बंगाल के दीघा में ओडिशा के जगन्नाथ पुरी मंदिर के मॉडल पर बने मंदिर का लोकार्पण किया

क्या पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस ने बीजेपी को हिंदुत्व के मोर्चे पर चुनौती देनी शुरू कर दी है.

जब से ममता बनर्जी ने राज्य के समुद्री तट दीघा में तीस हज़ार वर्ग मीटर में फैले भगवान जगन्नाथ के भव्य मंदिर का लोकार्पण (प्राण प्रतिष्ठा) किया है तब से ये सवाल राजनीतिक गलियारों में उठने लगा है.

ये समारोह बुधवार को यानी 'अक्षय तृतीया' के अवसर पर आयोजित किया गया था जिससे राज्य के प्रमुख विपक्षी दल यानी भारतीय जनता पार्टी ने ख़ुद को दूर रखने की घोषणा की थी.

इस समारोह स्थल से महज़ 30 किलोमीटर दूर विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने एक समानांतर समारोह रखा.

शुभेंदु अधिकारी ने अपने इस समारोह का नाम 'महान सनातनी दिवस' रखा और राज्य के सभी हिंदू धार्मिक संगठनों और साधु संतों को इसमें आमंत्रित किया.

महान सनातन सम्मेलन का समारोह विपक्ष के नेता के आह्वान पर किया गया था लेकिन इसमें भारतीय जनता पार्टी के झंडे नदारद थे.

भारतीय जनता पार्टी, दीघा में मंदिर बनाए जाने का ज़ोरदार विरोध दर्ज करती आई है.

पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार का कहना है कि दीघा एक 'पर्यटन स्थल' है जहां पुरी के भगवान जगन्नाथ के मंदिर की आकृति वाला एक मॉडल बनाया गया है. ये पर्यटकों के लिए 'आकर्षण का केंद्र हो सकता है न कि भक्ति का.'

मजूमदार ने अप्रैल में ही मुर्शिदाबाद में उन मंदिरों का 'जीर्णोद्धार' करने की शुरुआत करवाई, जिन्हें वक्फ़ कानून के ख़िलाफ़ हो रहे प्रदर्शन के दौरान हिंसक हमलों में तोड़ दिया गया था.

भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष मजूमदार का कहना है, ''मंदिर का निर्माण सरकार के पैसों से नहीं हो सकता बल्कि जन सहयोग से किया जाता है.''

यही बात विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने भी दोहराई है. नए मंदिर के निर्माण पर ममता सरकार ने 250 करोड़ रुपये की राशि आवंटित की थी.

'जब मंदिर का प्लान बन रहा था तो शुभेंदु भी शामिल थे' image SATYAJIT SHAW दीघा में बना जगन्नाथ मंदिर

तृणमूल कांग्रेस के नेता कुणाल घोष ने बताया कि जब वर्ष 2018 में दीघा में जगन्नाथ मंदिर बनाने की परिकल्पना की गयी थी, उस समय उस बैठक में शुभेंदु अधिकारी भी शामिल थे और वो तब तृणमूल कांग्रेस के मंत्री भी थे.

इस बार भी सरकार ने भारतीय जनता पार्टी के कई प्रमुख नेताओं को जगन्नाथ मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा समारोह का न्योता भेजा था.

इस बारे में पूछे जाने पर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने कहा, "सरकार ने उनकी पार्टी के नेताओं और विधायकों को भी समारोह में आमंत्रित किया था. मगर हमने ख़ुद को इसलिए अलग रखा है क्योंकि 'पश्चिम बंगाल में कई स्थानों पर हिंदुओं पर हमले और हिंसा लगातार जारी हैं.''

मंदिर के बहाने बीजेपी के हिंदुत्व को चुनौती? image SATYAJIT SHAW विश्लेषक कहते हैं ममता बनर्जी ने बीजेपी के हिंदुत्व के मॉडल को पहले ही चुनौती देनी शुरू कर दी थी

कई जानकार कहते हैं कि ममता बनर्जी की नेतृत्व वाली टीएमसी ने भाजपा के हिंदुत्व को चुनौती तो कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज रेप-मर्डर मामले के बाद राज्य और देशभर में पनप उठे जन आक्रोश के बाद से ही देनी शुरू कर दी थी.

उनका कहना है कि घटना के विरोध में चल रहे आंदोलनों के बावजूद तृणमूल कांग्रेस ने ये सुनिश्चित किया कि कोलकाता में दुर्गा पूजा के जश्न और उल्लास में कोई कमी न आए. इसलिए सरकार ने आधिकारिक रूप से दुर्गा पूजा का आयोजन करने वाले स्थानीय क्लबों को दी जाने वाली राशि को बढ़ा दिया.

वरिष्ठ पत्रकार शुभाशीष मित्रा कहते हैं, ''ममता बनर्जी लगभग हर समारोह में मंत्रोच्चारण करने लगीं या फिर श्लोक पढ़ने लगीं. वो भारतीय जनता पार्टी के सांगठनिक अंतर्कलह से फ़ायदा उठाना चाहती थीं. इसी दौरान पश्चिम बंगाल का एक और महत्वपूर्ण आयोजन हुआ जिसे 'खूंटी पूजा' कहते है. तृणमूल कांग्रेस ने ये भी सुनिश्चित किया कि इसका भी प्रदेश भर में भव्य आयोजन हो.''

शुभाशीष मित्रा ने कहा कि इसके बाद सुंदरबन स्थित सागर टापू में होने वाले गंगासागर मेले में तो ममता बनर्जी ने पूरे प्रशासनिक अमले को ही झोंक दिया.

हर मंत्री को अलग-अलग ज़िम्मेदारी दी गयी ताकि कपिल मुनि के आश्रम जाने वाले और सागर में स्नान करने वालों को कोई असुविधा नहीं हो.

वो कहते हैं, "राजनीतिक हलकों में लोग समझ चुके थे कि ममता बनर्जी ने भाजपा के हिंदुत्व के मॉडल को पहले ही चुनौती देनी शुरू कर दी थी."

ममता पर बीजेपी का आरोप image FB/Mamata Banerjee/Suvendu Adhikari ममता बनर्जी और शुभेंदु अधिकारी

ममता पर विपक्ष की तरफ़ से हमेशा ये आरोप लगते रहे हैं कि वो अल्पसंख्यकों का तुष्टिकरण करती रही हैं और उन्हीं के वोटों के सहारे पश्चिम बंगाल की सत्ता पर वर्ष 2011 से बनी हुई हैं.

बांग्लादेश में पैदा हुए हालात और तख्तापलट के बाद से ही उसके संबंध भारत के साथ ख़राब होते चले गये.

ख़ासतौर पर तब जब वहां से हिंदुओं के धर्मिक स्थलों और हिंदू साधुओं पर हमले की ख़बरें आने लगीं.

भारत ने कई बार कूटनीतिक स्तर पर इसको लेकर अपनी कड़ी आपत्ति जताई भी है.

बांग्लादेश में सत्ता में मौजूद नेताओं की ओर से भारत के ख़िलाफ़ समय-समय पर दिए जाने वाले बयानों ने रिश्तों को और भी ज़्यादा तल्ख़ कर दिया. और इसका सीधा असर पश्चिम बंगाल पर पड़ने लगा.

image SATYAJIT SHAW दीघा के मंदिर में ममता बनर्जी

विपक्ष के नेता ने अपने पार्टी के झंडे तले तो नहीं लेकिन कुछ हिंदूवादी संगठनों के बैनर तले भारत-बांग्लादेश की पेट्रापोल सीमा पर हिंदुओं के ख़िलाफ़ हो रही हिंसा को लेकर विरोध प्रदर्शन भी किया था.

बांग्लादेशी नागरिकों की अवैध घुसपैठ को लेकर भी ममता बनर्जी पर विपक्ष हमलावर होने लगा था.

वो बंगाली हिंदुओं के बीच सहानुभूति हासिल करने के लिए अभियान चलाने भी लगे.

भारतीय जनता पार्टी ने ममता बनर्जी की पार्टी यानी तृणमूल कांग्रेस पर आरोप लगाया है कि बांग्लादेश से अवैध घुसपैठियों को राज्य की सरकार भारत के पहचान पत्र और राशन कार्ड तो मुहैय्या कराने में मदद कर ही रही है, साथ ही वो इनके नाम मतदाता सूची में भी जोड़ रही है जिससे 'चुनाव को प्रभावित किया जा सके.'

इन आरोपों को लेकर समय-समय पर भारतीय जनता पार्टी की राज्य कमिटी के नेता केंद्रीय चुनाव आयुक्त से मिलकर आवेदन भी देते रहे हैं.

इन प्रतिवेदनों में पार्टी ने आरोप लगाया है कि पश्चिम बंगाल में मतदाताओं की सूची में अवैध तरीक़े से बांग्लादेशी घुसपैठियों के नाम जोड़ दिए गए हैं.

तृणमूल कांग्रेस ने भी केंद्रीय चुनाव आयुक्त के समक्ष प्रतिवेदन देकर दावा किया है कि किस तरह बिहार, उत्तर प्रदेश और गुजरात में रहने वालों को मतदाता पहचान पत्र मुहैया कराया गया है.

क्या कहते हैं विश्लेषक image Samir Jana/Hindustan Times via Getty Images अगले साल पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव होने हैं

दोनों दलों की इस रस्साकशी से ये बात तो स्पष्ट होने लगी है कि 2026 में होने वाले विधानसभा के चुनाव में इस बार दोनों दलों के बीच ज़ोरदार टक्कर होगी.

वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक निर्माल्य मुखर्जी ने बीबीसी से बात करते हुए कहा, "इस बार जो लड़ाई है वो चार से पांच प्रतिशत वोटों की लड़ाई है. अगर भारतीय जनता पार्टी इन चार से पांच प्रतिशत मतदाताओं को आकर्षित करने में कामयाब हो जाती है तो ममता बनर्जी की बुरी हार हो भी सकती है."

पूछे जाने पर कि ये चार से पांच प्रतिशत मतदाता कौन हो सकते हैं? तो मुखर्जी कहते हैं कि ये 'सेकुलर बंगाली समुदाय है' जो ममता को वोट नहीं देना चाहता है और ना ही भाजपा को, इनके वोट या तो कांग्रेस को चले जाते हैं या फिर ये वो भी हो सकते हैं जो चुनाव के दिन घरों से निकलते ही नहीं हैं.

image BBC

मुखर्जी कहते हैं, "वैसे भी पश्चिम बंगाल में अगर बहुत ज़्यादा मतदान होता है तो वो कुल आबादी का 70 प्रतिशत होता है. इसमें से भी भारतीय जनता पार्टी के वोटों का आधार लगभग 39 से 40 प्रतिशत है. वहीं तृणमूल को 40 से 45 प्रतिशत वोट मिलते हैं. पूरा खेल पांच प्रतिशत वोटों का है. कौन बाज़ी मार सकता है ये उसके कौशल पर निर्भर है. अब भ्रष्टाचार, बेरोज़गारी आदि मुद्दा नहीं है. अब हिंदुओं की सुरक्षा ही बड़ा चुनावी मुद्दा बन रहा है."

बीजेपी के दिलीप घोष समारोह में हुए शामिल image PM TIWARI बीजेपी नेता दिलीप घोष मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में गए थे

लेकिन भाजपा के पूर्व अध्यक्ष और पुराने संघ कार्यकर्ता दिलीप घोष अपनी पत्नी के साथ दीघा के मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल हुए तो उनके दल के लोग भी हैरत में पड़ गए.

घोष की हाल ही में शादी हुई है. वो 61 वर्ष के हैं.

दीघा पहुँचने के बाद वहाँ जमा पत्रकारों से बात करते हुए दिलीप घोष ने अपने आने की वजह बताई और कहा, ''अक्षय तृतीया एक पावन अवसर है और पुण्य के काम इस दिन किए जाने चाहिए. मुझे बुलाया गया तो मैं आया.''

उनका कहना था कि विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने कांथी में जो 'महान सनातनी हिंदू सम्मलेन' करवाया उसमें उन्हें न्योता नहीं दिया गया था.

प्रदेश भाजपा ने फ़ौरन दिलीप घोष के बयान से किनारा कर लिया और प्रदेश अध्यक्ष मजूमदार ने कहा, "वो गए लेकिन पार्टी के मर्ज़ी के बिना." हालांकि शुभेंदु अधिकारी ख़ासा नाराज़ नज़र आये और कहा, "मुझे कुछ नहीं मालूम. मैं उनके बारे में बात नहीं करना चाहता."

उन्होंने मौजूद पत्रकारों से कहा कि ममता बनर्जी की सरकार ने इरादा कर लिया था कि हम सनातनी हिंदू सम्मेलन न कर पाएं. सरकार ने इस आयोजन की अनुमति नहीं दी थी.

लेकिन वो कहते हैं कि कलकत्ता उच्च न्यायालय से अनुमति लेने के बाद ही ये आयोजन संभव हो सका.

उन्होंने आरोप लगाया, "इस सरकार के कार्यकाल में पश्चिम बंगाल में हिंदुओं को अपने पड़ोस के मंदिरों में भी पूजन की अनुमति नहीं है."

अभी तक सरकार ने शुभेंदु अधिकारी के सवालों का जवाब नहीं दिया है.

ममता इस घेराबंदी से निकल सकेंगी? image BBC बांग्लादेश के ख़िलाफ़ प्रदर्शन में शुभेंदु अधिकारी

लेकिन जानकार इस पूरे प्रकरण को दूसरी नज़र से देख रहे हैं. वो इसमें हिंदुत्व को लेकर भारतीय जनता पार्टी और तृणमूल कांग्रेस में 'चल रही प्रतिस्पर्द्धा ' देख रहे हैं.

ये तृणमूल कांग्रेस की छवि की सबसे कमज़ोर कड़ी रही है जिसको भाजपा भुनाना चाहती है.

पिछले एक साल का जो राज्य का घटनाक्रम रहा है उसने तृणमूल कांग्रेस की असहजता ज़रूर बढ़ा दी है.

चाहे वो शिक्षकों और ग्रुप बी और सी की सरकारी बहालियों में भ्रष्टाचार के आरोप हों या फिर दिलों को दहला देने वाली जूनियर डॉक्टर की बलात्कार के बाद हत्या का मामला हो.

विश्लेषक कहते हैं कि ममता बनर्जी ने अपने राजनीतिक 'करियर' में ख़ुद को इतना घिरा हुआ कभी पहले नहीं पाया था.

सुभाशीष मित्रा कोलकाता के वरिष्ठ पत्रकारों में से एक हैं. बीबीसी से चर्चा करते हुए वो ये मानते हैं कि इस बार ममता बनर्जी के सामने 'ख़ुद को हिंदू साबित करने की चुनौती है.'

उनका मानना है, ''पहले शहरी क्षेत्रों में ही भारतीय जनता पार्टी का ज़्यादा प्रभाव रहा जबकि ग्रामीण इलाकों में तृणमूल कांग्रेस अपनी मज़बूत पैठ बनाए रखने में कामयाब रही. हालांकि इस बार जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में जो कुछ हुआ उसके तीन पीड़ित परिवार पश्चिम बंगाल के भी हैं. इसलिए मध्य वर्ग के लोगों के साथ साथ ग्रामीण इलाकों में भी रोष देखा जा सकता है.''

वो कहते हैं, ''मुर्शिदाबाद में हिंदुओं के घरों और मंदिरों पर हमलों के बाद तृणमूल कांग्रेस की स्थिति वैसे ही ख़राब चल रही थी."

फिर भी मित्रा मानते हैं कि दीघा में जगन्नाथ मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के बाद भारतीय जनता पार्टी में थोड़ी असहजता नज़र आना स्वाभाविक है क्योंकि आम बंगाली हिंदू की भगवान जगन्नाथ पर बड़ी श्रद्धा है.

उन्हीं से चैतन्य महाप्रभु भी प्रभावित हुए थे और भक्ति का अभियान शुरू किया था.

बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित

image
Loving Newspoint? Download the app now